उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में टूट होती दिख रही है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के तीनों विधायक माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर लिट्टी–चोखा भोज में शामिल नहीं हुए। ये भोज दिल्ली में रखा गया था। विधायक दिल्ली तो पहुंचे, लेकिन भोज छोड़ बीजेपी के नए कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन नबीन से मिलने चले गए। बताया जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के विधायक माधव आनंद मंत्री की रेस में थे, लेकिन कुशवाहा ने अपने बेटे को मंत्री बना दिया। विधायक सोशल मीडिया पर परिवारवाद को लेकर घेर रहे बाजपट्टी से रालोमो के विधायक रामेश्वर महतो ने 13 दिन पहले सोशल मीडिया पर बिना नाम लिए उपेंद्र कुशवाहा के परिवारवाद पर निशाना साधा था। यह बस मैसेज भर है, निर्णय बाकी हैः RLM MLA भास्कर रिपोर्टर ने उनसे बात कर पूरे मामले को समझने की कोशिश तो उन्होंने कहा कि ‘मैसेज भर है, सुधार नहीं हुआ तो आगे का निर्णय लिया जाएगा। पार्टी को कोई कार्यकर्ता और नेता बनाता है। इसी के बहाने पार्टी चलती है, लेकिन जब मौका देने की बारी आए तो पार्टी बचाने का हवाला देकर केवल परिवार को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।’ अब जानिए कौन हैं रामेश्वर महतो RLM से विधायक रामेश्वर महतो जदयू से MLC भी रह चुके हैं। पिछले साल नवंबर को ही इन्होंने जदयू से इस्तीफा दिया था। इसके बाद ये उपेंद्र कुशवाहा से जुड़े थे। इस्तीफा के दौरान इन्होंने कहा था,’कुशवाहा नेताओं के साथ अन्याय हो रहा है।’ ‘कोई तरजीह नहीं दी जा रही है। नीतीश कुमार जिंदाबाद कहने वाले लोगों को नजर अंदाज किया जाता है। उन्हें अपमानित किया जा रहा है।’ ‘तब इन्होंने सीतामढ़ी सांसद देवेश चंद्र ठाकुर पर अपमान करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि सामंती सोच के साथ वो राजनीति कर रहे हैं। अपना एकछत्र राज चलाना चाहते हैं। जो कि जेडीयू की विचारधारा से अलग है।’ कुशवाहा की पार्टी में बगावत की वजह समझिए दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा ने चुनाव बाद आखिरी समय में मास्टर स्ट्रोक चला था। उन्होंने अपने बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री पद की शपथ दिला दी। जबकि दीपक प्रकाश किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। उपेंद्र कुशवाहा पहले से राज्यसभा के सांसद हैं। राजनीति से दूर रहने वाली पत्नी को इस बार सासाराम से विधायक बनवा दिया। यही कारण है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। बगावत रोकने के लिए पार्टी की हर इकाई को भंग किया था इससे पहले पार्टी के भीतर लगातार बढ़ रहे बगावत को काबू करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने 30 नवंबर को रालोमो की प्रदेश इकाई, सभी जिला इकाइयों और प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया था। कोर कमेटी की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया था। पार्टी को चलाने के लिए पांच सदस्यीय संचालन समिति का गठन भी किया गया है। बेटे को मंत्री बनाकर कुशवाहा ने चला MLC सीट वाला दांव कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट दीपक प्रकाश फिलहाल किसी सदन (विधानसभा/विधान परिषद) के सदस्य नहीं हैं। अब मंत्री बने हैं तो उन्हें 6 महीने के अंदर किसी सदन का सदस्य बनना होगा, वरना मंत्री पद छोड़ना होगा। सीनियर जर्नलिस्ट कुमार प्रबोध बताते हैं कि, ‘सम्राट चौधरी, मंगल पांडेय विधायक बन गए हैं। पहले वह विधान परिषद के सदस्य थे। अब भाजपा कोटे से उनकी सीट खाली होगी। NDA की 243 में से 202 सीटों पर जीत से कुशवाहा को डर होगा कि कहीं भाजपा MLC पद से मुकर ना जाए। इसलिए उन्होंने बेटे को मंत्री बनाकर दांव चल दिया।’ 5 पॉइंट में समझिए कुशवाहा BJP के लिए क्यों जरूरी
