कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम का इंटरव्यू:कोई एक आदमी हार की जवाबदेही तय नहीं करेगा, आलाकमान ने मुझे पार्टी मजबूत करने को कहा

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम का इंटरव्यू:कोई एक आदमी हार की जवाबदेही तय नहीं करेगा, आलाकमान ने मुझे पार्टी मजबूत करने को कहा

‘मेरे पद छोड़ने का सवाल कहां से आया? हाईकमान को जवाब दे चुका हूं। हमारे नेता को तय करना है। उन्होंने मुझे पार्टी मजबूत करने के लिए कहा है।’ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने से साफ इनकार कर दिया है। कांग्रेस 60 सीटों पर लड़ी, लेकिन 6 ही जीत सकी। राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक चुनाव प्रचार करने बिहार आए, लेकिन कोई नतीजे पक्ष में नहीं आए। भास्कर ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से बातचीत की। हमने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ रहे हैं कि नहीं? राजद के साथ कांग्रेस के रिश्ते आगे कैसे रहेंगे? कृष्णा अल्लावरू पर टिकट बांटने में रुपए लेने के आरोप लगे हैं? जैसे सवाल किए। पढ़िए इंटरव्यू… सवाल- इतनी बड़ी हार के पीछे कांग्रेस के अंदर कौन सा कारण रहा? जवाब- कैंडिडेट चयन की प्रक्रिया का पालन किया गया। पूरा काम पहले की तरह हुआ। जिला से प्रदेश स्तर स्क्रिनिंग कमेटी, ऑल इंडिया कमेटी तक। कमोबेश गठबंधन में अंतिम समय में अच्छे से कोआर्डिनेशन किया। सवाल- गठबंधन के अंदर कौन सी गलती हुई? जवाब- 6 पार्टियों के साथ कोआर्डिनेशन में हम लगे रहे। अंतिम समय में किसी के पास बहुत समय नहीं था। बेहतर कोआर्डिनेशन अंत समय में थोड़ा गड़बड़ा गया। हम कहेंगे कि तालमेल की कितनी भी कमी रही पर इंडिया गठबंधन के लोग ताकत से लड़े। हम सभी इलेक्शन में इन्वॉल्व हो गए, इसका असर चुनाव प्रचार अभियान पर पड़ा। ज्वाइंट कैंपेनिंग में दिक्कत यह थी कि अंडा की तरह नक्शा तैयार था सफेद अगल और येलो अलग। एक चुनाव औरंगाबाद में था तो दूसरा किशनगंज में। इससे चुनाव प्रचार में व्यावहारिक कठिनाई हुई। सवाल- दिल्ली की बैठक में कई कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि बिहार में कांग्रेस को अकेले चलना चाहिए, राजद का साथ छोड़े कांग्रेस। इस मांग की वजह क्या है? जवाब- कांग्रेस आंतरिक लोकतंत्र में विश्वास करती है। इस मुद्दे पर फैसला आलाकमान के पास छोड़ा गया है। यह मांग लोगों ने वहां रखी है। आरजेडी हमारी पार्टनर रही तो हमें उससे क्या दिक्कत होगी। 10-10 हजार रुपए बांटकर एनडीए चुनाव जीता गया। सवाल- आपने कहा कि चुनाव तक हमारा गठबंधन आरजेडी के साथ था। ये क्या बात हुई? जवाब- आरजेडी हो, सीपीआई हो, सीपीआई एमएल हो , वीआईपी हो, 6 पार्टियों का गठबंधन था। हर पार्टी चुनावी गठबंधन करती है। चुनाव के बाद हर पार्टी अपना-अपना विश्लेषण करती है। हमारा चुनावी गठबंधन ही रहता है। अब चार साल बाद लोकसभा और पांच साल बाद विधानसभा चुनाव के समय गठबंधन होगा। सवाल- आप कह रहे हैं कि अब आरजेडी के साथ अगला गठबंधन अगले चुनाव के समय तय होगा? जवाब- चुनाव के बाद सभी पार्टियां अपने-अपने मंथन में लग गईं हैं। सवाल- आप खखस कर (खुलकर) क्यों नहीं कह रहे? जवाब- हमारा चुनावी गठबंधन आरजेडी के साथ था। बिहार कांग्रेस अपनी मजबूती पर ध्यान दे रही है। अपना स्ट्रक्चर ठीक कर रहे हैं। सवाल- आरजेडी के साथ आप कोई संयुक्त कार्यक्रम नहीं करेंगे, जो करेंगे अकेले करेंगे? जवाब- ये तो हमेशा से होता आया है, लेकिन मनरेगा का नाम बदलने को लेकर पूरा विपक्ष एक स्वर में साथ है। सभी विपक्षी पार्टियां अपने-अपने तरह से विरोध कर रही हैं। सवाल- आरजेडी से आपलोगों को कोई दिक्कत नहीं है? जवाब- हम पहले साथ रहे हैं, आगे क्या प्रक्रिया होगी, उसको देखेंगे। बीजेपी-जेडीयू अलग-अलग पार्टी हैं, लेकिन वे गठबंधन में हैं। जरूरत के अनुसार यह होता है। सवाल- उनका गठबंधन इसलिए मजबूत है कि वे