नवादा के बेरौट (गोसपुर) गांव के लिए बुधवार का दिन कभी न भूलने वाला बन गया। गांव के लाल, आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के जांबाज जवान मनोज कुमार ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए देश और साथियों के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के घाटीगांव थाना क्षेत्र में हुए भीषण सड़क हादसे में मनोज कुमार शहीद हो गए। यह हादसा उस समय हुआ, जब वे अपनी बटालियन के बीमार साथियों को बेहतर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा रहे थे। मनोज कुमार की शहादत की खबर मिलते ही न सिर्फ उनके गांव, बल्कि पूरे नवादा जिले में शोक की लहर दौड़ गई। हर आंख नम है और हर दिल गर्व से भरा हुआ है कि गांव का बेटा अंतिम सांस तक अपने फर्ज पर अडिग रहा। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचेगा। कोहरे में हुआ दर्दनाक हादसा प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुधवार को ग्वालियर के घाटीगांव क्षेत्र में घना कोहरा छाया हुआ था। दृश्यता बेहद कम थी, जिससे सड़क पर चलना जोखिम भरा हो गया था। इसी दौरान मनोज कुमार जिस वाहन से अपने बीमार साथियों को अस्पताल ले जा रहे थे, वह सामने से खड़े एक ट्रक से टकरा गया। टक्कर इतनी भीषण थी कि मौके पर ही मनोज कुमार ने दम तोड़ दिया। इस हादसे में उन्होंने अपने साथियों की जान बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन स्वयं वीरगति को प्राप्त हो गए। यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक ऐसे सैनिक की कहानी है, जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने साथियों की सेवा को सर्वोपरि रखा। गांव पहुंची खबर, मातम में बदला उत्सव जैसे ही शहीद मनोज कुमार की शहादत की खबर बेरौट गांव पहुंची, पूरे गांव में कोहराम मच गया। विनोद गुप्ता के घर से रोने-चीखने की आवाजें गूंजने लगीं। मां की आंखें बेटे की राह ताकते-ताकते सूनी हो गईं और पिता का सीना गर्व और गम दोनों से भर गया। जिस बेटे की वर्दी पर पूरे गांव को नाज था, उसके तिरंगे में लिपटकर लौटने की खबर ने हर किसी को झकझोर दिया। आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग शहीद के घर पहुंच रहे हैं। हर कोई परिजनों को ढांढस बंधाने की कोशिश कर रहा है। गांव के बुजुर्गों से लेकर युवा तक, सभी की जुबां पर एक ही बात है- ‘मनोज ने आखिरी सांस तक अपने साथियों का साथ नहीं छोड़ा’ परिवार में शोक, भाई ग्वालियर रवाना शहादत की सूचना मिलते ही मनोज कुमार के छोटे भाई हरी कुमार तुरंत ग्वालियर के लिए रवाना हो गए हैं। परिजनों के अनुसार, शहीद जवान का पार्थिव शरीर गुरुवार को गांव लाए जाने की संभावना है। प्रशासन और सुरक्षा बलों की ओर से अंतिम सम्मान के साथ पार्थिव शरीर लाने की तैयारी की जा रही है। परिवार के लिए यह क्षण बेहद पीड़ादायक है, लेकिन साथ ही उन्हें इस बात का गर्व भी है कि उनका बेटा देश सेवा करते हुए शहीद हुआ। नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने दी श्रद्धांजलि शहीद मनोज कुमार की शहादत पर नवादा सांसद विवेक ठाकुर सहित कई जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। नेताओं ने कहा कि मनोज कुमार का बलिदान देश के लिए अमूल्य है और उनकी वीरता को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने शहीद के परिजनों को हर संभव सहायता देने का आश्वासन भी दिया। अमर हो गया गांव का लाल मनोज कुमार का यह बलिदान न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। एक फौजी वास्तव में आखिरी सांस तक देश और अपने साथियों के लिए जीता है—इस कथन को मनोज कुमार ने अपने जीवन से सत्य साबित कर दिया। नवादा का यह वीर सपूत अब भले ही हमारे बीच न हो, लेकिन उसकी बहादुरी, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा हमेशा यादों में अमर रहेगी। भारत माता का यह लाल शहीद होकर भी करोड़ों दिलों में जीवित रहेगा। नवादा