Mumbai AQI: दिवाली से पहले बदतर हुई मुंबई की हवा, दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बना

Mumbai AQI: दिवाली से पहले बदतर हुई मुंबई की हवा, दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बना

दिवाली की रौनक के बीच मुंबई की वायु गुणवत्ता बिगड़ती जा रही है। धनतेरस के दिन शनिवार और रविवार को शहर की एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का स्तर लगातार गिरा। शहर के कई हिस्सों में हवा में प्रदूषण का स्तर 200 से ऊपर पहुंच गया।

सबसे बुरा हाल बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) का रहा, जहां हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गई और एक्यूआई 300 के पार चले गया। वहीं, कोलाबा (210), देओनार (207), खेरवाडी (214), मझगांव (196), शिवाजी नगर (169), मलाड (162) और भायखला (161) जैसे इलाकों में भी हवा में प्रदूषण की मात्रा खतरनाक स्तर पर रही।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह हाल तब है जब दिवाली की शुरुआत हुई है। आज शहरभर में पटाखों की गूंज सुनाई देगी, इसके बाद हवा में घुला धुआं और जहरीले कण एक्यूआई को और खराब कर देंगे।

पिछले 48 घंटों में मुंबई की वायु गुणवत्ता रात 10 बजे से सुबह 1 बजे के बीच सबसे खराब दर्ज की गई। जबकि IQAir की वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई दुनिया के छठे सबसे प्रदूषित शहर से सीधा दूसरे स्थान पर पहुंच गया। इस सूची में दिल्ली पहले स्थान पर है, जबकि कोलकाता तीसरे पर है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, मुंबई की हवा में सबसे ज्यादा PM2.5 और PM10 कण मौजूद हैं, जबकि इनके बाद NO₂ (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) भी बड़ी मात्रा में है। विशेषज्ञों का कहना है कि पटाखों में मौजूद रासायनिक तत्व हवा में घुलकर विषाक्तता को और बढ़ा देते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और अस्थमा जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। इससे सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों और बच्चों को होता है।

दिल्ली-NCR में बिगड़ रहे हालात, ग्रैप-II लागू

दिल्ली-एनसीआर में दिवाली की सुबह की शुरुआत जहरीली हवा के साथ हुई। रविवार रात भारी मात्रा में पटाखे फोड़े जाने के बाद सोमवार सुबह राजधानी की हवा दमघोंटू हो गई। सुबह 8 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 335 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है।

सीपीसीबी के अनुसार, रविवार को औसत एक्यूआई 296 था, जो शाम होते-होते 300 के पार चले गया। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले दो दिनों में हवा की स्थिति और बिगड़ सकती है और यह ‘गंभीर’ स्तर (401 से ऊपर) तक जा सकती है।

स्थिर हवाएं, तापमान में गिरावट और स्थानीय प्रदूषण को इस स्थिति का मुख्य कारण बताया गया है। हालात को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रैप के दूसरे चरण को लागू करते हुए सख्त निगरानी और कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं।

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