जयपुर। मनरेगा कानून में बदलाव कर ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ यानी वीबी-जी राम जी विधेयक-2025 करने का सामाजिक संगठनों ने भी विरोध शुरू कर दिया है। सोमवार को प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता में मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नए विधेयक को रद्द करने की मांग उठाई।
सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि नए कानून को रद्द करवाने के लिए वार्ड मेंबर से लेकर सांसद के पास जाएंगे और प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखवाएंगे। जो जनप्रतिनिधि प्रधानमंत्री के नाम पत्र नहीं लिखेगा, उसका विरोध करेंगे। ‘नरेगा नहीं तो वोट नहीं’, ‘जो हमारी रोजी रोटी छीनेगा, हम उसकी कुर्सी खाली कराएंगे’ का नारा बुलंद करेंगे। 2 फरवरी को मनरेगा के 20 साल पूरे हो रहे हैं, उस दिन देशभर में हर ब्लॉक व जिला स्तर पर शोकसभा आयोजित करेंगे।
पैसा, काम, योजना सब केन्द्र सरकार करेगी तय
सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय ने कहा कि मनरेगा एक्ट मजदूरों को हक देता था, वह कोई ऑफिस ऑर्डर से नहीं आया। वह कानून से आया। अब जो नया कानून आया है, वह कोई हक नहीं है। यह केन्द्र सरकार कहेगी तो चलेगा, वह नहीं कहेगी तो नहीं चलेगा। पैसा, काम, योजना सब केन्द्र सरकार तय करेगी। उन्होंने कहा कि मनेरगा में 90 प्रतिशत बजट केन्द्र सरकार देती थी। अब कह रहे हैं कि बजट में 60 प्रतिशत हिस्सा राशि केन्द्र की होगी, बाकि 40 प्रतिशत हिस्सा राशि राज्यों की होगी। जबकि राज्य सरकारों के पास पैसा नहीं है। यह पैसा भी आवंटित क्षेत्रों, पंचायतों और जिलों को ही देंगे। इस नए कानून से अगर 5 प्रतिशत आंवटित लोगों को रोजगार मिल भी गया तो 95 प्रतिशत बेरोजगार ही रहेंगे। 20 साल में गांवों से पलायन नहीं हुआ। अब लोग शहरों की ओर पलायन करेंगे।
एक दिन भी गारंटी नहीं
निखिल डे ने कहा कि मनरेगा ने काम का अधिकार दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में अकुशल शारीरिक श्रम करने वाले किसी भी व्यक्ति को काम दिया जाता था। अब सरकार उन्हीं ग्रामीणों क्षेत्रों में काम उपलब्ध कराएंगी, जिन्हें केन्द्र की ओर अधिसूचित किया जाएगा। नए कानून को 125 दिन की रोजगार की गारंटी वाला बता रहे है, लेकिन एक दिन भी गारंटी नहीं, क्योंकि जहां केन्द्र सरकार तय करेगी, वहां काम मिलेगा। केन्द्र सरकार जितना पैसा राज्यों को अलॉट करेगी, उतना ही काम हो पाएगा।


