गोपालगंज में पछुआ हवा से बढ़ी कनकनी:तापमान में गिरावट, दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ी मुश्किलें

गोपालगंज में पछुआ हवा से बढ़ी कनकनी:तापमान में गिरावट, दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ी मुश्किलें

गोपालगंज जिले में पछुआ हवाओं के कारण कनकनी और गलन में भारी वृद्धि हुई है, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है। पहाड़ी क्षेत्रों से आ रही ठंडी हवाओं के कारण अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अनुसार, जिले में अधिकतम तापमान 23°C से 25°C के बीच रहने की संभावना है, जबकि न्यूनतम तापमान 12°C से 14°C के आसपास बना हुआ है। 6 दिसंबर 2025 को अधिकतम तापमान 24°C और न्यूनतम तापमान 12°C रहने का अनुमान है। दिन में धूप निकलने के बावजूद, पछुआ हवा के कारण उसका असर कम महसूस हो रहा है और शाम होते ही गलन बढ़ जाती है। अलाव का सहारा ले रहे लोग ठंड से बचाव के लिए लोग अलाव का सहारा ले रहे हैं। चौक-चौराहों, सार्वजनिक स्थानों और मुहल्लों में लोग आग जलाकर शरीर को गर्म करते देखे जा सकते हैं। इस ठंड का सर्वाधिक प्रभाव दिहाड़ी मजदूरों और गरीब तबके पर पड़ रहा है। मजदूरों को सुबह काम पर जाने में परेशानी हो रही है, जिससे वे समय पर काम शुरू नहीं कर पा रहे हैं। इससे उनकी दैनिक आय प्रभावित हो रही है। खुले में काम करने वाले निर्माण और कृषि श्रमिकों के लिए ठंड स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ा सकती है। काम कम मिलने और शारीरिक परेशानी के कारण मजदूरों के लिए जीवन यापन करना और कठिन हो गया है। बढ़ी हुई कनकनी के कारण आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है। प्रशासन से सार्वजनिक स्थानों पर जल्द से जल्द अलाव की व्यवस्था करने की मांग जोर पकड़ रही है। गोपालगंज जिले में पछुआ हवाओं के कारण कनकनी और गलन में भारी वृद्धि हुई है, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है। पहाड़ी क्षेत्रों से आ रही ठंडी हवाओं के कारण अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अनुसार, जिले में अधिकतम तापमान 23°C से 25°C के बीच रहने की संभावना है, जबकि न्यूनतम तापमान 12°C से 14°C के आसपास बना हुआ है। 6 दिसंबर 2025 को अधिकतम तापमान 24°C और न्यूनतम तापमान 12°C रहने का अनुमान है। दिन में धूप निकलने के बावजूद, पछुआ हवा के कारण उसका असर कम महसूस हो रहा है और शाम होते ही गलन बढ़ जाती है। अलाव का सहारा ले रहे लोग ठंड से बचाव के लिए लोग अलाव का सहारा ले रहे हैं। चौक-चौराहों, सार्वजनिक स्थानों और मुहल्लों में लोग आग जलाकर शरीर को गर्म करते देखे जा सकते हैं। इस ठंड का सर्वाधिक प्रभाव दिहाड़ी मजदूरों और गरीब तबके पर पड़ रहा है। मजदूरों को सुबह काम पर जाने में परेशानी हो रही है, जिससे वे समय पर काम शुरू नहीं कर पा रहे हैं। इससे उनकी दैनिक आय प्रभावित हो रही है। खुले में काम करने वाले निर्माण और कृषि श्रमिकों के लिए ठंड स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ा सकती है। काम कम मिलने और शारीरिक परेशानी के कारण मजदूरों के लिए जीवन यापन करना और कठिन हो गया है। बढ़ी हुई कनकनी के कारण आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है। प्रशासन से सार्वजनिक स्थानों पर जल्द से जल्द अलाव की व्यवस्था करने की मांग जोर पकड़ रही है।  

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