हरियाणा सरकार ने भवन निर्माण से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब किसी भी मकान, फैक्ट्री, होटल या ऊंची इमारत के लिए ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट यानी रहने या उपयोग की अनुमति सरकारी दफ्तर नहीं, बल्कि बाहरी विशेषज्ञ (थर्ड पार्टी) जारी करेंगे। यह व्यवस्था हरियाणा भवन संहिता, 2017 में संशोधन के तहत लागू की गई है। अब हाई रिस्क बिल्डिंग जैसे होटल, मॉल या मल्टीस्टोरी कॉम्प्लेक्स के मालिकों को फाइलें विभाग में लंबित रखने की जरूरत नहीं होगी। सीनियर आर्किटेक्ट देंगे मंजूरी हरियाणा सरकार की सूची में शामिल अनुभवी आर्किटेक्ट या इंजीनियर साइट पर जाकर जांच करेंगे कि निर्माण भवन कोड के अनुसार हुआ है या नहीं। यदि सब सही पाया गया, तो वे सीधे ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट जारी कर सकेंगे। इससे प्रक्रिया पारदर्शी और तेज बनेगी तथा लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई विशेषज्ञ या मालिक गलत रिपोर्ट देगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इसमें पंजीकरण रद्द करना, जुर्माना लगाना या प्रतिबंध शामिल होगा। गरीबों के लिए नई व्यवस्था आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के मकानों के लिए भी अब बाथरूम और शौचालय के न्यूनतम आकार तय कर दिए गए हैं, ताकि गरीब परिवारों को बुनियादी सुविधाएं मिलें। साथ ही अब ग्रीन बिल्डिंग को पर्यावरण मंजूरी से छूट नहीं मिलेगी। हर निर्माण को पर्यावरण नियमों का पालन करना होगा। पुराने-सामान्य उद्योगों को भी राहत उद्योगों और शिक्षण संस्थानों को राहत दी गई है। पुराने उद्योग अब 150 प्रतिशत और सामान्य उद्योग 200 प्रतिशत तक निर्माण बढ़ा सकेंगे। होटल. रिसॉर्ट और कॉलेजों को भी अतिरिक्त निर्माण की अनुमति मिलेगी। साथ ही, औद्योगिक प्लॉट्स में 3 से 6 मीटर तक खाली जगह (सेटबैक) रखना अनिवार्य किया गया है। हर आवेदन ऑनलाइन होगा और 18 दिन में रिपोर्ट न आने पर फाइल अपने आप विभाग को भेजी जाएगी। आम नागरिक 28 नवंबर तक टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की ईमेल पर अपने सुझाव भेज सकेंगे।


