पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम-1996 के तहत नियमावली बनाने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पंचायती राज विभाग के सचिव सशरीर कोर्ट में उपस्थित रहे। मामले में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि पंचायती राज विभाग ने पेसा नियमावली का प्रारूप कैबिनेट कोआर्डिनेशन कमेटी को भेजा था, लेकिन कमेटी ने उसमें कुछ त्रुटियां बताई थीं। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कमेटी द्वारा बताई गई त्रुटियों को दूर किया जा रहा है। एक सप्ताह के भीतर संशोधित नियमावली दोबारा कैबिनेट कोआर्डिनेशन कमेटी को भेजी जाएगी। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह का समय देते हुए मामले में विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखा। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने की सुनवाई मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने की। इससे पहले खंडपीठ ने राज्य सरकार को चेताया था कि पेसा नियमावली लागू करने को लेकर कोर्ट ने 29 जुलाई 2024 को आदेश जारी कर दो माह की समय-सीमा तय की थी। लेकिन अब तक नियमावली अधिसूचित नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा था कि नियमावली लागू करने में जो भी बाधाएं हैं, उन्हें जल्द दूर किया जाए। पेसा नियमावली को लेकर यह अवमानना याचिका आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से दायर की गई है। मंच की ओर से कहा गया था कि कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक नियमावली को अधिसूचित नहीं किया है, जो न्यायालय की अवमानना है। 2024 में हाईकोर्ट ने दिया था लागू करने का आदेश गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2024 में ही राज्य सरकार को दो माह के भीतर पेसा नियमावली अधिसूचित करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि संविधान के 73वें संशोधन के उद्देश्यों और पेसा कानून के प्रावधानों के अनुरूप नियमावली तैयार कर लागू की जानी चाहिए। वर्ष 1996 में केंद्र सरकार ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम यानी पेसा कानून लागू किया था, जिसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना था। लेकिन एकीकृत बिहार और झारखंड गठन के बाद से अब तक राज्य सरकार ने इस कानून के तहत नियमावली नहीं बनाई है। वर्ष 2019 और 2023 में नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किया गया था, लेकिन उसे अधिसूचित नहीं किया गया। नियमावली लागू न होने पर पहले जनहित याचिका और बाद में अवमानना याचिका दायर की गई। पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम-1996 के तहत नियमावली बनाने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पंचायती राज विभाग के सचिव सशरीर कोर्ट में उपस्थित रहे। मामले में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि पंचायती राज विभाग ने पेसा नियमावली का प्रारूप कैबिनेट कोआर्डिनेशन कमेटी को भेजा था, लेकिन कमेटी ने उसमें कुछ त्रुटियां बताई थीं। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कमेटी द्वारा बताई गई त्रुटियों को दूर किया जा रहा है। एक सप्ताह के भीतर संशोधित नियमावली दोबारा कैबिनेट कोआर्डिनेशन कमेटी को भेजी जाएगी। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह का समय देते हुए मामले में विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखा। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने की सुनवाई मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने की। इससे पहले खंडपीठ ने राज्य सरकार को चेताया था कि पेसा नियमावली लागू करने को लेकर कोर्ट ने 29 जुलाई 2024 को आदेश जारी कर दो माह की समय-सीमा तय की थी। लेकिन अब तक नियमावली अधिसूचित नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा था कि नियमावली लागू करने में जो भी बाधाएं हैं, उन्हें जल्द दूर किया जाए। पेसा नियमावली को लेकर यह अवमानना याचिका आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से दायर की गई है। मंच की ओर से कहा गया था कि कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक नियमावली को अधिसूचित नहीं किया है, जो न्यायालय की अवमानना है। 2024 में हाईकोर्ट ने दिया था लागू करने का आदेश गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2024 में ही राज्य सरकार को दो माह के भीतर पेसा नियमावली अधिसूचित करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि संविधान के 73वें संशोधन के उद्देश्यों और पेसा कानून के प्रावधानों के अनुरूप नियमावली तैयार कर लागू की जानी चाहिए। वर्ष 1996 में केंद्र सरकार ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम यानी पेसा कानून लागू किया था, जिसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना था। लेकिन एकीकृत बिहार और झारखंड गठन के बाद से अब तक राज्य सरकार ने इस कानून के तहत नियमावली नहीं बनाई है। वर्ष 2019 और 2023 में नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किया गया था, लेकिन उसे अधिसूचित नहीं किया गया। नियमावली लागू न होने पर पहले जनहित याचिका और बाद में अवमानना याचिका दायर की गई।


