हरियाणा के रिटायर्ड IAS अशोक खेमका की मुश्किलें बढ़ीं:पिटीशन में दावा- वेयरहाउसिंग भर्तियों में हेराफेरी, क्लोजर रिपोर्ट में विरोधाभास; आईएएस साढ़ू ने दबाव बनाया

हरियाणा के रिटायर्ड IAS अशोक खेमका की मुश्किलें बढ़ीं:पिटीशन में दावा- वेयरहाउसिंग भर्तियों में हेराफेरी, क्लोजर रिपोर्ट में विरोधाभास; आईएएस साढ़ू ने दबाव बनाया

हरियाणा के चर्चित रिटायर्ड IAS अधिकारी अशोक खेमका की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। दरअसल, वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में की गई भर्तियों के मामले में पंचकूला कोर्ट में एक प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की गई है। इसमें इस पूरे मामले को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस पिटीशन में खेमका के रिश्तेदार IAS अधिकारी पंकज अग्रवाल के नाम का भी जिक्र किया गया है। अग्रवाल रिश्ते में खेमका के साढ़ू हैं। अग्रवाल अभी कृषि विभाग में प्रशासनिक सचिव हैं। पिटीशन में दावा है कि वेयरहाउसिंग की मौजूदा एमडी IAS अधिकारी डॉ. शालीन पंकज अग्रवाल के दबाव में काम कर रही हैं। याचिकाकर्ता ने इसके अलावा इस केस में क्लोजर रिपोर्ट को लेकर भी कई सवाल खड़े किए गए हैं। कोर्ट ने प्रोटेस्ट पिटीशन पर सुनवाई के बाद हरियाणा सरकार से जवाब तलब कर लिया है। साथ ही फरवरी में सुनवाई के लिए अगली डेट लगाई है। अशोक खेमका इसी साल 30 अप्रैल को रिटायर हुए हैं। उन्होंने अपने करियर में 33 साल में 57 बार तबादला झेला। हुड्डा सरकार में कॉरपोरेशन में अपात्रों की नियुक्ति का मामला
यह मामला हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में दो मैनेजर रैंक समेत 25 कर्मियों की नियुक्ति से जुड़ा है। साल 2009-10 में हुड्डा सरकार के दौरान यह भर्तियां हुई। तब खेमका वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के एमडी थे। विभाग की आंतरिक जांच में स्क्रीनिंग कमेटी ने इन भर्तियों को नियमों के खिलाफ बताया था। इस मामले में आवश्यकता मात्र एक अधिकारी की थी और नियुक्तियां दो को दी गईं। खेमका के बाद वेयरहाउसिंग के एमडी बने IAS अधिकारी संजीव वर्मा ने इस पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट तत्कालीन मुख्य सचिव संजीव कौशल और कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा को भेजी। जिसमें अशोक खेमका के खिलाफ चार्जशीट करने की सिफारिश की थी। संजीव वर्मा ने उन दोनों अधिकारियों को भी निलंबित करने की सिफारिश की थी, जिन्हें भर्ती किया था। यहां पढ़िए प्रोटेस्ट पिटीशन में क्या… 1. 26 अप्रैल 2022 को दर्ज हुई FIR
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट रविन्द्र कुमार इस मामले के प्रथम शिकायतकर्ता हैं। उन्होंने ही अब प्रोटेस्ट पिटीशन लगाई है। पिटीशन में लिखा है कि उन्होंने शिकायतों के आधार पर इस मामले में 26 अप्रैल 2022 को एफआईआर दर्ज कराई थी। 2009 में भर्ती विज्ञापन के सभी जरूरी नियमों के खिलाफ 2010 में निगम में प्रबंधक ग्रेड-1 के पद पर कई अवैध नियुक्तियां हुईं। 2. क्लोजर रिपोर्ट पर सवाल उठाए
पिटीशनर ने पुलिस की ओर से कोर्ट में लगाई गई क्लोजर रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। तर्क दिया है कि मामले की जांच कर रहे पंचकूला के सेक्टर-5 की पुलिस चौकी के प्रभारी ने पीसी अधिनियम, 1988 की धारा 17A के तहत मंजूरी लेने में सफल नहीं होने का बहाना किया है। उन्होंने आरोपी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला बंद करने के लिए एलडी चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, पंचकूला के समक्ष अनट्रेस्ड क्लोजर रिपोर्ट (UCR) दायर की है। इसकी सुनवाई 17 नवंबर 2025 को हो चुकी है। 3. इंटरव्यू कमेटी के लेटर को नजरअंदाज किया गया
पिटीशन में लिखा है कि पंचकूला के ACP विजय नेहरा जो तत्कालीन जांच अधिकारी थे, जानबूझकर अपराधों की जांच करने में विफल रहे। इस मामले में किसी भी अनुमति की जरूरत नहीं थी। यहां तक कि इंटरव्यू कमेटी के चेयरमैन आईएएस रोशन लाल ने भी हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव को 12 मई 2022 को एक लेटर लिखा था, जिसमें इन नियुक्तियों को गलत बताया गया था। 4. क्लोजर रिपोर्ट में कई विरोधाभास
प्रोटेस्ट पिटीशन में लिखा है कि पुलिस की ओर से दायर क्लोजर रिपोर्ट विरोधाभासों से भरी है। एक तरफ यह पीसी अधिनियम, 1988 की धारा 17A के तहत धारा की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ यह अन्य सह-आरोपी कर्मचारियों के संबंध में इस धारा पर पूरी तरह से चुप है, जिनके अनुमोदन प्राधिकारी हरियाणा राज्य भंडारण निगम के प्रबंध निदेशक हैं, जो खुद इस मामले में शिकायतकर्ता हैं। 5. गलत कोर्ट में दी गई क्लोजर रिपोर्ट
