इनकम टैक्स भरने में ज्यादातर लोगों को परेशानी आती है। अमूमन लोगों को पूरी जानकारी नहीं होती है, फिर भी वे खुद आईटीआर फाइल करते हैं, और गलतियां कर देते हैं। वहीं, कई बार अच्छा सीए नहीं मिलता और वह लापरवाही से काम करता है। एक्सपर्ट्स ने बताया कि 2025 में लोगों ने कई गलतियां की, जिन्हें अगले साल होने से रोका जा सकता है। आइए जानते हैं कि कौन-कौन सी गलतियां होती हैं और किन तरीकों से आप गलती करने से बच सकते हैं।
लोग करते हैं ये गलतियां
बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसाइटी की कोषाध्यक्ष किंजल भट्टा के अनुसार, टैक्स रिटर्न में ज्यादातर गलतियां, टैक्सपेयर्स की गणना और AIS में दर्ज आंकड़ों के मेल न खाने की वजह से होती हैं। कई लोग कैपिटल गेन गलत दिखाते हैं, गलत रिबेट का दावा कर देते हैं या जरूरी फॉर्म, जैसे विदेशी टैक्स क्रेडिट के लिए Form 67 भरना भूल जाते हैं। वहीं, दीपेश छेड़ा (ध्रुवा एडवाइजर्स) का कहना है कि ब्याज से होने वाली आय, पुराने नियोक्ता से मिली सैलरी, विदेशी एसेट और निष्क्रिय बैंक खातों की जानकारी ना देना भी आम चूक है। इससे रिटर्न पर सवाल खड़े हो जाते हैं।
बिना मिलान के भरा आईटीआर
विशेषज्ञों का कहना है कि गलत धारणाओं ने भी उतनी ही परेशानी खड़ी की जितनी चूकों ने। कई करदाताओं ने AIS/TIS को या तो पूरी तरह सही या पूरी तरह गलत मान लिया और अपने खातों की स्टेटमेंट्स से मिलान (cross verification) नहीं किया। कुछ लोगों को लगा कि नया टैक्स रेजीम हमेशा फायदेमंद होता है, जबकि कई मामलों में पुराने रेजीम की छूट बेहतर रहती है। दीपेश छेड़ा के अनुसार, गलत HRA क्लेम भरना, ज्यादा डिडक्शन दिखाना, और प्रॉपर्टी या इक्विटी गेन में चूक होने पर 50% से 200% तक पेनल्टी लग सकती है।
ITR भरने से पहले करें ये उपाय
- AIS, TIS, और Form 26AS को डाउनलोड करें और सभी स्टेटमेंट्स के साथ मिलान करें।
- शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले लोग हर तिमाही ब्रोकर स्टेटमेंट की जांच करें और कैपिटल गेन्स को चेक करते रहें।
- वित्त वर्ष की शुरुआत में ही तय करें कि पुराना टैक्स सिस्टम चुनना है या नया, और टैक्स कैलकुलेशन करके फैसला लें।
- घर का किराया, बीमा, NPS और निवेश से जुड़े सभी दस्तावेज एक डिजिटल फोल्डर में संभाल कर रखें, ताकि रिटर्न भरते समय परेशानी न हो।
- अपनी इनकम के हिसाब से सही ITR फॉर्म चुनें और सभी जरूरी कॉलम व शेड्यूल सही तरीके से भरें।
- आखिरी तारीख का इंतजार न करें, समय पर रिटर्न फाइल करें और उसे ई-वेरिफाई जरूर करें, ताकि रिटर्न रिजेक्ट न हो।