सरकार में हैं, आपलोग विपक्ष में हैं। आरजेडी-कांग्रेस के बीच की बात में फर्क है? जवाब- वे लोग इसलिए एकजुट हैं कि सभी चोर मिले हुए हैं। चोर-चोर मौसेरे भाई हैं। सवाल- आप सब एकजुट हैं तो एकसाथ सभी छह पार्टी मिलकर सत्ता पक्ष के खिलाफ कार्यक्रम करिएगा? जवाब- एकजुट होकर तो चुनाव लड़े ही, रिजल्ट चाहे जो हो। सवाल- आने वाले समय में एकजुट क्यों नहीं रहिएगा? जवाब- हम चुनाव के समय करेंगे जो करना है। सवाल- क्या तेजस्वी यादव को पूरे शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में उपस्थित रहना चाहिए था? जवाब- यह व्यक्तिगत व्यवहार है। सत्ता पक्ष के कई विधायक गैरमौजूद रहे। सवाल- हम नेता प्रतिपक्ष की बात कर रहे हैं, पूरे विपक्ष का दारोमदार इनपर है? जवाब- कई मंत्री गायब रहते हैं। सवाल- आप नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का बचाव कर रहे हैं? जवाब- मीडिया तो राहुल गांधी पर भी सवाल उठाती है। सवाल- आप कहना क्या चाहते हैं कि नेता प्रतिपक्ष को उस सदन में उपस्थित नहीं रहना चाहिए, जिस पर जनता के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं? जवाब- बिजनेस आवर तो था नहीं, शपथ ग्रहण ही तो था। सवाल- क्या बोल रहे हैं, 4-5 दिनों का सत्र था? सदन में तो हर विधायक को उपस्थित रहना चाहिए? जवाब- सत्ता पक्ष को वेल में आना चाहिए क्या, पिछली बार यही हुआ, माइक उखाड़ना चाहिए था सत्ता पक्ष को? सवाल- हम तो न्यूनतम की बात कर रहे हैं कि सदन में विधायक को उपस्थित रहना चाहिए, यही गरिमा है। जवाब- हम इस गरिमा पर सवाल उठा रहे हैं कि सत्ता पक्ष वेल में क्यों पिछली बार आया था। तब तो चर्चा नहीं हुई। ये भी उचित नहीं है। सवाल- कांग्रेस बिहार में अकेले चलने की स्थिति में है क्या? जवाब- हम संगठन को मजबूत बनाने में लगे हुए हैं। उसके बाद आपसे बात करेंगे। सवाल- अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य) जैसे नेता सवाल उठा रहे हैं और हार की जिम्मेदारी लेने की बात कर रहे हैं? जवाब- कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टी नहीं है। इसमें एक आदमी जो चाहेगा वह नहीं होगा। पार्टी तय करती है। कांग्रेस में बात रखने की स्वतंत्रता है। सवाल- बात तो यह उठी हुई है कि कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने रुपए लेकर टिकट बांटे, कितने रुपए लेकर टिकट बांटे गए? जवाब- ये सवाल सभी पार्टी में उठते रहते हैं। ये आरोप पदधारक पर उठते हैं। सवाल- हम ये जानना चाहते हैं कि आरोप सही है कि गलत? जवाब- हमारे से पहले वाले पर भी आरोप लगे थे। पद पर रहने वाले पर आरोप लगते हैं। ऐसे आरोपों से हम घबराते नहीं हैं। सवाल- आप सीधा जवाब नहीं दे रहे? जवाब- आप प्रशंसा पर तो सवाल नहीं कर रहे। CWC की ऐतिहासिक और सफल बैठक पटना में हुई। राहुल गांधी के 8 कार्यक्रम हुए। प्रियंका गांधी का सफल संवाद महिलाओं के साथ हुआ। SIR यात्रा 17 दिन बिहार में चली। सवाल- लेकिन जनता ने तो नतीजे के तौर पर कुछ और तय कर दिया? जवाब- जनता का सम्मान है, लेकिन इलेक्शन कमीशन ने जनता के विपरीत काम किया, सरकार के पक्ष में। सवाल- आप तो अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। आपकी सीट पर भी एक अन्य नेता कहते रहे कि हम लड़ेंगे? जवाब- हार-जीत का फैसला मैंने भी स्वीकार किया है। मैं हारा हूं, 14 हजार वोट मेरा बढ़ा, 64 हजार वोट लाकर भी मैं हारा हूं। सवाल- पूरी कांग्रेस पार्टी की हार की जवाबदेही आप लेते हैं? जवाब- ये मुद्दा तो एक माह पहले खत्म हो गया। हाईकमान के सामने सब क्लियर हो गया। सवाल-आपने कह दिया है कि मैं पद पर नहीं रहना चाहता हूं? जवाब- ये सवाल कहां से आपके मन में आ गया। सवाल- दिल्ली बैठक से जो बातें बाहर आई उससे। आप बताइए? जवाब- हार की जवाबदेही आप तय नहीं करेंगे ना! हाईकमान को मैं जवाब दे चुका हूं। सवाल- तो आप पद पर लगातार बने रहेंगे? सवाल- ये तो हमारे नेता तय करेंगे। हमारे नेता ने हमें कहा है कि अधिक से अधिक लोगों को जोड़िए। पार्टी को मजबूत कीजिए। नई पीढ़ी को लेकर चलिए। सीनियर का सम्मान कीजिए। ‘मेरे पद छोड़ने का सवाल कहां से आया? हाईकमान को जवाब दे चुका हूं। हमारे नेता को तय करना है। उन्होंने मुझे पार्टी मजबूत करने के लिए कहा है।’ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने से साफ इनकार कर दिया है। कांग्रेस 60 सीटों पर लड़ी, लेकिन 6 ही जीत सकी। राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक चुनाव प्रचार करने बिहार आए, लेकिन कोई नतीजे पक्ष में नहीं आए। भास्कर ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से बातचीत की। हमने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ रहे हैं कि नहीं? राजद के साथ कांग्रेस के रिश्ते आगे कैसे रहेंगे? कृष्णा अल्लावरू पर टिकट बांटने में रुपए लेने के आरोप लगे हैं? जैसे सवाल किए। पढ़िए इंटरव्यू… सवाल- इतनी बड़ी हार के पीछे कांग्रेस के अंदर कौन सा कारण रहा? जवाब- कैंडिडेट चयन की प्रक्रिया का पालन किया गया। पूरा काम पहले की तरह हुआ। जिला से प्रदेश स्तर स्क्रिनिंग कमेटी, ऑल इंडिया कमेटी तक। कमोबेश गठबंधन में अंतिम समय में अच्छे से कोआर्डिनेशन किया। सवाल- गठबंधन के अंदर कौन सी गलती हुई? जवाब- 6 पार्टियों के साथ कोआर्डिनेशन में हम लगे रहे। अंतिम समय में किसी के पास बहुत समय नहीं था। बेहतर कोआर्डिनेशन अंत समय में थोड़ा गड़बड़ा गया। हम कहेंगे कि तालमेल की कितनी भी कमी रही पर इंडिया गठबंधन के लोग ताकत से लड़े। हम सभी इलेक्शन में इन्वॉल्व हो गए, इसका असर चुनाव प्रचार अभियान पर पड़ा। ज्वाइंट कैंपेनिंग में दिक्कत यह थी कि अंडा की तरह नक्शा तैयार था सफेद अगल और येलो अलग। एक चुनाव औरंगाबाद में था तो दूसरा किशनगंज में। इससे चुनाव प्रचार में व्यावहारिक कठिनाई हुई। सवाल- दिल्ली की बैठक में कई कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि बिहार में कांग्रेस को अकेले चलना चाहिए, राजद का साथ छोड़े कांग्रेस। इस मांग की वजह क्या है? जवाब- कांग्रेस आंतरिक लोकतंत्र में विश्वास करती है। इस मुद्दे पर फैसला आलाकमान के पास छोड़ा गया है। यह मांग लोगों ने वहां रखी है। आरजेडी हमारी पार्टनर रही तो हमें उससे क्या दिक्कत होगी। 10-10 हजार रुपए बांटकर एनडीए चुनाव जीता गया। सवाल- आपने कहा कि चुनाव तक हमारा गठबंधन आरजेडी के साथ था। ये क्या बात हुई? जवाब- आरजेडी हो, सीपीआई हो, सीपीआई एमएल हो , वीआईपी हो, 6 पार्टियों का गठबंधन था। हर पार्टी चुनावी गठबंधन करती है। चुनाव के बाद हर पार्टी अपना-अपना विश्लेषण करती है। हमारा चुनावी गठबंधन ही रहता है। अब चार साल बाद लोकसभा और पांच साल बाद विधानसभा चुनाव के समय गठबंधन होगा। सवाल- आप कह रहे हैं कि अब आरजेडी के साथ अगला गठबंधन अगले चुनाव के समय तय होगा? जवाब- चुनाव के बाद सभी पार्टियां अपने-अपने मंथन में लग गईं हैं। सवाल- आप खखस कर (खुलकर) क्यों नहीं कह रहे? जवाब- हमारा चुनावी गठबंधन आरजेडी के साथ था। बिहार कांग्रेस अपनी मजबूती पर ध्यान दे रही है। अपना स्ट्रक्चर ठीक कर रहे हैं। सवाल- आरजेडी के साथ आप कोई संयुक्त कार्यक्रम नहीं करेंगे, जो करेंगे अकेले करेंगे? जवाब- ये तो हमेशा से होता आया है, लेकिन मनरेगा का नाम बदलने को लेकर पूरा विपक्ष एक स्वर में साथ है। सभी विपक्षी पार्टियां अपने-अपने तरह से विरोध कर रही हैं। सवाल- आरजेडी से आपलोगों को कोई दिक्कत नहीं है? जवाब- हम पहले साथ रहे हैं, आगे क्या प्रक्रिया होगी, उसको देखेंगे। बीजेपी-जेडीयू अलग-अलग पार्टी हैं, लेकिन वे गठबंधन में हैं। जरूरत के अनुसार यह होता है। सवाल- उनका गठबंधन इसलिए मजबूत है कि वे सरकार में हैं, आपलोग विपक्ष में हैं। आरजेडी-कांग्रेस के बीच की बात में फर्क है? जवाब- वे लोग इसलिए एकजुट हैं कि सभी चोर मिले हुए हैं। चोर-चोर मौसेरे भाई हैं। सवाल- आप सब एकजुट हैं तो