के बेरौट (गोसपुर) गांव के लिए बुधवार का दिन कभी न भूलने वाला बन गया। गांव के लाल, आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के जांबाज जवान मनोज कुमार ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए देश और साथियों के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के घाटीगांव थाना क्षेत्र में हुए भीषण सड़क हादसे में मनोज कुमार शहीद हो गए। यह हादसा उस समय हुआ, जब वे अपनी बटालियन के बीमार साथियों को बेहतर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा रहे थे। मनोज कुमार की शहादत की खबर मिलते ही न सिर्फ उनके गांव, बल्कि पूरे नवादा जिले में शोक की लहर दौड़ गई। हर आंख नम है और हर दिल गर्व से भरा हुआ है कि गांव का बेटा अंतिम सांस तक अपने फर्ज पर अडिग रहा। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचेगा। कोहरे में हुआ दर्दनाक हादसा प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुधवार को ग्वालियर के घाटीगांव क्षेत्र में घना कोहरा छाया हुआ था। दृश्यता बेहद कम थी, जिससे सड़क पर चलना जोखिम भरा हो गया था। इसी दौरान मनोज कुमार जिस वाहन से अपने बीमार साथियों को अस्पताल ले जा रहे थे, वह सामने से खड़े एक ट्रक से टकरा गया। टक्कर इतनी भीषण थी कि मौके पर ही मनोज कुमार ने दम तोड़ दिया। इस हादसे में उन्होंने अपने साथियों की जान बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन स्वयं वीरगति को प्राप्त हो गए। यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक ऐसे सैनिक की कहानी है, जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने साथियों की सेवा को सर्वोपरि रखा। गांव पहुंची खबर, मातम में बदला उत्सव जैसे ही शहीद मनोज कुमार की शहादत की खबर बेरौट गांव पहुंची, पूरे गांव में कोहराम मच गया। विनोद गुप्ता के घर से रोने-चीखने की आवाजें गूंजने लगीं। मां की आंखें बेटे की राह ताकते-ताकते सूनी हो गईं और पिता का सीना गर्व और गम दोनों से भर गया। जिस बेटे की वर्दी पर पूरे गांव को नाज था, उसके तिरंगे में लिपटकर लौटने की खबर ने हर किसी को झकझोर दिया। आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग शहीद के घर पहुंच रहे हैं। हर कोई परिजनों को ढांढस बंधाने की कोशिश कर रहा है। गांव के बुजुर्गों से लेकर युवा तक, सभी की जुबां पर एक ही बात है- ‘मनोज ने आखिरी सांस तक अपने साथियों का साथ नहीं छोड़ा’ परिवार में शोक, भाई ग्वालियर रवाना शहादत की सूचना मिलते ही मनोज कुमार के छोटे भाई हरी कुमार तुरंत ग्वालियर के लिए रवाना हो गए हैं। परिजनों के अनुसार, शहीद जवान का पार्थिव शरीर गुरुवार को गांव लाए जाने की संभावना है। प्रशासन और सुरक्षा बलों की ओर से अंतिम सम्मान के साथ पार्थिव शरीर लाने की तैयारी की जा रही है। परिवार के लिए यह क्षण बेहद पीड़ादायक है, लेकिन साथ ही उन्हें इस बात का गर्व भी है कि उनका बेटा देश सेवा करते हुए शहीद हुआ। नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने दी श्रद्धांजलि शहीद मनोज कुमार की शहादत पर नवादा सांसद विवेक ठाकुर सहित कई जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। नेताओं ने कहा कि मनोज कुमार का बलिदान देश के लिए अमूल्य है और उनकी वीरता को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने शहीद के परिजनों को हर संभव सहायता देने का आश्वासन भी दिया। अमर हो गया गांव का लाल मनोज कुमार का यह बलिदान न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। एक फौजी वास्तव में आखिरी सांस तक देश और अपने साथियों के लिए जीता है—इस कथन को मनोज कुमार ने अपने जीवन से सत्य साबित कर दिया। नवादा का यह वीर सपूत अब भले ही हमारे बीच न हो, लेकिन उसकी बहादुरी, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा हमेशा यादों में अमर रहेगी। भारत माता का यह लाल शहीद होकर भी करोड़ों दिलों में जीवित रहेगा।


