भास्कर न्यूज | समस्तीपुर बिहार में लगातार बढ़ रही मजदूरों की कमी और खेती की बढ़ती लागत के बीच किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण नजर आई है। अब धान की कटिंग में मजदूरों की कमी नहीं खलेगी। उजियारपुर प्रखंड के रामपुर समथू स्थित समथू एफपीओ ने किसानों को राहत देने के उद्देश्य से इटली निर्मित अत्याधुनिक धान काटने की मशीन का सफल प्रदर्शन किया। इस मशीन ने मात्र एक घंटे में एक बीघा धान की कटाई कर उपस्थित किसानों और कृषि विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित कर दिया। अत्याधुनिक तकनीक से लैस यह मशीन तेज़, सटीक और कम लागत में फसल कटाई करने में सक्षम है। इससे किसानों की मजदूरों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी।समथू एफपीओ ने किसानों के हित में इसे मात्र 85 प्रति कट्ठा की दर से कटाई की सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा की है, ताकि छोटे और मध्यम वर्ग के किसान भी आधुनिक तकनीक का लाभ उठा सकें। जबकि मजदूर इसे 150 से 200 रूपए कट्ठा में काटते हैं। सीईओ अमरदीप कुमार ने कहा कि जब बिहार का किसान तकनीक से जुड़ेगा, तभी उसकी मेहनत का असली मूल्य मिलेगा। अब खेतों में मशीन चलेगी और किसान मुस्कुराएगा, यही है आत्मनिर्भर बिहार की दिशा। उन्होंने आगे कहा कि मजदूरों की कमी से जूझ रहे किसानों के लिए यह पहल न केवल राहत देने वाली है, बल्कि खेती को फिर से लाभकारी और सम्मानजनक पेशा बनाएगी। यहां मशीन ने संभाली मेहनत, वहां किसान ने पाई राहत। यही है आत्मनिर्भर बिहार की नई पहचान। यह पहल कृषि क्षेत्र में तकनीकी क्रांति की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। भास्कर न्यूज | समस्तीपुर बिहार में लगातार बढ़ रही मजदूरों की कमी और खेती की बढ़ती लागत के बीच किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण नजर आई है। अब धान की कटिंग में मजदूरों की कमी नहीं खलेगी। उजियारपुर प्रखंड के रामपुर समथू स्थित समथू एफपीओ ने किसानों को राहत देने के उद्देश्य से इटली निर्मित अत्याधुनिक धान काटने की मशीन का सफल प्रदर्शन किया। इस मशीन ने मात्र एक घंटे में एक बीघा धान की कटाई कर उपस्थित किसानों और कृषि विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित कर दिया। अत्याधुनिक तकनीक से लैस यह मशीन तेज़, सटीक और कम लागत में फसल कटाई करने में सक्षम है। इससे किसानों की मजदूरों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी।समथू एफपीओ ने किसानों के हित में इसे मात्र 85 प्रति कट्ठा की दर से कटाई की सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा की है, ताकि छोटे और मध्यम वर्ग के किसान भी आधुनिक तकनीक का लाभ उठा सकें। जबकि मजदूर इसे 150 से 200 रूपए कट्ठा में काटते हैं। सीईओ अमरदीप कुमार ने कहा कि जब बिहार का किसान तकनीक से जुड़ेगा, तभी उसकी मेहनत का असली मूल्य मिलेगा। अब खेतों में मशीन चलेगी और किसान मुस्कुराएगा, यही है आत्मनिर्भर बिहार की दिशा। उन्होंने आगे कहा कि मजदूरों की कमी से जूझ रहे किसानों के लिए यह पहल न केवल राहत देने वाली है, बल्कि खेती को फिर से लाभकारी और सम्मानजनक पेशा बनाएगी। यहां मशीन ने संभाली मेहनत, वहां किसान ने पाई राहत। यही है आत्मनिर्भर बिहार की नई पहचान। यह पहल कृषि क्षेत्र में तकनीकी क्रांति की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।


