श्रीराम भक्ति शाखा के अति प्रतिष्ठात संत महात्मा बनादास महाराज 204 वीं जयन्ती 23 दिसंबर को सुबह 10.30 बजे सरयू तट राम की पैड़ी घाट, नंबर 10 भव्य रूप से मनाई जाएगी। इस अवसर पर भारतीय ज्ञान परम्परा में महात्मा बनादास का योगदान” विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया है। गोष्ठी के मुख्य अतिथि मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविशंकर सिंह, विशिष्ट अतिथि डॉ अभय प्रताप सिंह पूर्व प्राचार्य साकेत महाविद्यालय और मुख्य वक्ता आचार्य सन्तोष अवस्थी, डा अनिल सिंह है, संचालन डॉक्टर रघुनाथ पांडे करेंगे। महात्मा बनादास के वंशल अंकित दास ने बताया कि बनादास महाराज का जन्म गोंडा ज़िले के अशोकपुर नामक गाँव में सन 1821 ई. में हुआ था। ये क्षत्रिय जाति के थे। इनके पिता का नाम गुरुदत्त सिंह था। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण इन्होंने भिनगा राज्य बहराइच की सेना में नौकरी कर ली और लगभग सात वर्ष तक वहाँ रहे। इसके प्रश्चात घर लौट आये। वहाँ रहते अधिक दिन नहीं बीते थे कि इनके एकमात्र पुत्र का अकस्मात निधन हो गया। पुत्र के शव के साथ ही 1851 ई. की कार्तिक पूर्णिमा को ये अयोध्या चले गये और फिर वहीं के हो गये। आरम्भ में दो वर्ष देशाटन करके इन्होंने चौदह वर्षों तक रामघाट पर कुटी बनाकर घोर तप किया। साधना पूरी होने पर इन्हें आराध्य का साक्षात्कार हुआ। इसके अनंतर इन्होंने विक्टोरिया पार्क वर्तमान तुलसी उद्यान से संलग्न भूमि पर ‘भवहरण कुंज’ नामक आश्रम बनाया। इसी स्थान पर सन 1892 ई. को इनका साकेतवास हुआ। बनादास महाराज के वंशज अंकित दास ने बताया कि पौष शुक्लपक्ष के चतुर्थी तिथि को महाराज जी का जन्म जयंती समारोह मनाया जा रहा है।


