मनरेगा पर बदलाव के खिलाफ वाम दलों का प्रदर्शन:महात्मा गांधी के नाम से छेड़छाड़ का आरोप, राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

मनरेगा पर बदलाव के खिलाफ वाम दलों का प्रदर्शन:महात्मा गांधी के नाम से छेड़छाड़ का आरोप, राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

लखनऊ में संयुक्त वाम मोर्चा और कम्युनिस्ट दलों ने मनरेगा में प्रस्तावित बदलावों के विरोध में सोमवार को प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हटाकर उसकी मूल भावना को कमजोर कर रही है। इस दौरान राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से सौंपा गया। मनरेगा को कमजोर करने का आरोप वाम दलों का कहना है कि मनरेगा जैसी ऐतिहासिक योजना को समाप्त करने की दिशा में केंद्र सरकार कदम बढ़ा रही है। आरोप है कि सरकार ‘विकसित भारत रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)’ जैसे नए प्रावधानों के जरिए मनरेगा को धीरे-धीरे खत्म करना चाहती है, जिससे ग्रामीण मजदूरों और किसानों को नुकसान होगा। वित्तीय हिस्सेदारी पर सवाल प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मनरेगा में अब केंद्र और राज्य सरकारों की वित्तीय हिस्सेदारी बदली जा रही है। इससे पहले जहां केंद्र सरकार का बड़ा योगदान था, वहीं नए प्रस्तावों में राज्यों पर अधिक बोझ डाला जा रहा है। वाम दलों का आरोप है कि कर्ज में डूबी राज्य सरकारें इस व्यवस्था को संभाल नहीं पाएंगी, जिससे योजना अपने आप कमजोर हो जाएगी। ग्रामीण मजदूरों के भविष्य की चिंता वाम मोर्चा नेताओं ने कहा कि मनरेगा करोड़ों ग्रामीण मजदूरों के लिए रोजगार की गारंटी है। अगर यह योजना कमजोर हुई तो ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी और पलायन बढ़ेगा। उन्होंने इसे मजदूर विरोधी कदम बताया। प्रदर्शन के माध्यम से वाम दलों ने दो प्रमुख मांगें रखीं— विकसित भारत रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) बिल को तत्काल वापस लिया जाए। मनरेगा जैसी ऐतिहासिक और जनहितकारी योजना को बिना बदलाव के जारी रखा जाए। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

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