एकसाथ सभी छह पार्टी मिलकर सत्ता पक्ष के खिलाफ कार्यक्रम करिएगा? जवाब- एकजुट होकर तो चुनाव लड़े ही, रिजल्ट चाहे जो हो। सवाल- आने वाले समय में एकजुट क्यों नहीं रहिएगा? जवाब- हम चुनाव के समय करेंगे जो करना है। सवाल- क्या तेजस्वी यादव को पूरे शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में उपस्थित रहना चाहिए था? जवाब- यह व्यक्तिगत व्यवहार है। सत्ता पक्ष के कई विधायक गैरमौजूद रहे। सवाल- हम नेता प्रतिपक्ष की बात कर रहे हैं, पूरे विपक्ष का दारोमदार इनपर है? जवाब- कई मंत्री गायब रहते हैं। सवाल- आप नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का बचाव कर रहे हैं? जवाब- मीडिया तो राहुल गांधी पर भी सवाल उठाती है। सवाल- आप कहना क्या चाहते हैं कि नेता प्रतिपक्ष को उस सदन में उपस्थित नहीं रहना चाहिए, जिस पर जनता के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं? जवाब- बिजनेस आवर तो था नहीं, शपथ ग्रहण ही तो था। सवाल- क्या बोल रहे हैं, 4-5 दिनों का सत्र था? सदन में तो हर विधायक को उपस्थित रहना चाहिए? जवाब- सत्ता पक्ष को वेल में आना चाहिए क्या, पिछली बार यही हुआ, माइक उखाड़ना चाहिए था सत्ता पक्ष को? सवाल- हम तो न्यूनतम की बात कर रहे हैं कि सदन में विधायक को उपस्थित रहना चाहिए, यही गरिमा है। जवाब- हम इस गरिमा पर सवाल उठा रहे हैं कि सत्ता पक्ष वेल में क्यों पिछली बार आया था। तब तो चर्चा नहीं हुई। ये भी उचित नहीं है। सवाल- कांग्रेस बिहार में अकेले चलने की स्थिति में है क्या? जवाब- हम संगठन को मजबूत बनाने में लगे हुए हैं। उसके बाद आपसे बात करेंगे। सवाल- अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य) जैसे नेता सवाल उठा रहे हैं और हार की जिम्मेदारी लेने की बात कर रहे हैं? जवाब- कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टी नहीं है। इसमें एक आदमी जो चाहेगा वह नहीं होगा। पार्टी तय करती है। कांग्रेस में बात रखने की स्वतंत्रता है। सवाल- बात तो यह उठी हुई है कि कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने रुपए लेकर टिकट बांटे, कितने रुपए लेकर टिकट बांटे गए? जवाब- ये सवाल सभी पार्टी में उठते रहते हैं। ये आरोप पदधारक पर उठते हैं। सवाल- हम ये जानना चाहते हैं कि आरोप सही है कि गलत? जवाब- हमारे से पहले वाले पर भी आरोप लगे थे। पद पर रहने वाले पर आरोप लगते हैं। ऐसे आरोपों से हम घबराते नहीं हैं। सवाल- आप सीधा जवाब नहीं दे रहे? जवाब- आप प्रशंसा पर तो सवाल नहीं कर रहे। CWC की ऐतिहासिक और सफल बैठक पटना में हुई। राहुल गांधी के 8 कार्यक्रम हुए। प्रियंका गांधी का सफल संवाद महिलाओं के साथ हुआ। SIR यात्रा 17 दिन बिहार में चली। सवाल- लेकिन जनता ने तो नतीजे के तौर पर कुछ और तय कर दिया? जवाब- जनता का सम्मान है, लेकिन इलेक्शन कमीशन ने जनता के विपरीत काम किया, सरकार के पक्ष में। सवाल- आप तो अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। आपकी सीट पर भी एक अन्य नेता कहते रहे कि हम लड़ेंगे? जवाब- हार-जीत का फैसला मैंने भी स्वीकार किया है। मैं हारा हूं, 14 हजार वोट मेरा बढ़ा, 64 हजार वोट लाकर भी मैं हारा हूं। सवाल- पूरी कांग्रेस पार्टी की हार की जवाबदेही आप लेते हैं? जवाब- ये मुद्दा तो एक माह पहले खत्म हो गया। हाईकमान के सामने सब क्लियर हो गया। सवाल-आपने कह दिया है कि मैं पद पर नहीं रहना चाहता हूं? जवाब- ये सवाल कहां से आपके मन में आ गया। सवाल- दिल्ली बैठक से जो बातें बाहर आई उससे। आप बताइए? जवाब- हार की जवाबदेही आप तय नहीं करेंगे ना! हाईकमान को मैं जवाब दे चुका हूं। सवाल- तो आप पद पर लगातार बने रहेंगे? सवाल- ये तो हमारे नेता तय करेंगे। हमारे नेता ने हमें कहा है कि अधिक से अधिक लोगों को जोड़िए। पार्टी को मजबूत कीजिए। नई पीढ़ी को लेकर चलिए। सीनियर का सम्मान कीजिए।  

