पंजाब के लुधियाना में 5 साल बाद भी पुलिस अपने उन 17 कर्मचारियों की पहचान अदालत को नहीं बता पाई है जो कथित तौर पर रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद हुए थे। अदालत ने इस बात का संज्ञान लेते हुए स्पेशल कोर्ट के जज अमरिंदर सिंह शेरगिल ने मुख्य सचिव को लिखा है वह मामले की तरफ ध्यान दे और 28 वीडियो में कैद हुए सभी पुलिस कर्मचारियों की पहचान यकीनी बनाए। लॉटरी व्यापारी ने किया स्टिंग ऑपरेशन एक लॉटरी व्यापारी द्वारा कथित तौर पर एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान रिकॉर्ड किए गए 28 पुलिस कर्मियों के कुल 28 वीडियो क्लिप अदालत में पेश किए गए हैं। अदालत ने पुलिस को जल्द से जल्द 17 ‘अज्ञात पुलिसकर्मियों’ की पहचान प्रक्रिया पूरी करने या ऐसा करने में अपनी ‘अक्षमता’ बताते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, क्योंकि पुलिस ने केवल 11 पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी और 19 फरवरी, 2024 को उनमें से 10 के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। DCP हरपाल सिंह और एडीसीपी-1 समीर वर्मा अदालत में पेश हुए और उन्होंने समय मांगा है। उन्होंने कहा कि वीडियो क्लिप में दिख रहे व्यक्तियों की पहचान करने के लिए साइबर जांच और तकनीकी सहायता इकाइयों का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, अदालत इस बात से असंतुष्ट है। अदालत ने कहा कि एक पुलिस बल जो अज्ञात अपराधियों की पहचान करने की उम्मीद करता है, वह अपने ही अधिकारियों को पहचानने में लाचारी नहीं दिखा सकता। शीतकालीन अवकाश के बाद 5 जनवरी के लिए मामला स्थगित
मामले की अगली सुनवाई शीतकालीन अवकाश के बाद 5 जनवरी 2026 को होगी। अदालत ने पंजाब के मुख्य सचिव को प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए एक अलग से पत्र लिखा है। यह मामला 2019-2020 का है, जब लॉटरी व्यापारी सुभाष केट्टी ने आरोप लगाया था कि कई पुलिस कर्मी लॉटरी विक्रेताओं से रिश्वत ले रहे थे। 2020 में हुआ मामला दर्ज केट्टी ने सबसे पहले उस समय के पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल से वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ संपर्क किया था। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसके बाद मार्च 2020 में अंततः एक मामला दर्ज किया गया। उनकी शिकायत के आधार पर एएसआई प्यारा लाल, एएसआई लखविंदर सिंह, एएसआई गुरचरण सिंह, एएसआई हरजिंदर सिंह, एएसआई सरबजीत सिंह, एएसआई रूपिंदर सिंह, हेड कांस्टेबल मेजर सिंह, कुलदीप सिंह, कांस्टेबल कुलवंत सिंह, होमगार्ड बलवीर चंद और परमजीत सिंह सहित कई पुलिस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (1) और 13 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया था। 1 नवंबर को परमजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनके खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई। एएसआई प्यारा सिंह को पुलिस ने क्लीन चिट दे दी। केट्टी ने मीडिया से कहा कि उन्होंने 28 पुलिस कर्मियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जो रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद हुए थे, लेकिन पुलिस ने केवल 11 के खिलाफ मामला दर्ज किया था। गौरतलब है कि केट्टी का नाम इस तरह के मामलों में पहली बार नहीं आया है। 2003 में उन्होंने और उनके सहयोगी बिट्टू चावला जिनकी बाद में मृत्यु हो गई थी। इसी तरह का एक स्टिंग ऑपरेशन किया था, जिसके कारण पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे।


