हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड के हरली बुध बाजार में शुक्रवार को “आत्मनिर्भर बड़कागांव पूर्वी अन्नदाता संकल्प महापंचायत” का आयोजन किया गया। हरली हाईस्कूल मैदान के पास हुई इस सभा में बड़कागांव पूर्वी क्षेत्र के दर्जनों गांवों से हजारों किसान और ग्रामीण एकत्रित हुए। महापंचायत का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में चल रहे कोल खनन कार्यों का विरोध करना और अपनी जमीन की सुरक्षा के लिए सामूहिक संकल्प लेना था। सभा में उपस्थित ग्रामीणों ने एनटीपीसी, जेएसडब्ल्यू, एनएमडीसी, बीजीआर, त्रिवेणी और अदाणी समेत अन्य कोल कंपनियों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। उन्होंने आरोप लगाया कि ये कंपनियां बहुफसल वाली उपजाऊ भूमि को जबरन या कम दामों पर अधिग्रहित करने का प्रयास कर रही हैं, जबकि इसके लिए ग्रामसभा की अनुमति नहीं ली गई है। किसानों ने कहा- वे अपनी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे महापंचायत में “एनटीपीसी अदानी वापस जाओ”, “संसद न विधानसभा, सबसे बड़ा ग्रामसभा” और “हमारी जमीन हमारी जान” जैसे नारे गूंजते रहे। किसानों ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे अपनी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे, भले ही इसके लिए उन्हें बड़ा आंदोलन करना पड़े। वक्ताओं ने बताया कि कोल खनन से न केवल भूमि का विनाश हो रहा है, बल्कि पर्यावरण और जल स्रोतों पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि खनन कंपनियों द्वारा विस्थापन, रोजगार और पुनर्वास के किए गए वादे झूठे साबित हुए हैं। ग्रामीणों ने राज्य और केंद्र सरकार से मांग की कि किसानों की सहमति के बिना किसी भी परियोजना को आगे न बढ़ाया जाए। उन्होंने जिला प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि कंपनियों को ग्रामीणों की जमीन पर कब्जा करने दिया गया, तो एक बड़ा जनांदोलन खड़ा किया जाएगा। हरली बुध बाजार का मैदान किसानों की एकजुटता और संघर्ष का प्रतीक बन गया। इस महापंचायत से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि बड़कागांव में कोल खनन विरोधी आंदोलन अब और व्यापक तथा तीव्र रूप लेने जा रहा है। हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड के हरली बुध बाजार में शुक्रवार को “आत्मनिर्भर बड़कागांव पूर्वी अन्नदाता संकल्प महापंचायत” का आयोजन किया गया। हरली हाईस्कूल मैदान के पास हुई इस सभा में बड़कागांव पूर्वी क्षेत्र के दर्जनों गांवों से हजारों किसान और ग्रामीण एकत्रित हुए। महापंचायत का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में चल रहे कोल खनन कार्यों का विरोध करना और अपनी जमीन की सुरक्षा के लिए सामूहिक संकल्प लेना था। सभा में उपस्थित ग्रामीणों ने एनटीपीसी, जेएसडब्ल्यू, एनएमडीसी, बीजीआर, त्रिवेणी और अदाणी समेत अन्य कोल कंपनियों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। उन्होंने आरोप लगाया कि ये कंपनियां बहुफसल वाली उपजाऊ भूमि को जबरन या कम दामों पर अधिग्रहित करने का प्रयास कर रही हैं, जबकि इसके लिए ग्रामसभा की अनुमति नहीं ली गई है। किसानों ने कहा- वे अपनी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे महापंचायत में “एनटीपीसी अदानी वापस जाओ”, “संसद न विधानसभा, सबसे बड़ा ग्रामसभा” और “हमारी जमीन हमारी जान” जैसे नारे गूंजते रहे। किसानों ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे अपनी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे, भले ही इसके लिए उन्हें बड़ा आंदोलन करना पड़े। वक्ताओं ने बताया कि कोल खनन से न केवल भूमि का विनाश हो रहा है, बल्कि पर्यावरण और जल स्रोतों पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि खनन कंपनियों द्वारा विस्थापन, रोजगार और पुनर्वास के किए गए वादे झूठे साबित हुए हैं। ग्रामीणों ने राज्य और केंद्र सरकार से मांग की कि किसानों की सहमति के बिना किसी भी परियोजना को आगे न बढ़ाया जाए। उन्होंने जिला प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि कंपनियों को ग्रामीणों की जमीन पर कब्जा करने दिया गया, तो एक बड़ा जनांदोलन खड़ा किया जाएगा। हरली बुध बाजार का मैदान किसानों की एकजुटता और संघर्ष का प्रतीक बन गया। इस महापंचायत से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि बड़कागांव में कोल खनन विरोधी आंदोलन अब और व्यापक तथा तीव्र रूप लेने जा रहा है।