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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम का इंटरव्यू:कोई एक आदमी हार की जवाबदेही तय नहीं करेगा, आलाकमान ने मुझे पार्टी मजबूत करने को कहा

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम का इंटरव्यू:कोई एक आदमी हार की जवाबदेही तय नहीं करेगा, आलाकमान ने मुझे पार्टी मजबूत करने को कहा

‘मेरे पद छोड़ने का सवाल कहां से आया? हाईकमान को जवाब दे चुका हूं। हमारे नेता को तय करना है। उन्होंने मुझे पार्टी मजबूत करने के लिए कहा है।’ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने से साफ इनकार कर दिया है। कांग्रेस 60 सीटों पर लड़ी, लेकिन 6 ही जीत सकी। राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक चुनाव प्रचार करने बिहार आए, लेकिन कोई नतीजे पक्ष में नहीं आए। भास्कर ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से बातचीत की। हमने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ रहे हैं कि नहीं? राजद के साथ कांग्रेस के रिश्ते आगे कैसे रहेंगे? कृष्णा अल्लावरू पर टिकट बांटने में रुपए लेने के आरोप लगे हैं? जैसे सवाल किए। पढ़िए इंटरव्यू… सवाल- इतनी बड़ी हार के पीछे कांग्रेस के अंदर कौन सा कारण रहा? जवाब- कैंडिडेट चयन की प्रक्रिया का पालन किया गया। पूरा काम पहले की तरह हुआ। जिला से प्रदेश स्तर स्क्रिनिंग कमेटी, ऑल इंडिया कमेटी तक। कमोबेश गठबंधन में अंतिम समय में अच्छे से कोआर्डिनेशन किया। सवाल- गठबंधन के अंदर कौन सी गलती हुई? जवाब- 6 पार्टियों के साथ कोआर्डिनेशन में हम लगे रहे। अंतिम समय में किसी के पास बहुत समय नहीं था। बेहतर कोआर्डिनेशन अंत समय में थोड़ा गड़बड़ा गया। हम कहेंगे कि तालमेल की कितनी भी कमी रही पर इंडिया गठबंधन के लोग ताकत से लड़े। हम सभी इलेक्शन में इन्वॉल्व हो गए, इसका असर चुनाव प्रचार अभियान पर पड़ा। ज्वाइंट कैंपेनिंग में दिक्कत यह थी कि अंडा की तरह नक्शा तैयार था सफेद अगल और येलो अलग। एक चुनाव औरंगाबाद में था तो दूसरा किशनगंज में। इससे चुनाव प्रचार में व्यावहारिक कठिनाई हुई। सवाल- दिल्ली की बैठक में कई कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि बिहार में कांग्रेस को अकेले चलना चाहिए, राजद का साथ छोड़े कांग्रेस। इस मांग की वजह क्या है? जवाब- कांग्रेस आंतरिक लोकतंत्र में विश्वास करती है। इस मुद्दे पर फैसला आलाकमान के पास छोड़ा गया है। यह मांग लोगों ने वहां रखी है। आरजेडी हमारी पार्टनर रही तो हमें उससे क्या दिक्कत होगी। 10-10 हजार रुपए बांटकर एनडीए चुनाव जीता गया। सवाल- आपने कहा कि चुनाव तक हमारा गठबंधन आरजेडी के साथ था। ये क्या बात हुई? जवाब- आरजेडी हो, सीपीआई हो, सीपीआई एमएल हो , वीआईपी हो, 6 पार्टियों का गठबंधन था। हर पार्टी चुनावी गठबंधन करती है। चुनाव के बाद हर पार्टी अपना-अपना विश्लेषण करती है। हमारा चुनावी गठबंधन ही रहता है। अब चार साल बाद लोकसभा और पांच साल बाद विधानसभा चुनाव के समय गठबंधन होगा। सवाल- आप कह रहे हैं कि अब आरजेडी के साथ अगला गठबंधन अगले चुनाव के समय तय होगा? जवाब- चुनाव के बाद सभी पार्टियां अपने-अपने मंथन में लग गईं हैं। सवाल- आप खखस कर (खुलकर) क्यों नहीं कह रहे? जवाब- हमारा चुनावी गठबंधन आरजेडी के साथ था। बिहार कांग्रेस अपनी मजबूती पर ध्यान दे रही है। अपना स्ट्रक्चर ठीक कर रहे हैं। सवाल- आरजेडी के साथ आप कोई संयुक्त कार्यक्रम नहीं करेंगे, जो करेंगे अकेले करेंगे? जवाब- ये तो हमेशा से होता आया है, लेकिन मनरेगा का नाम बदलने को लेकर पूरा विपक्ष एक स्वर में साथ है। सभी विपक्षी पार्टियां अपने-अपने तरह से विरोध कर रही हैं। सवाल- आरजेडी से आपलोगों को कोई दिक्कत नहीं है? जवाब- हम पहले साथ रहे हैं, आगे क्या प्रक्रिया होगी, उसको देखेंगे। बीजेपी-जेडीयू अलग-अलग पार्टी हैं, लेकिन वे गठबंधन में हैं। जरूरत के अनुसार यह होता है। सवाल- उनका गठबंधन इसलिए मजबूत है कि वे सरकार