17 साल बाद बांग्लादेश लौट रहे खालिदा जिया के बेटे:एक लाख कार्यकर्ता करेंगे स्वागत, प्रधानमंत्री बनने के सबसे बड़े दावेदार

17 साल बाद बांग्लादेश लौट रहे खालिदा जिया के बेटे:एक लाख कार्यकर्ता करेंगे स्वागत, प्रधानमंत्री बनने के सबसे बड़े दावेदार

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान आज 17 साल बाद देश लौटेंगे। एयरपोर्ट के पास उनका स्वागत करने के लिए उनकी पार्टी BNP के 1 लाख कार्यकर्ता जुटेंगे। रहमान गिरफ्तारी से बचने के लिए 2008 में लंदन भाग गए थे। तब हसीना सरकार में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे थे। बांग्लादेश में अगले साल 12 फरवरी को आम चुनाव होने हैं। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को बैन कर दिया गया है। ऐसे में बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) चुनाव जीतने की सबसे बड़ी दावेदार है। BNP की अध्यक्ष खालिदा जिया की उम्र 80 साल हो चुकी है और बहुत बीमार चल रही हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि रहमान अगले PM के दावेदार हो सकते हैं। पूरे देश में स्वागत की तैयारियां, ढाका जाने वाले रास्ते 2 दिन बंद रहेंगे तारिक रहमान 25 दिसंबर को बांग्लादेश पहुंचेंगे। उनके स्वागत के लिए BNP के एक लाख से ज्यादा कार्यकर्ता ढाका एयरपोर्ट के पास मौजूद रहेंगे। तारिक की वापसी के चलते ढाका पहुंचने वाले रास्ते 25 दिसंबर की दोपहर से 26 दिसंबर की शाम तक बंद रहेंगे। तारिक रहमान पहले ही फरवरी 2025 का आम चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। 26 दिसंबर को वे बोगुरा में अपने पिता की कब्र पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और उसी दिन बोगुरा सीट से अपना चुनावी नामांकन दाखिल करेंगे। रहमान के बांग्लादेश लौटने के क्या मायने? जून में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने अपनी यूके की यात्रा के दौरान तारिक रहमान से मुलाकात की थी। बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मुलाकात के बाद से उन्हें बांग्लादेश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है। तारिक रहमान की मां खालिदा जिया की उम्र 80 साल है। वे लंबे समय से बीमार चल रहीं हैं और फिलहाल आईसीयू में भर्ती हैं। खालिदा ने नवंबर में चुनाव प्रचार का ऐलान किया था, जिसके कुछ ही दिनों बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई। अभी तारिक BNP के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। वे बांग्लादेश लौटकर पार्टी की कमान अपने हाथ में ले सकते हैं। 15 दिसंबर 2025 को लंदन से एक वर्चुअली आयोजित सभा में चुनावों को लेकर उन्होंने कहा था, ये कोई साधारण चुनाव नहीं है, बल्कि पहले के किसी भी चुनाव से बेहद जटिल और महत्वपूर्ण है। अगला दशक परिवर्तन का दशक होगा। शेख हसीना की पार्टी पर बैन लगने के बाद BNP बांग्लादेश की सबसे बड़ी पार्टी मानी जा रही है। यूनुस सरकार बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार अमेरिकी एंबेसेडर सर्जियो गोर को आश्वासन दे चुके हैं कि चुनाव तय की गई तारीख 12 फरवरी 2026 को ही होंगे। रहमान को चुनाव में कौन चुनौती देगा? जुलाई 2024 में शेख हसीना के खिलाफ हुए आंदोलन में बांग्लादेशी इस्लामिक संगठन जमात-ए-इस्लामी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। हसीना सरकार ने हिंसा भड़काने के आरोप में जमात और उसके छात्र संगठन इस्लामी छात्र शिबिर पर बैन लगा दिया था। हालांकि, अगस्त 2024 में अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी से बैन हटा दिया था और जून 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी का रजिस्ट्रेशन भी बहाल कर दिया था। जमात-ए-इस्लामी के छात्र संगठन से जुड़े युवाओं ने हसीना के देश छोड़ने के बाद नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) का गठन किया, जिसके कुछ नेता बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार में भी शामिल हैं। अवामी लीग के चुनावी मैदान में न होने के बाद BNP के सामने NCP ही एकमात्र प्रमुख चुनौती मानी जा रही है। हालांकि, बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जमात-ए-इस्लामी का पिछले चुनावों में समर्थन इतना अच्छा नहीं रहा कि वो अकेले अपने दम पर चुनाव जीत पाए। भारत पर क्या असर पड़ेगा? जेएनयू में इंटरनेशनल स्टडीज के प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक, तारिक रहमान का ऐसे समय में बांग्लादेश लौटना बड़ी घटना है। हालांकि, उनके पीएम बनने को लेकर इतनी जल्दी कुछ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि जमात-ए-इस्लामी भी अपना पीएम कैंडिडेट खड़ा करने की तैयारी में है। राजन बताते हैं कि यदि इन सबके बाद भी तारिक प्रधानमंत्री बन जाते हैं, तो भारत को बांग्लादेश के मुद्दे पर अपनी डिप्लोमेसी तेज करनी होगी, क्योंकि तारिक के कार्यकाल में इस्लामिक कट्टरपंथियों को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे बांग्लादेशी हिंदू प्रभावित होंगे। वे पाकिस्तान के साथ काफी समय से होल्ड पर रखे गए डिफेंस एग्रीमेंट पर साइन कर सकते हैं, जिससे बांग्लादेशी सीमा से लगे राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम की सुरक्षा करना भारत के लिए चुनौती बन सकता है। बांग्लादेश से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… भाई का आरोप- हादी की हत्या यूनुस सरकार ने करवाई:ऐसा चुनाव रोकने के लिए किया; बांग्लादेश में 2 महीने में इलेक्शन होने हैं भारत और शेख हसीना विरोधी बांग्लादेशी नेता उस्मान हादी की हत्या के मामले में उनके भाई शरीफ उमर हादी ने यूनुस सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उमर हादी ने कहा कि सरकार के अंदर कुछ ताकतें ही उस्मान हादी की हत्या के पीछे है। वो आने वाले राष्ट्रीय चुनाव को पटरी से उतारना चाहते हैं। पढ़ें पूरी खबर…

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