जामताड़ा सुबल मंडल दिहाड़ी मजदूर से बने किसान:छत्तीसगढ़ से कलमी पौधा मंगवा कर लगाया, अब मेहनत लाने लगी‎ रंग, दे रहे रोजगार

जामताड़ा सुबल मंडल दिहाड़ी मजदूर से बने किसान:छत्तीसगढ़ से कलमी पौधा मंगवा कर लगाया, अब मेहनत लाने लगी‎ रंग, दे रहे रोजगार

मैं नारायणपुर प्रखंड के मदनाडीह गांव का एक साधारण किसान हूं। किसान‎ से पहले दिहाड़ी मजदूर था। अपने खेतों में भी साधारण और पारंपरिक तरीके से खेती कर सब्जी उगाता था।‎ धीरे-धीरे हौसला बुलंद हुआ और नई तकनीकी से साथ खेती करने लगा। ड्रिप इरीगेशन से खेती का लाभ जाना।‎ साथ ही कृषि विभाग से संपर्क कर कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। छत्तीसगढ़ से इस बार 8000 ग्राफ्टेड‎ (कलमी) बैंगन और टमाटर के पौधा मंगवाया था। टपक सिंचाई प्रणाली के साथ-साथ ग्राफ्टेड विधि की खेती‎ सुनते थे। लेकिन अब खुद से कर रहे हैं। आज मेहनत रंग लाई है । मदनाडीह गांव में 2 एकड़ जमीन पर क्रॉप्टेड‎ टमाटर की खेती की है। 2 एकड़ जमीन में इन फसलों की खेती में करीब ढाई से 3 लाख रुपए की लागत आई है।‎ जबकि उत्पादन देखकर लगता है कि दोगुनी आय होगी। गांव में ही दे रहे लोगों को रोजगार सबसे खास बात यह है कि मेरी खेती में अब गांव के‎ चार पांच मजदूरों को रोजाना रोजगार भी मिल रहा है। टमाटर की फसल तैयार हो गई है। उपज खरीदने के लिए‎ मेरे खेत तक दूर-दूर के लोग व्यापारी आते हैं। आज जब लोग रोजगार के लिए राज्य से बाहर जा रहे हैं, खेत होते‎ हुए भी उन्हें तकनीकी की जानकारी से वंचित है। उन्हें में यही कहना चाहता हूं कि सरकार से मदद लेने की‎ कोशिश करें और घर पर रखकर ही खेती से आत्मनिर्भर होने की प्रयास करें। मेहनत और परिश्रम से पीछे नहीं हटे।‎‎ खेती के तरह-तरह तकनीकी सीखने के लिए अपने से ही प्रयास किया और जिला कृषि विभाग से भी कुछ‎ जानकारी हासिल की। अलग-अलग मौसम में, टमाटर बैंगन, खीरा, गोभी सहित अन्य फसल उपजाते हैं। खेती से‎ मेरा यह अनुभव हुआ की सिंचाई करने का तरीका सीखे। यह भी जाना कि कम पानी में कैसे अधिक सिंचाई की‎ जा सकती है। जिससे पानी की बर्बादी नहीं होगी। इसमें टपक सिंचाई प्रणाली से मदद मिली। किस मिट्टी में कौन‎ सी फसल लगाएं। कब खाद दें, पटवन कितने अंतराल पर करें, यह सब जाना।‎ खेती में सिंचाई व खाद के उपयोग जानना बहुत जरूरी‎ मैं खेती में बेहतर करने के ​सिलसिले में दो-तीन बार पलांडू रांची गया। वहां जाकर खेती करने के तरीके देखे।‎ उसे अपने यहां अपनाया। ग्राफ्टेड पौधे को हम डंडे या रस्सी का सहारा देकर एक ही पौधे से कई बार फसल ने‎ सकते हैं। टपक सिंचाई का उपयोग किया है जिससे जमीन की नमी बनी रहती है। पहले सामान्य पौधे की खेती की‎ करते थे। उसमें 10% पौधे मर जाते थे और नुकसान उठाना पड़ता था। लेकिन ग्राफ्टेड पौधे का यही सुविधा है कि‎ नुकसान नहीं होता है।‎ जानिए… कौन हैं सुबल मंडल‎ किसान सुबल मंडल शुरुआत से ही खेती में तन मन लगाए हैं। उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई की है। दूसरे के‎ घरों पर भी खेती पर भी मजदूरी करते थे। घर में कुल चार सदस्य हैं। परिवार में दो बेटी, पत्नी हैं। पत्नी भी गृह‎ कार्य के अलावे खेती के कार्य में मदद करती हैं। कभी ऐसा समय था कि खेती करने और परिवार का भरण‎ पोषण गरीबी के कारण संभव नहीं था।आज वे किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। टपक विधि और उन्नत खेती की‎ ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। उनके बच्चे भी पढ़ाई के साथ साथ खेती की उन्नत तकनीक सीख रहे हैं।‎‎

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