में हैं, आपलोग विपक्ष में हैं। आरजेडी-कांग्रेस के बीच की बात में फर्क है? जवाब- वे लोग इसलिए एकजुट हैं कि सभी चोर मिले हुए हैं। चोर-चोर मौसेरे भाई हैं। सवाल- आप सब एकजुट हैं तो एकसाथ सभी छह पार्टी मिलकर सत्ता पक्ष के खिलाफ कार्यक्रम करिएगा? जवाब- एकजुट होकर तो चुनाव लड़े ही, रिजल्ट चाहे जो हो। सवाल- आने वाले समय में एकजुट क्यों नहीं रहिएगा? जवाब- हम चुनाव के समय करेंगे जो करना है। सवाल- क्या तेजस्वी यादव को पूरे शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में उपस्थित रहना चाहिए था? जवाब- यह व्यक्तिगत व्यवहार है। सत्ता पक्ष के कई विधायक गैरमौजूद रहे। सवाल- हम नेता प्रतिपक्ष की बात कर रहे हैं, पूरे विपक्ष का दारोमदार इनपर है? जवाब- कई मंत्री गायब रहते हैं। सवाल- आप नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का बचाव कर रहे हैं? जवाब- मीडिया तो राहुल गांधी पर भी सवाल उठाती है। सवाल- आप कहना क्या चाहते हैं कि नेता प्रतिपक्ष को उस सदन में उपस्थित नहीं रहना चाहिए, जिस पर जनता के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं? जवाब- बिजनेस आवर तो था नहीं, शपथ ग्रहण ही तो था। सवाल- क्या बोल रहे हैं, 4-5 दिनों का सत्र था? सदन में तो हर विधायक को उपस्थित रहना चाहिए? जवाब- सत्ता पक्ष को वेल में आना चाहिए क्या, पिछली बार यही हुआ, माइक उखाड़ना चाहिए था सत्ता पक्ष को? सवाल- हम तो न्यूनतम की बात कर रहे हैं कि सदन में विधायक को उपस्थित रहना चाहिए, यही गरिमा है। जवाब- हम इस गरिमा पर सवाल उठा रहे हैं कि सत्ता पक्ष वेल में क्यों पिछली बार आया था। तब तो चर्चा नहीं हुई। ये भी उचित नहीं है। सवाल- कांग्रेस बिहार में अकेले चलने की स्थिति में है क्या? जवाब- हम संगठन को मजबूत बनाने में लगे हुए हैं। उसके बाद आपसे बात करेंगे। सवाल- अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य) जैसे नेता सवाल उठा रहे हैं और हार की जिम्मेदारी लेने की बात कर रहे हैं? जवाब- कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टी नहीं है। इसमें एक आदमी जो चाहेगा वह नहीं होगा। पार्टी तय करती है। कांग्रेस में बात रखने की स्वतंत्रता है। सवाल- बात तो यह उठी हुई है कि कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने रुपए लेकर टिकट बांटे, कितने रुपए लेकर टिकट बांटे गए? जवाब- ये सवाल सभी पार्टी में उठते रहते हैं। ये आरोप पदधारक पर उठते हैं। सवाल- हम ये जानना चाहते हैं कि आरोप सही है कि गलत? जवाब- हमारे से पहले वाले पर भी आरोप लगे थे। पद पर रहने वाले पर आरोप लगते हैं। ऐसे आरोपों से हम घबराते नहीं हैं। सवाल- आप सीधा जवाब नहीं दे रहे? जवाब- आप प्रशंसा पर तो सवाल नहीं कर रहे। CWC की ऐतिहासिक और सफल बैठक पटना में हुई। राहुल गांधी के 8 कार्यक्रम हुए। प्रियंका गांधी का सफल संवाद महिलाओं के साथ हुआ। SIR यात्रा 17 दिन बिहार में चली। सवाल- लेकिन जनता ने तो नतीजे के तौर पर कुछ और तय कर दिया? जवाब- जनता का सम्मान है, लेकिन इलेक्शन कमीशन ने जनता के विपरीत काम किया, सरकार के पक्ष में। सवाल- आप तो अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। आपकी सीट पर भी एक अन्य नेता कहते रहे कि हम लड़ेंगे? जवाब- हार-जीत का फैसला मैंने भी स्वीकार किया है। मैं हारा हूं, 14 हजार वोट मेरा बढ़ा, 64 हजार वोट लाकर भी मैं हारा हूं। सवाल- पूरी कांग्रेस पार्टी की हार की जवाबदेही आप लेते हैं? जवाब- ये मुद्दा तो एक माह पहले खत्म हो गया। हाईकमान के सामने सब क्लियर हो गया। सवाल-आपने कह दिया है कि मैं पद पर नहीं रहना चाहता हूं? जवाब- ये सवाल कहां से आपके मन में आ गया। सवाल- दिल्ली बैठक से जो बातें बाहर आई उससे। आप बताइए? जवाब- हार की जवाबदेही आप तय नहीं करेंगे ना! हाईकमान को मैं जवाब दे चुका हूं। सवाल- तो आप पद पर लगातार बने रहेंगे? सवाल- ये तो हमारे नेता तय करेंगे। हमारे नेता ने हमें कहा है कि अधिक से अधिक लोगों को जोड़िए। पार्टी को मजबूत कीजिए। नई पीढ़ी को लेकर चलिए। सीनियर का सम्मान कीजिए। ‘मेरे पद छोड़ने का सवाल कहां से आया? हाईकमान को जवाब दे चुका हूं। हमारे नेता को तय करना है। उन्होंने मुझे पार्टी मजबूत करने के लिए कहा है।’ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने से साफ इनकार कर दिया है। कांग्रेस 60 सीटों पर लड़ी, लेकिन 6 ही जीत सकी। राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक चुनाव प्रचार करने बिहार आए, लेकिन कोई नतीजे पक्ष में नहीं आए। भास्कर ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से बातचीत की। हमने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ रहे हैं कि नहीं? राजद के साथ कांग्रेस के रिश्ते आगे कैसे रहेंगे? कृष्णा अल्लावरू पर टिकट बांटने में रुपए लेने के आरोप लगे हैं? जैसे सवाल किए। पढ़िए इंटरव्यू… सवाल- इतनी बड़ी हार के पीछे कांग्रेस के अंदर कौन सा कारण रहा? जवाब- कैंडिडेट चयन की प्रक्रिया का पालन किया गया। पूरा काम पहले की तरह हुआ। जिला से प्रदेश स्तर स्क्रिनिंग कमेटी, ऑल इंडिया कमेटी तक। कमोबेश गठबंधन में अंतिम समय में अच्छे से कोआर्डिनेशन किया। सवाल- गठबंधन के अंदर कौन सी गलती हुई? जवाब- 6 पार्टियों के साथ कोआर्डिनेशन में हम लगे रहे। अंतिम समय में किसी के पास बहुत समय नहीं था। बेहतर कोआर्डिनेशन अंत समय में थोड़ा गड़बड़ा गया। हम कहेंगे कि तालमेल की कितनी भी कमी रही पर इंडिया गठबंधन के लोग ताकत से लड़े। हम सभी इलेक्शन में इन्वॉल्व हो गए, इसका असर चुनाव प्रचार अभियान पर पड़ा। ज्वाइंट कैंपेनिंग में दिक्कत यह थी कि अंडा की तरह नक्शा तैयार था सफेद अगल और येलो अलग। एक चुनाव औरंगाबाद में था तो दूसरा किशनगंज में। इससे चुनाव प्रचार में व्यावहारिक कठिनाई हुई। सवाल- दिल्ली की बैठक में कई कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि बिहार में कांग्रेस को अकेले चलना चाहिए, राजद का साथ छोड़े कांग्रेस। इस मांग की वजह क्या है? जवाब- कांग्रेस आंतरिक लोकतंत्र में विश्वास करती है। इस मुद्दे पर फैसला आलाकमान के पास छोड़ा गया है। यह मांग लोगों ने वहां रखी है। आरजेडी हमारी पार्टनर रही तो हमें उससे क्या दिक्कत होगी। 10-10 हजार रुपए बांटकर एनडीए चुनाव जीता गया। सवाल- आपने कहा कि चुनाव तक हमारा गठबंधन आरजेडी के साथ था। ये क्या बात हुई? जवाब- आरजेडी हो, सीपीआई हो, सीपीआई एमएल हो , वीआईपी हो, 6 पार्टियों का गठबंधन था। हर पार्टी चुनावी गठबंधन करती है। चुनाव के बाद हर पार्टी अपना-अपना विश्लेषण करती है। हमारा चुनावी गठबंधन ही रहता है। अब चार साल बाद लोकसभा और पांच साल बाद विधानसभा चुनाव के समय गठबंधन होगा। सवाल- आप कह रहे हैं कि अब आरजेडी के साथ अगला गठबंधन अगले चुनाव के समय तय होगा? जवाब- चुनाव के बाद सभी पार्टियां अपने-अपने मंथन में लग गईं हैं। सवाल- आप खखस कर (खुलकर) क्यों नहीं कह रहे? जवाब- हमारा चुनावी गठबंधन आरजेडी के साथ था। बिहार कांग्रेस अपनी मजबूती पर ध्यान दे रही है। अपना स्ट्रक्चर ठीक कर रहे हैं। सवाल- आरजेडी के साथ आप कोई संयुक्त कार्यक्रम नहीं करेंगे, जो करेंगे अकेले करेंगे? जवाब- ये तो हमेशा से होता आया है, लेकिन मनरेगा का नाम बदलने को लेकर पूरा विपक्ष एक स्वर में साथ है। सभी विपक्षी पार्टियां अपने-अपने तरह से विरोध कर रही हैं। सवाल- आरजेडी से आपलोगों को कोई दिक्कत नहीं है? जवाब- हम पहले साथ रहे हैं, आगे क्या प्रक्रिया होगी, उसको देखेंगे। बीजेपी-जेडीयू अलग-अलग पार्टी हैं, लेकिन वे गठबंधन में हैं। जरूरत के अनुसार यह होता है। सवाल- उनका गठबंधन इसलिए मजबूत है कि वे सरकार में हैं, आपलोग विपक्ष में हैं। आरजेडी-कांग्रेस के बीच की बात में फर्क है? जवाब- वे लोग इसलिए एकजुट हैं कि सभी चोर मिले हुए हैं। चोर-चोर मौसेरे भाई हैं। सवाल- आप सब एकजुट हैं तो