पांच दिन पहले ब्रह्मपोल में नगर निगम की जमीन खाली कराने के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। जिन सात लोगों को अवैध कब्जेदार बताकर निगम ने तोड़फोड़ कर हटाया था, उन्हीं लोगों ने अब नगर निगम, यूडीए और कलेक्टर को नोटिस भेजा है। नोटिस में कार्रवाई रोकने, बेदखल नहीं करने और हुए नुकसान के एवज में 10 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की गई है। नोटिस भेजने वालों में ब्रह्मपोल निवासी कब्जाधारी राकेश, कुंदन, भागवंती देवी, लक्ष्मी देवी, सीता देवी, लोकेश और गोपाल शामिल हैं। नोटिस में दावा किया गया है कि ब्रह्मपोल की जमीन पर पिछले 400 साल से उनकी पीढ़ियों का कब्जा है। यहां पत्थर की पट्टियों की टाल और पत्थर के गोदाम का संचालन किया जा रहा था। उनके पूर्वज उंकारलाल के समय से यहां व्यवसाय चल रहा है। नोटिस के अनुसार, उंकारलाल के खिलाफ अब्दुल मजीद ने वर्ष 1979 में मामला दर्ज कराया था। 1980 में कोर्ट ने जमीन पर उंकारलाल का कब्जा मानते हुए उन्हें दोषमुक्त कर दिया था। इसके बाद गोपाल सिंह समेत चार पक्षकारों ने जमीन को अपनी बताते हुए उंकारलाल के खिलाफ बेदखली का वाद दायर किया। वर्ष 2004 में कोर्ट ने बेदखली पर स्टे दे दिया था। वर्तमान में यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है, जिसकी अगली सुनवाई 21 मई 2026 को तय है। पार्किंग बनाने की है योजना
गत 20 दिसंबर को नगर निगम ने ब्रह्मपोल में अपनी 2 बीघा जमीन बताते हुए कब्जा हटाने की कार्रवाई की थी। अवैध कब्जे की शिकायत शहर विधायक ताराचंद जैन ने निगम आयुक्त से की थी, जिसके बाद निगम ने कार्रवाई की। निगम का कहना है कि शहर में बढ़ती भीड़ को देखते हुए खाली कराई गई जमीन पर पार्किंग विकसित करने की योजना है।


