अजमेर दरगाह में 814वें उर्स के मौके पर रविवार को देश के विभिन्न हिस्सों से कलंदर और मलंग आए और जूलूस निकाला। यहां इन्होंने हैरतअंगेज करतब दिखाए। किसी ने जुबान में नुकीली लोहे की छड़ घुसा ली तो दूसरे ने गर्दन के आर-पार छड़ निकाल दी। एक कलंदर ने तो चाकू से आंख की पुतलियां बाहर निकाल दी, वहीं एक ने आंख में लोहे का सरिया डाल लिया। उर्स में कलंदरों ने चाबुक से शरीर पर चोट पहुंचाने जैसे करतब दिखाए। कलंदर व मलंग के ऐसे हैरतअंगेज नजारे देखकर हर कोई आश्चर्य चकित था। गंज स्थित गरीब नवाज के चिल्ले से शाम कलंदर व मलंगों के जुलूस की शुरुआत हुई। सबसे आगे कलंदर और मलंगों की एक टोली धारदार हथियारों और नुकीली वस्तुओं से करतब पेश करते हुए चल रहीं थीं। इन्हें देख कर लोग आश्चर्य चकित हो गए। कई कमजोर दिल वाले लोग इन करतब को नहीं देख पाए। सड़क के दोनों और लोगों का हुजूम था। बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद है। बैंड वादक ख्वाजा गरीब नवाज की शान में धुन बजा रहे है। ढोल वादक और नगाड़े वादक भी अपने फन का प्रदर्शन कर रहे है। देश के राष्ट्रीय ध्वज सहित विभिन्न रंगों के झंडे लेकर देश की अनेकता में एकता का संदेश दिया। ये मलंग कलंदर महरोली- दिल्ली से 450 किमी का सफर 18 दिन में पूरा कर अजमेर पहुंचे। दरगाह से जुलूस दिल्ली गेट पहुंचा। यहां जुलूस का स्वागत किया गया। गंज, दिल्ली गेट और दरगाह बाजार में भी कलंदर व मलंगों का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। यहां से जुलूस धान मंडी और दरगाह बाजार होते हुए रोशनी के वक्त से पहले दरगाह पहुंचा। दरगाह के निजाम गेट पर छड़ियों को लगाया। दरगाह पहुंच कर जुलूस का विसर्जन हुआ। (फोटो-वीडियो सहयोग : मोहम्मद नजीर कादरी) …… पढें ये खबर भी… अजमेर दरगाह से उतारा संदल, खोला जन्नति दरवाजा:चांद दिखाई देने पर आज रात से होगी उर्स की शुरुआत; जानिए-ट्रेफिक इंतजाम अजमेर गरीब नवाज के 814वें उर्स के मौके पर शनिवार रात को खुद्दाम ए ख्वाजा ने मजार शरीफ पर साल भर चढ़ाया संदल उतारा। इसे जायरीन में तकसीम किया गया। जन्नति दरवाजा खोल दिया गया है। रजब का चांद नजर आने पर रात से उर्स की शुरुआत होगी। अन्यथा कल पहली महफिल होगी। पूरी खबर पढें ख्वाजा साहब के 814वें उर्स का झंडा चढ़ाया, उमडे़ जायरीन: भीलवाड़ा का गौरी परिवार 82 वर्ष से निभा रहा परंपरा, तोप के 25 गोले दाग कर दी सलामी अजमेर में सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती उर्फ गरीब नवाज की दरगाह के बुलंद दरवाजे पर पारंपरिक झंडा रस्म की गई। भीलवाड़ा का गौरी परिवार 82 वर्षों से यह रस्म निभा रहा है। पूरी खबर पढें