एकसाथ सभी छह पार्टी मिलकर सत्ता पक्ष के खिलाफ कार्यक्रम करिएगा? जवाब- एकजुट होकर तो चुनाव लड़े ही, रिजल्ट चाहे जो हो। सवाल- आने वाले समय में एकजुट क्यों नहीं रहिएगा? जवाब- हम चुनाव के समय करेंगे जो करना है। सवाल- क्या तेजस्वी यादव को पूरे शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में उपस्थित रहना चाहिए था? जवाब- यह व्यक्तिगत व्यवहार है। सत्ता पक्ष के कई विधायक गैरमौजूद रहे। सवाल- हम नेता प्रतिपक्ष की बात कर रहे हैं, पूरे विपक्ष का दारोमदार इनपर है? जवाब- कई मंत्री गायब रहते हैं। सवाल- आप नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का बचाव कर रहे हैं? जवाब- मीडिया तो राहुल गांधी पर भी सवाल उठाती है। सवाल- आप कहना क्या चाहते हैं कि नेता प्रतिपक्ष को उस सदन में उपस्थित नहीं रहना चाहिए, जिस पर जनता के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं? जवाब- बिजनेस आवर तो था नहीं, शपथ ग्रहण ही तो था। सवाल- क्या बोल रहे हैं, 4-5 दिनों का सत्र था? सदन में तो हर विधायक को उपस्थित रहना चाहिए? जवाब- सत्ता पक्ष को वेल में आना चाहिए क्या, पिछली बार यही हुआ, माइक उखाड़ना चाहिए था सत्ता पक्ष को? सवाल- हम तो न्यूनतम की बात कर रहे हैं कि सदन में विधायक को उपस्थित रहना चाहिए, यही गरिमा है। जवाब- हम इस गरिमा पर सवाल उठा रहे हैं कि सत्ता पक्ष वेल में क्यों पिछली बार आया था। तब तो चर्चा नहीं हुई। ये भी उचित नहीं है। सवाल- कांग्रेस बिहार में अकेले चलने की स्थिति में है क्या? जवाब- हम संगठन को मजबूत बनाने में लगे हुए हैं। उसके बाद आपसे बात करेंगे। सवाल- अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य) जैसे नेता सवाल उठा रहे हैं और हार की जिम्मेदारी लेने की बात कर रहे हैं? जवाब- कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टी नहीं है। इसमें एक आदमी जो चाहेगा वह नहीं होगा। पार्टी तय करती है। कांग्रेस में बात रखने की स्वतंत्रता है। सवाल- बात तो यह उठी हुई है कि कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने रुपए लेकर टिकट बांटे, कितने रुपए लेकर टिकट बांटे गए? जवाब- ये सवाल सभी पार्टी में उठते रहते हैं। ये आरोप पदधारक पर उठते हैं। सवाल- हम ये जानना चाहते हैं कि आरोप सही है कि गलत? जवाब- हमारे से पहले वाले पर भी आरोप लगे थे। पद पर रहने वाले पर आरोप लगते हैं। ऐसे आरोपों से हम घबराते नहीं हैं। सवाल- आप सीधा जवाब नहीं दे रहे? जवाब- आप प्रशंसा पर तो सवाल नहीं कर रहे। CWC की ऐतिहासिक और सफल बैठक पटना में हुई। राहुल गांधी के 8 कार्यक्रम हुए। प्रियंका गांधी का सफल संवाद महिलाओं के साथ हुआ। SIR यात्रा 17 दिन बिहार में चली। सवाल- लेकिन जनता ने तो नतीजे के तौर पर कुछ और तय कर दिया? जवाब- जनता का सम्मान है, लेकिन इलेक्शन कमीशन ने जनता के विपरीत काम किया, सरकार के पक्ष में। सवाल- आप तो अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। आपकी सीट पर भी एक अन्य नेता कहते रहे कि हम लड़ेंगे? जवाब- हार-जीत का फैसला मैंने भी स्वीकार किया है। मैं हारा हूं, 14 हजार वोट मेरा बढ़ा, 64 हजार वोट लाकर भी मैं हारा हूं। सवाल- पूरी कांग्रेस पार्टी की हार की जवाबदेही आप लेते हैं? जवाब- ये मुद्दा तो एक माह पहले खत्म हो गया। हाईकमान के सामने सब क्लियर हो गया। सवाल-आपने कह दिया है कि मैं पद पर नहीं रहना चाहता हूं? जवाब- ये सवाल कहां से आपके मन में आ गया। सवाल- दिल्ली बैठक से जो बातें बाहर आई उससे। आप बताइए? जवाब- हार की जवाबदेही आप तय नहीं करेंगे ना! हाईकमान को मैं जवाब दे चुका हूं। सवाल- तो आप पद पर लगातार बने रहेंगे? सवाल- ये तो हमारे नेता तय करेंगे। हमारे नेता ने हमें कहा है कि अधिक से अधिक लोगों को जोड़िए। पार्टी को मजबूत कीजिए। नई पीढ़ी को लेकर चलिए। सीनियर का सम्मान कीजिए।  

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