क्या बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाकर उपेंद्र कुशवाहा फंस गए हैं? इस सवाल पर से पर्दा तो कुछ महीने या साल बाद उठेगा। लेकिन इतना तय है कि पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) में सब ठीक नहीं है। विधायक कभी भी साथ छोड़ सकते हैं। इसका संकेत तब मिला जब कुशवाहा की लिट्टी-चोखा पार्टी छोड़कर उनके 3 विधायक माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से मिले। तीनों विधायकों ने भास्कर से बातचीत में अपनी नाराजगी की बातों को स्वीकार भी किया। आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में जानेंगे, बेटे को मंत्री बनाने से उपेंद्र कुशवाहा को 3 बड़े नुकसान हैं…। नुकसान-1ः हाथ से छिटक सकता है कुशवाहा समाज उपेंद्र कुशवाहा कोइरी/कुशवाहा समाज से आते हैं। बिहार में कोइरी समाज की आबादी 4.2% है। इनका मगध, शाहाबाद, सीवान, भागलपुर-बांका, पूर्णिया, बेतिया-मोतिहारी एरिया की 40 से 45 सीटों पर प्रभाव है। कोइरी समाज पर उपेंद्र कुशवाहा की पकड़ रही है। इसे आप आंकड़ों से समझिए… हालांकि, यह सब तब हुआ जब उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे को लॉंच नहीं किया था। अब वह बिना किसी सदन (विधानसभा/विधान परिषद) के सदस्य रहे अपने बेटे दीपक प्रकाश को पंचायती राज मंत्री बना दिया है। नागमणि वाली गलती कर रहे उपेंद्र, सम्राट को फायदा प्रो. प्रमोद रंजन कहते हैं, ‘कोइरी राजनीतिक रूप से जागरूक समाज है। एक जमाने में नागमणि समाज के बड़े लीडर थे। लेकिन वह खुद स्थिर राजनीति नहीं कर सके। बार-बार गठबंधन और पार्टी बदलते थे। इसको देखते हुए समाज उनसे दूर हुआ।’ नुकसान-2ः टूट सकती है कुशवाहा की पार्टी 4 में से 3 विधायकों माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा से बातचीत बंद कर दी है। 24 दिसंबर को आयोजित लिट्टी-चोखा पार्टी में भी नहीं गए। जबकि, उसी समय तीनों विधायक भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से पटना स्थित आवास पर मुलाकात की। नितिन नबीन से मुलाकात की फोटो भी जारी की और दिल्ली रवाना हो गए। भास्कर से तीनों विधायकों ने साफ तौर पर पार्टी छोड़ने की बात तो नहीं कही, लेकिन दीपक प्रकाश को मंत्री बनाने से नाराजगी की बात स्वीकार की। साथ छोड़ेंगे तो नहीं जाएगी विधायकी तीनों विधायकों से बातचीत के बाद यह तय है कि वह अब कुशवाहा के साथ ज्यादा दिन नहीं रहेंगे। मतलब कुशवाहा की पार्टी RLM टूट सकती है। इस नियम के मुताबिक, RLM के 3 विधायक अगर कोई पार्टी बनाते हैं या किसी पार्टी में विलय करते हैं तो उनकी सदस्यता नहीं जाएगी। क्योंकि कुल 4 विधायक ही हैं। इसमें से 3 मतलब दो-तिहाई। अब तक 8 बड़े नेताओं ने दिया इस्तीफा नुकसान-3ः जा सकती है राज्यसभा की सीट 2024 लोकसभा चुनाव हारने के बाद अगस्त 2024 में उपेंद्र कुशवाहा को NDA ने राज्यसभा भेज दिया था। उनका कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 को खत्म हो रहा है। पार्टी में नाराजगी को देखते हुए संभावना व्यक्त की जा रही है कि कुशवाहा को भाजपा इस बार अपने कोटे से राज्यसभा नहीं भेज सकती है। अंदरखाने चर्चा है कि नीतीश कुमार की नजर राज्यसभा की 3 सीटों पर है। क्या बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाकर उपेंद्र कुशवाहा फंस गए हैं? इस सवाल पर से पर्दा तो कुछ महीने या साल बाद उठेगा। लेकिन इतना तय है कि पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) में सब ठीक नहीं है। विधायक कभी भी साथ छोड़ सकते हैं। इसका संकेत तब मिला जब कुशवाहा की लिट्टी-चोखा पार्टी छोड़कर उनके 3 विधायक माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से मिले। तीनों विधायकों ने भास्कर से बातचीत में अपनी नाराजगी की बातों को स्वीकार भी किया। आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में जानेंगे, बेटे को मंत्री बनाने से उपेंद्र कुशवाहा को 3 बड़े नुकसान हैं…। नुकसान-1ः हाथ से छिटक सकता है कुशवाहा समाज उपेंद्र कुशवाहा कोइरी/कुशवाहा समाज से आते हैं। बिहार में कोइरी समाज की आबादी 4.2% है। इनका मगध, शाहाबाद, सीवान, भागलपुर-बांका, पूर्णिया, बेतिया-मोतिहारी एरिया की 40 से 45 सीटों पर प्रभाव है। कोइरी समाज पर उपेंद्र कुशवाहा की पकड़ रही है। इसे आप आंकड़ों से समझिए… हालांकि, यह सब तब हुआ जब उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे को लॉंच नहीं किया था। अब वह बिना किसी सदन (विधानसभा/विधान परिषद) के सदस्य रहे अपने बेटे दीपक प्रकाश को पंचायती राज मंत्री बना दिया है। नागमणि वाली गलती कर रहे उपेंद्र, सम्राट को फायदा प्रो. प्रमोद रंजन कहते हैं, ‘कोइरी राजनीतिक रूप से जागरूक समाज है। एक जमाने में नागमणि समाज के बड़े लीडर थे। लेकिन वह खुद स्थिर राजनीति नहीं कर सके। बार-बार गठबंधन और पार्टी बदलते थे। इसको देखते हुए समाज उनसे दूर हुआ।’ नुकसान-2ः टूट सकती है कुशवाहा की पार्टी 4 में से 3 विधायकों माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा से बातचीत बंद कर दी है। 24 दिसंबर को आयोजित लिट्टी-चोखा पार्टी में भी नहीं गए। जबकि, उसी समय तीनों विधायक भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से पटना स्थित आवास पर मुलाकात की। नितिन नबीन से मुलाकात की फोटो भी जारी की और दिल्ली रवाना हो गए। भास्कर से तीनों विधायकों ने साफ तौर पर पार्टी छोड़ने की बात तो नहीं कही, लेकिन दीपक प्रकाश को मंत्री बनाने से नाराजगी की बात स्वीकार की। साथ छोड़ेंगे तो नहीं जाएगी विधायकी तीनों विधायकों से बातचीत के बाद यह तय है कि वह अब कुशवाहा के साथ ज्यादा दिन नहीं रहेंगे। मतलब कुशवाहा की पार्टी RLM टूट सकती है। इस नियम के मुताबिक, RLM के 3 विधायक अगर कोई पार्टी बनाते हैं या किसी पार्टी में विलय करते हैं तो उनकी सदस्यता नहीं जाएगी। क्योंकि कुल 4 विधायक ही हैं। इसमें से 3 मतलब दो-तिहाई। अब तक 8 बड़े नेताओं ने दिया इस्तीफा नुकसान-3ः जा सकती है राज्यसभा की सीट 2024 लोकसभा चुनाव हारने के बाद अगस्त 2024 में उपेंद्र कुशवाहा को NDA ने राज्यसभा भेज दिया था। उनका कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 को खत्म हो रहा है। पार्टी में नाराजगी को देखते हुए संभावना व्यक्त की जा रही है कि कुशवाहा को भाजपा इस बार अपने कोटे से राज्यसभा नहीं भेज सकती है। अंदरखाने चर्चा है कि नीतीश कुमार की नजर राज्यसभा की 3 सीटों पर है।


