संभल के मोहल्ला नूरियो सराय स्थित इमाम बारगाह सगीर हसन में गुरुवार को इमाम अली नकी (अ.) की यौमे शहादत अकीदत और एहतराम के साथ मनाई गई। इस अवसर पर एक मजलिस का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में अज़ादारों ने शिरकत की। कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत-ए-कुरआन से हुई, जिसके बाद मजलिस का सिलसिला शुरू हुआ। मजलिस के उपरांत शबीहे ताबूत इमाम अली नकी की ज़ियारत कराई गई। अज़ादारों ने नोहेख्वानी और मातम कर इमाम की शहादत पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। इस दौरान पूरा इमाम बारगाह ‘या अली’ और ‘या हुसैन’ की सदाओं से गूंज उठा। मजलिस में शमाइम रज़ा और उनके साथियों ने मर्सिया पेश किया। मजलिस को खिताब करते हुए सुहैल अब्बास ने इमाम अली नकी के जीवन, उनकी इबादत, सब्र और ज़ालिम शासकों के खिलाफ उनके दृढ़ रुख पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इमाम अली नकी ने इस्लाम की सच्ची शिक्षाओं को बचाने के लिए कई कठिनाइयों का सामना किया और अंततः शहादत प्राप्त की। इस मौके पर शाहिद हसन और अरशद हसन ने इमाम की याद में नोहेख्वानी प्रस्तुत की, जिस पर अज़ादारों ने सीनाजनी और मातम किया। कार्यक्रम के दौरान शांति और व्यवस्था बनाए रखने का पूरा ध्यान रखा गया। मजलिस में शाने अब्बास, अली सादिक, नैय्यर अब्बास, पैकर संभली, सलीम असगर, अली मोहम्मद सहित क्षेत्र के कई अज़ादार मौजूद रहे। अंत में देश में अमन, भाईचारे और खुशहाली की दुआ के साथ मजलिस का समापन हुआ।