इस मामले में पीसी अधिनियम, 1988, आईपीसी की धारा 420 भी शामिल है। ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए एलडी सीजेएम कोर्ट को सुनने के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है, क्योंकि यह अधिकार क्षेत्र विशेष रूप से एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत को सौंपा गया है। 6. 5 महीने से कोर्ट में हो रही सुनवाई
प्रोटेस्ट पिटीशन में लिखा है कि उप-मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, पंचकूला पिछले 5 महीनों से पीसी अधिनियम, 1988 से जुड़े मामले की नियमित सुनवाई कर रहे हैं। उन्होंने हरियाणा राज्य भंडारण निगम के प्रबंध निदेशक की ओर से वनीत चावला सचिव (सेवानिवृत्त) और मनोज कुमार सचिव के बयान भी कानून के प्रावधानों के विरुद्ध दर्ज किए हैं, क्योंकि वे खुद को अधिकृत शिकायतकर्ता होने का दावा नहीं कर सकते थे। 7. खेमका के एक आईएएस रिश्तेदार का भी नाम
पिटीशन में दावा है कि खेमका के आईएएस रिश्तेदार अपने अधीनस्थ एक आईएएस अधिकारी पर दबाव बना रहे हैं। इस मामले में एचएसडब्ल्यूसी एमडी अपने अधिकारियों के माध्यम से पूरी तरह से गलत और झूठे बयान दर्ज करवाकर अदालत को गुमराह कर रहे हैं। अब यहां पढ़िए कोर्ट ने क्या कहा…
पंचकूला कोर्ट की चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अर्पणा भारद्वाज ने अपने आदेश में लिखा- प्रथम शिकायतकर्ता रविन्द्र कुमार की ओर से मामले को विशेष अधिकार क्षेत्र वाली एक सक्षम अदालत में स्थानांतरित करने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया गया है। अब, इस आवेदन पर जवाब दाखिल करने के लिए 6 फरवरी 2026 की डेट तय की गई है। सरकार को इस डेट को इस पूरे मामले में अपना जवाब दाखिल करना होगा। अब पढ़िए कौन हैं अशोक खेमका और क्यों चर्चा में रहे.. कोलकाता में जन्म, पिता जूट मिल में क्लर्क थे
अशोक खेमका मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले हैं। पिता शंकरलाल खेमका जूट मिल में क्‍लर्क थे। अशोक खेमका ने IIT खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन की। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से कंप्यूटर साइंस में PHD और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और फाइनेंस में MBA की। सिविल सेवा में आने से पहले उन्होंने IIT खड़गपुर में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में टॉप किया था। 1990 में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विसेज परीक्षा पास की। 1991 बैच के IAS अधिकारी बने और हरियाणा कैडर अलॉट किया गया। 2012 में रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े जमीन सौदे का म्यूटेशन रद्द किया
साल 2012 में अशोक खेमका उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उन्‍होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े एक जमीन के सौदे के म्यूटेशन को रद्द कर दिया। रॉबर्ट वाड्रा और DLF के बीच ये सौदा फरवरी 2008 में हुआ था। रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुरुग्राम के मानेसर-शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपए में करीब 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। इस प्लॉट का म्यूटेशन अगले ही दिन स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी के पक्ष में कर दिया गया और 24 घंटे के अंदर जमीन का मालिकाना हक रॉबर्ट वाड्रा को ट्रांसफर कर दिया गया। उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे। 2014 में बड़े वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था
साल 2014 में, जब खेमका परिवहन कमिश्नर थे, तो उन्होंने ऑटोमोबाइल और सफेद वस्तुओं के परिवहन के लिए बड़े आकार के ट्रकों और ट्रेलरों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया था। उनके इस फैसले से ट्रक चालकों ने हड़ताल कर दी थी। बाद में राज्य सरकार ने उन्हें केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली (सीएमवीआर) 1989 के अनुसार अपने वाहनों में फेरबदल करने के लिए एक साल का समय दिया था। इसके बाद ट्रक संचालकों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी। 2023 में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विजिलेंस में तैनाती मांगी
साल 2023 में अशोक खेमका ने पूर्व सीएम मनोहर लाल को पत्र लिखकर विजिलेंस विभाग में तैनात करने की मांग की थी। पत्र में खेमका ने कहा था कि आप जानते हैं कि भ्रष्टाचार सर्वव्यापी है। जब मैं भ्रष्टाचार देखता हूं, तो यह मेरी आत्मा को पीड़ा देता है। कैंसर को जड़ से खत्म करने के उत्साह में मैंने अपने करियर का त्याग कर दिया है। कथित सरकारी नीति के अनुसार भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किए बिना, एक नागरिक का अपनी वास्तविक क्षमता हासिल करने का सपना कभी भी साकार नहीं हो सकता है।

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