राज्य की भाजपा सरकार अवैध खनन पर अंकुश नहीं लगा पा रही है और ना ही खनिज विभाग का राजस्व बढ़ रहा है। इसे लेकर राज्य सरकार अब चितिंत है। ऐसे में राज्य में अवैध खनन पर प्रभावी अंकुश लगाने, खनन क्षेत्र से राजस्व बढ़ाने तथा नियमों को सरल व व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने अंतरराज्यीय अध्ययन समितियों का गठन किया है। खान एवं पेट्रोलियम विभाग के आदेश के अनुसार ये समितियां अन्य राज्यों की सर्वोत्तम योजनाओं, नवीनतम तकनीकों और नियमों का अध्ययन कर राजस्थान में लागू करने योग्य सुझाव देंगी।
खान विभाग के संयुक्त शासन सचिव अरविंद सारस्वत ने आदेश जारी कर स्पष्ट किया है कि अध्ययन का फोकस राजस्व प्राप्ति, खनन रियायत नियम, परिपत्र, चारागाह व प्रतिबंधित क्षेत्रों में खनन अनुमतियां, पर्यावरणीय पूर्वानुमति की प्रक्रिया व समय-सीमा तथा अवैध खनन के निरोध में तकनीकी उपयोग पर रहेगा। तीन अलग-अलग गठित समितियां खनिज विकास, राजस्व वृद्धि और अवैध खनन की रोकथाम से जुड़े ठोस अनुशंसाओं सहित रिपोर्ट निदेशालय के माध्यम से शासन सचिव को प्रस्तुत करेंगी। यह तीनों समितियां मध्यप्रदेश, उड़ीसा तथा छत्तीसगढ़ राज्यों का दौरा करेंगी।
उड़ीसा राज्य का अध्ययन 22 से 27 दिसंबर
उड़ीसा की सर्वोत्तम प्रथाओं के अध्ययन के लिए चार सदस्यों की कमेटी का गठन किया है। कमेटी में अधीक्षण खनि अभियंता उदयपुर शिवप्रसाद शर्मा, खनि अभियंता नागौर जेपी गोदरा, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक जयपुर सुशील कुमार और निदेशालय के लेखा अधिकारी राजेश गर्ग शामिल हैं। यह समिति 22 से 27 दिसंबर तक अध्ययन करेगी।
मध्यप्रदेश का अध्ययन 22 से 27 दिसंबर
मध्यप्रदेश के अध्ययन के लिए अधीक्षण खनि अभियंता जोधपुर डीपी गौड़, खनि अभियंता बिजौलियां प्रवीण अग्रवाल, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक अलवर महेश शर्मा तथा जयपुर से लेखा अधिकारी पवन शर्मा को समिति में नामित किया है। यह समिति 22 से 27 दिसंबर तक खनन क्षेत्र, राजस्व वसूली तथा नियमों का अध्ययन करेंगी।
छत्तीसगढ़ का अध्ययन 5 से 10 जनवरी 2026
छत्तीसगढ़ की प्रथाओं के अध्ययन के लिए अधीक्षण खनि अभियंता भीलवाड़ा ओपी काबरा, सहायक खनि अभियंता अलवर पुष्पेन्द्र जोधा, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक जयपुर अमिताभ जगावत और भीलवाड़ा से लेखा अधिकारी संजय लोहिया समिति में शामिल होंगे। यह चार सदस्यों की समिति छत्तीसगढ़ का अध्ययन 5 से 10 जनवरी 2026 तक करेगी।
अनुभवों के आधार पर लागू होगी योजना
खान निदेशालय के अनुसार अंतरराज्यीय अनुभवों के आधार पर राजस्थान में खनन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने, तकनीक आधारित निगरानी मजबूत करने और अवैध खनन पर सख्ती के लिए नीतिगत सुधार प्रस्तावित किए जाएंगे। इससे एक ओर जहां राजस्व में वृद्धि की उम्मीद है, वहीं पर्यावरण संरक्षण और नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन को भी बल मिलेगा।
समस्याओं का समाधान हो तो बढ़े राजस्व
खनिज व्यवसाइयों का कहना है कि प्रदेश के खनिज विभाग के अधिकारियों के पास पर्याप्त मात्रा में ज्ञान का भंडार है। देश में राजस्थान पहला राज्य था जिसने अप्रधान खनिज नियमावली 1954 बनाई थी। इसका अनुसरण अन्य राज्यों ने किया था। खनिज विभाग के पास फोरमैन तक नहीं है। बजरी की ईसी समय पर नहीं मिलने से अवैध खनन बढ़ रहा है। स्टॉफ पूरा मिले तो राजस्व में तेजी से इजाफा हो सकता है। वही राजस्थान की खनिज नीति का कई राज्य सरकार ने अपनाया है।


