जगराओं नगर कौंसिल पर पूरे शहर को साफ रखने की जिम्मेदारी है, वही नगर कौंसिल परिसर आज खुद कूड़े के पहाड़ों में दबी हुई है। जगराओं नगर कौंसिल दफ्तर अब प्रशासनिक भवन नहीं, बल्कि पूरे शहर का आधिकारिक कूड़ा डंप बन चुका है। बदबू इतनी जहरीली है कि पास से गुजरना मुश्किल हो गया है, लेकिन जिम्मेदार अफसरों की नाक पर जूं तक नहीं रेंग रही। हालात इतने भयावह हैं कि नगर कौंसिल दफ्तर के पीछे बने अस्पताल में भर्ती मरीज बदबू, मक्खियों और संक्रमण के साए में इलाज करवाने को मजबूर हैं। जिसके चलते डॉक्टर और पार्षद ने लोगों के साथ धरना लगा दिया। डॉक्टर सड़क पर, अफसर एसी कमरों में जब प्रशासन सोता रहा, तब डॉक्टर किशन सिंह को अपने मरीजों के लिए सड़क पर उतरना पड़ा। किशन अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ ने नगर कौंसिल के मेन गेट पर धरना लगा दिया। डॉक्टर के धरने पर बैठते ही यह साफ हो गया कि मामला सामान्य नहीं, बल्कि सिस्टम की पूरी तरह फेल हो चुकी तस्वीर है। कूड़े के नाम पर करोड़ों का खेल धरने में शामिल पार्षद रविंदरपाल राजू ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि कूड़े के नाम पर लाखों नहीं, करोड़ों का खेल खेला गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर निष्पक्ष जांच हुई तो कई सफेदपोश और अधिकारी बेनकाब होंगे। राजू ने तंज कसते हुए कहा यह आप सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धि है कि नगर कौंसिल दफ्तर ही कूड़ा डंप बना दिया गया। जगराओं का नाम गिनीज बुक में दर्ज होना चाहिए। धरने से बंद हुआ नगर कौंसिल का रास्ता धरने के चलते नगर कौंसिल दफ्तर में आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई। गुस्साए लोगों ने तहसील रोड तक जाम कर दिया। नारे सीधे विधायक, नगर कौंसिल अधिकारियों और प्रशासनिक तंत्र के खिलाफ थे। सवाल साफ था अगर शहर का कूड़ा उठाया नहीं जा सकता, तो सत्ता किस काम की? इस्तीफा दो या सड़क पर बैठो डॉ. किशन सिंह का गुस्सा साफ शब्दों में फूटा, उन्होंने कहा कि पैसे जितने खाने हैं खा लो, लेकिन जनता की सेहत पर तो एक हो जाओ। जो पार्षद कूड़े की समस्या हल नहीं कर सकते, वे कुर्सी छोड़ें और हमारे साथ धरने पर बैठें। तहसीलदार के आश्वासन पर माने लोगों का बढ़ता गुस्सा देख दोपहर बाद मौके पर पहुंचे तहसीलदार राजिंदर भाटिया ने भरोसा दिया कि अब कौंसिल में कूडा नहीं फेंका जाएगा। वह इस मामले में एसडीएम से बात कर जल्द से जल्द समाधान निकालेंगे ताकि कौंसिल को कूडा मुक्त किया जा सके।