—————- ये खबर भी पढ़ें भास्कर एनालिसिस- कुशवाहा के बेटे बने मंत्री, भाजपा पर क्यों बढ़ा प्रेशर:नीतीश ने नहीं जताया एतराज, दीपक बोले- मुझे मंत्री क्यों बनाया पापा से पूछिए रिकार्ड 10वीं बार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी थी। मंच पर PM मोदी से लेकर 12 राज्यों के मुख्यमंत्री थे। नीतीश कुमार के बाद 5-5 की संख्या में मंत्री शपथ ले रहे थे। इस बीच जींस और शर्ट पहने एक युवक मंच पर चढ़ा और पद व गोपनीयता की शपथ लेने लगा। इस अनजान चेहरे पर कैमरे से लेकर लोगों तक की नजरें ठहर गई। पूरी खबर पढ़ें उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में टूट होती दिख रही है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के तीनों विधायक माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर लिट्टी–चोखा भोज में शामिल नहीं हुए। ये भोज दिल्ली में रखा गया था। विधायक दिल्ली तो पहुंचे, लेकिन भोज छोड़ बीजेपी के नए कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन नबीन से मिलने चले गए। बताया जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के विधायक माधव आनंद मंत्री की रेस में थे, लेकिन कुशवाहा ने अपने बेटे को मंत्री बना दिया। विधायक सोशल मीडिया पर परिवारवाद को लेकर घेर रहे बाजपट्टी से रालोमो के विधायक रामेश्वर महतो ने 13 दिन पहले सोशल मीडिया पर बिना नाम लिए उपेंद्र कुशवाहा के परिवारवाद पर निशाना साधा था। यह बस मैसेज भर है, निर्णय बाकी हैः RLM MLA भास्कर रिपोर्टर ने उनसे बात कर पूरे मामले को समझने की कोशिश तो उन्होंने कहा कि ‘मैसेज भर है, सुधार नहीं हुआ तो आगे का निर्णय लिया जाएगा। पार्टी को कोई कार्यकर्ता और नेता बनाता है। इसी के बहाने पार्टी चलती है, लेकिन जब मौका देने की बारी आए तो पार्टी बचाने का हवाला देकर केवल परिवार को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।’ अब जानिए कौन हैं रामेश्वर महतो RLM से विधायक रामेश्वर महतो जदयू से MLC भी रह चुके हैं। पिछले साल नवंबर को ही इन्होंने जदयू से इस्तीफा दिया था। इसके बाद ये उपेंद्र कुशवाहा से जुड़े थे। इस्तीफा के दौरान इन्होंने कहा था,’कुशवाहा नेताओं के साथ अन्याय हो रहा है।’ ‘कोई तरजीह नहीं दी जा रही है। नीतीश कुमार जिंदाबाद कहने वाले लोगों को नजर अंदाज किया जाता है। उन्हें अपमानित किया जा रहा है।’ ‘तब इन्होंने सीतामढ़ी सांसद देवेश चंद्र ठाकुर पर अपमान करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि सामंती सोच के साथ वो राजनीति कर रहे हैं। अपना एकछत्र राज चलाना चाहते हैं। जो कि जेडीयू की विचारधारा से अलग है।’ कुशवाहा की पार्टी में बगावत की वजह समझिए दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा ने चुनाव बाद आखिरी समय में मास्टर स्ट्रोक चला था। उन्होंने अपने बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री पद की शपथ दिला दी। जबकि दीपक प्रकाश किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। उपेंद्र कुशवाहा पहले से राज्यसभा के सांसद हैं। राजनीति से दूर रहने वाली पत्नी को इस बार सासाराम से विधायक बनवा दिया। यही कारण है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। बगावत रोकने के लिए पार्टी की हर इकाई को भंग किया था इससे पहले पार्टी के भीतर लगातार बढ़ रहे बगावत को काबू करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने 30 नवंबर को रालोमो की प्रदेश इकाई, सभी जिला इकाइयों और प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया था। कोर कमेटी की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया था। पार्टी को चलाने के लिए पांच सदस्यीय संचालन समिति का गठन भी किया गया है। बेटे को मंत्री बनाकर कुशवाहा ने चला MLC सीट वाला दांव कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट दीपक प्रकाश फिलहाल किसी सदन (विधानसभा/विधान परिषद) के सदस्य नहीं हैं। अब मंत्री बने हैं तो उन्हें 6 महीने के अंदर किसी सदन का सदस्य बनना होगा, वरना मंत्री पद छोड़ना होगा। सीनियर जर्नलिस्ट कुमार प्रबोध बताते हैं कि, ‘सम्राट चौधरी, मंगल पांडेय विधायक बन गए हैं। पहले वह विधान परिषद के सदस्य थे। अब भाजपा कोटे से उनकी सीट खाली होगी। NDA की 243 में से 202 सीटों पर जीत से कुशवाहा को डर होगा कि कहीं भाजपा MLC पद से मुकर ना जाए। इसलिए उन्होंने बेटे को मंत्री बनाकर दांव चल दिया।’ 5 पॉइंट में समझिए कुशवाहा BJP के लिए क्यों जरूरी
—————- ये खबर भी पढ़ें भास्कर एनालिसिस- कुशवाहा के बेटे बने मंत्री, भाजपा पर क्यों बढ़ा प्रेशर:नीतीश ने नहीं जताया एतराज, दीपक बोले- मुझे मंत्री क्यों बनाया पापा से पूछिए रिकार्ड 10वीं बार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी थी। मंच पर PM मोदी से लेकर 12 राज्यों के मुख्यमंत्री थे। नीतीश कुमार के बाद 5-5 की संख्या में मंत्री शपथ ले रहे थे। इस बीच जींस और शर्ट पहने एक युवक मंच पर चढ़ा और पद व गोपनीयता की शपथ लेने लगा। इस अनजान चेहरे पर कैमरे से लेकर लोगों तक की नजरें ठहर गई। पूरी खबर पढ़ें


