खंडवा में किसानों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को टिगरिया गांव के बाद आज (रविवार) सुरगांव जोशी में भी किसानों ने सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल की शवयात्रा निकाली और पुतला दहन किया। किसानों ने चेतावनी दी है कि 13वें दिन इंदौर हाईवे पर चक्काजाम किया जाएगा। वहीं, इस विरोध पर सांसद पाटिल ने कहा कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, वे इन लोगों से कोसों दूर निकल चुके हैं। रविवार को सुरगांव जोशी में गांव के राम चौक से लेकर पूरे गांव में शवयात्रा का भ्रमण कराया गया। इसके बाद गांव के बाहर पुतले का दहन कर दिया गया। इस दौरान महिलाओं ने विलाप भी किया। ‘खाने के लाले पड़ेंगे, अब आर-पार की लड़ाई’
किसानों का कहना है कि फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं, एक-दो महीने में खाने-पीने के वांदे हो जाएंगे। इसीलिए जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोश फूटा है। किसानों ने एलान किया कि आज से दसवें दिन गांव में अन्नदान की पंगत देंगे और तेरहवें दिन इंदौर हाईवे पर चक्काजाम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब आर-पार और हिंसक तरीके से लड़ाई होगी। सांसद बोले- मैंने अपना कर्तव्य निभाया
शवयात्रा निकाले जाने के मामले में सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने कहा, “मैं भी किसान हूं, उनके दुख और दर्द को समझता हूं। मैं समझता हूं कि मैंने मेरा कर्त्तव्य निभाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। मैंने किसानों के बीच जाकर मेरी बात रखी। उन्हें विश्वास दिलाया कि मैं आपकी समस्या को लेकर मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से बात करके आपको मिलने के लिए साथ ले चलूंगा। जनप्रतिनिधि होने के नाते यह मेरी जिम्मेदारी है।” ‘सीएम सरपंच नहीं हैं कि जब चाहो मिल लो’
सांसद ने कहा, “मैंने मुख्यमंत्री से बात की, अब हर कोई ज्ञानेश्वर पाटिल नहीं है कि हर समय उपलब्ध हो जाए। कोई गांव का सरपंच नहीं है कि जब चाहो जाकर मिल लो। वो मुख्यमंत्री है, उनके पास अपने राज्य के कामकाज के अलावा अन्य राज्यों के दौरे भी रहते है। कई बार समय की समस्या रहती है। बाकी मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री भी किसान है, वो किसान के दर्द को समझते है। मैं समझता हूं कि जितना हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किसानों के लिए किया है, उतना आज तक किसी सरकार ने करने का प्रयास नहीं किया।” ‘नुकसान की भरपाई कोई माई का लाल नहीं कर सकता’
सांसद ने आगे कहा, “मैंने किसानों के दर्द को समझकर ही अधिकारियों के साथ खेतों का दौरा किया। करीब 20 करोड़ रूपए की राहत राशि स्वीकृत कराई और किसानों में वितरित की। रहा सवाल किसान का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई तो कोई माई का लाल नहीं कर सकता। राहत और एक मदद देने का काम सरकार द्वारा किया जा रहा हैं।” ‘मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं इनसे कोसों दूर हूं’
सांसद ने कहा, “मैंने किसानों के बीच जाकर बात की, मेरा उद्देश्य यह था कि किसान रेल की पटरी पर जाते और फिर उन पर प्रकरण बनते तो नुकसान तो उन्हीं का ही था। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते तो यह संपत्ति भी तो सरकार और हमारी है। कल जो जानकारी मिली कि मेरा पुतला जलाया गया, अर्थी निकाली गई। मैं किसान का बेटा हूं, मैंने किसानाें के लिए कल भी बात की, आगे भी करूंगा। किसानों के हक और अधिकार के लिए बात करूंगा। मुझे इन सबसे कोई फर्क नही पड़ता है।” ‘यह राजनीति है, किसान ऐसी हरकत नहीं करता’
सांसद ने आगे कहा, “सब जानते हैं कि किसान इस तरह की हरकत नहीं कर सकता। इसमें कुछ लोगों को राजनीति करना है, इसलिए वे प्रोपेगेंडा कर रहे हैं। वे लोग इससे भी बड़ा काेई आयोजन करें तो करें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। किसानों की आवाज हमेशा उठाता रहूंगा। इसके पीछे कौन लोग है, यह सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन लोगों की योजना कभी सफल नहीं होगी। वो मुझे घेरने की कोशिश कर रहे है। लेकिन मैं इनसे कोसों दूर निकल चुका हूं। जो अब इनकी पकड़ में नहीं आऊंगा।”


