भारत ने अमेरिका के सामने ट्रेड वार्ता में अपना आखिरी प्रस्ताव रख दिया है। भारत चाहता है कि उस पर लगाए गए कुल 50% टैरिफ को घटाकर 15% किया जाए और रूस से कच्चा तेल खरीदने पर जो एक्सट्रा 25% पेनाल्टी लगाई गई है, उसे पूरी तरह खत्म किया जाए। दोनों देशों के बीच चल रही इस वार्ता से उम्मीद है कि नए साल में कोई ठोस फैसला निकल सकता है। दोनों देशों के बीच एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत चल रही है, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि इसे इस साल के अंत तक पूरा करना मुश्किल है। अब उम्मीद जनवरी में है, जब नए व्यापार आंकड़े आएंगे और बातचीत में तेजी आ सकती है। इस हफ्ते भारत और अमेरिका की व्यापार टीमों के बीच दिल्ली में बैठक हुई। बातचीत दो मुद्दों पर हो रही है। पहला एक बड़े और स्थायी व्यापार समझौते पर और दूसरा अमेरिका की तरफ से भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को हटाने या कम करने के लिए एक फ्रेमवर्क समझौते पर। अगर अमेरिका भारत का प्रस्ताव मान लेता है अगर अमेरिका भारत पर लगाया गया 50% टैक्स घटाकर 15% कर देता है और रूस से तेल खरीदने पर 25% की पेनाल्टी हटा देता है, तो- अगर अमेरिका भारत का प्रस्ताव नहीं मानता है अगर अमेरिका टैरिफ कम नहीं करता और पेनाल्टी भी जारी रखता है, तो- 25% टैरिफ रूसी तेल खरीदने की वजह से अमेरिका ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया है। इसमें से 25% को वह ‘रेसिप्रोकल (जैसे को तैसा) टैरिफ’ कहता है। जबकि 25% रूसी तेल खरीदने की वजह से लगाया गया है। अमेरिका का कहना है कि इससे रूस को यूक्रेन युद्ध जारी रखने में मदद मिल रही है। भारत का कहना है कि यह पेनाल्टी गलत है और इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने फ्रेमवर्क समझौते को लेकर भरोसा जताया है और कहा है कि इस पर जल्द सहमति बन सकती है, हालांकि उन्होंने कोई तय समयसीमा नहीं बताई। बातचीत से जुड़े लोगों के मुताबिक, 2025 में इस समझौते के पूरा होने की संभावना अब कम होती जा रही है, क्योंकि साल खत्म होने में बहुत कम समय बचा है। सूत्रों के मुताबिक, फ्रेमवर्क समझौते पर बातचीत दिवाली के आसपास पूरी हो चुकी थी, लेकिन अब अमेरिका, खासकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से औपचारिक घोषणा का इंतजार किया जा रहा है। देरी की वजह को लेकर अधिकारी सीधे तौर पर व्हाइट हाउस और राष्ट्रपति के फैसले की ओर इशारा कर रहे हैं। रूसी तेल की खरीद में गिरावट दर्ज हो सकती है उम्मीद की एक वजह यह भी है कि जनवरी में आने वाले आंकड़ों में भारत के रूसी तेल आयात में बड़ी गिरावट दिख सकती है। नवंबर 21 से रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू हुए हैं। इसके बाद भारत का रूस से तेल आयात घटने लगा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का रूसी तेल आयात नवंबर में करीब 17.7 लाख बैरल प्रति दिन था, जो दिसंबर में घटकर लगभग 12 लाख बैरल प्रति दिन रह गया है। आने वाले समय में यह 10 लाख बैरल प्रति दिन से भी नीचे जा सकता है। यूक्रेन युद्ध के बाद भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बन गया था, जिस पर ट्रम्प प्रशासन ने कई बार सवाल उठाए हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि भारत रूस से तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन पर हो रहे हमलों को फंड कर रहा है। भारत EU के जैसे ही राहत चाहता है अब भारत की कोशिश है कि बचे हुए 25% टैरिफ को भी घटाकर 15% किया जाए, ताकि भारत को वही राहत मिले जो यूरोपीय यूनियन (EU) को मिल रही है। अगर टैरिफ इससे ज्यादा रहा, तो भारतीय निर्यातकों को दूसरे देशों के मुकाबले नुकसान होगा। उदाहरण के तौर पर, इंडोनेशिया पर अमेरिकी टैरिफ पहले 32% था, जिसे घटाकर 19% कर दिया गया है। भारत का साफ कहना है कि उसे भी समान स्तर पर राहत मिलनी चाहिए। भारत ने अमेरिका को साफ संदेश दिया है, रूसी तेल पर लगी पेनाल्टी खत्म की जाए और कुल टैरिफ को घटाकर 15% किया जाए। अब गेंद अमेरिका के पाले में है और सबकी नजर राष्ट्रपति ट्रम्प के फैसले पर टिकी है। —————- यह खबर भी पढ़ें… भारत को रूस से सस्ता तेल क्यों नहीं मिल रहा:अमेरिका, सऊदी और UAE से खरीद बढ़ी; ट्रम्प की धमकी या कोई और वजह भारत ने 4 साल में पहली बार रूस से तेल खरीदना कम कर दिया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2024 में रूस का शेयर 41% था जो सितंबर 2025 में घटकर 31% रह गया। इसकी एक बड़ी वजह भारत पर अमेरिका का 25% एक्स्ट्रा टैरिफ है। पढ़ें पूरी खबर…
ट्रेड वार्ता में भारत का अमेरिका को फाइनल ऑफर:टैरिफ 50% से घटाकर 15% करो, रूसी तेल पर लगी पेनाल्टी भी खत्म हो


