करणी सेना ने नए राजनीतिक दल का ऐलान किया:भीम आर्मी ने ‘राजनीतिक रोटी सेंकने’ का आरोप लगाया, भाजपा ने भी साधा निशाना

हरदा में रविवार को करणी सेना ने जनक्रांति आंदोलन के दौरान एक नए राजनीतिक दल के गठन की घोषणा की। यह शक्ति प्रदर्शन गत जुलाई माह में हरदा में हुई लाठीचार्ज की घटना और 21 सूत्रीय मांगों को लेकर किया गया था। आंदोलन में मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान, हरियाणा सहित अन्य राज्यों से हजारों करणी सैनिक शामिल हुए। आंदोलन के दौरान करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवनसिंह शेरपुर ने मंच से करणी सैनिकों के समर्थन से नए राजनीतिक दल के गठन का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अब किसी भी राजनीतिक दल पर भरोसा नहीं किया जाएगा और सर्व समाज को साथ लेकर अपना दल बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि न्याय नहीं मिला और मांगें पूरी नहीं हुईं, तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे जाएंगे, ताकि जनहित की आवाज सदन तक पहुंचाई जा सके। जीवनसिंह बोले- लव मैरिज माता-पिता की अनुमति जरूरी अध्यक्ष जीवनसिंह शेरपुर ने कहा कि लव मैरिज में माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होनी चाहिए। उन्होंने नेताओं की बेटियों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे उनकी लड़ाई भी लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर सहमत नहीं है। वहीं करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसका जवाब दिया जाएगा। उन्होंने 21 सूत्रीय मांगों को मनवाने के लिए दिल्ली घेराव की बात कही। भीम आर्मी ने आंदोलन को बाबा साहेब के विचारों के खिलाफ बताया करणी सेना के जनक्रांति आंदोलन को लेकर भीम आर्मी के संभागीय अध्यक्ष महेंद्र काशिव ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन बाबा साहेब के विचारों के खिलाफ था और वे पहले भी इसका विरोध कर चुके हैं। काशिव ने आरोप लगाया कि करणी सेना ने सर्व समाज के लोगों को गुमराह कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकी है। उन्होंने 15 मार्च को एक बड़े आंदोलन की घोषणा भी की। भाजपा मंडल अध्यक्ष ने कहा- राजनीति में स्थापित होने की कोशिश सिराली भाजपा मंडल अध्यक्ष अनिल राजपूत ने कहा कि करणी सेना की यह लड़ाई समाज की नहीं, बल्कि खुद को राजनीति में स्थापित करने की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने सर्व समाज या करणी सैनिकों से बिना पूछे नए दल की घोषणा कर दी। राजपूत ने समाज से इस दिशा में सोचने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि 21 सूत्रीय मांगों में से अब तक केवल एक ही मांग मानी गई है, जबकि आंदोलन को सर्व समाज का समर्थन मिला था।

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