टीकमगढ़ जिला पंचायत कार्यालय में बुधवार को सामान्य सभा की बैठक एक बार फिर विवादों में घिर गई। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में सिर्फ चार सदस्यों की मौजूदगी में यह बैठक आयोजित हुई, जिसे बाद में जिला पंचायत अध्यक्ष ने अवैध करार दिया, जबकि सीईओ ने इसे नियमानुसार बताया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत आयोजित इस बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष उमिता सिंह लोधी और उपाध्यक्ष श्याम रतन भक्ति तिवारी सहित कुल 13 सदस्य अनुपस्थित रहे। बैठक शाम 4 बजे तक चली, जिसमें केवल चार सदस्य ही मौजूद थे। जिला पंचायत सीईओ नवीत धुर्वे ने बताया कि दिशानिर्देशों के अनुसार, बैठक में मौजूद सदस्यों ने अध्यक्ष का चयन कर कार्यवाही शुरू की। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित सभी सदस्यों को बैठक की सूचना पहले ही दे दी गई थी और उनकी सहमति से ही बैठक की तिथि और एजेंडा तय किया गया था। जिला पंचायत अध्यक्ष बोलीं- मनमाने ढंग से काम हो रहा वहीं, जिला पंचायत अध्यक्ष उमिता सिंह ने सीईओ पर मनमाने ढंग से काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब कोरम पूरा नहीं हुआ तो बैठक कैसे हो सकती है। अध्यक्ष ने इस बैठक को अवैध करार दिया है। दरअसल, जिला पंचायत में सीईओ और अन्य अधिकारियों समेत सत्तादल के अध्यक्ष और सदस्यों के बीच चल रहा मनमुटाव बुधवार की सामान्य सभा की बैठक में खुलकर सामने आ गया। बैठक में ये अधिकारी-सदस्य पहुंचे सीईओ धुर्वे और अन्य विभागों के अधिकारी समय पर बैठक में पहुंच गए थे। जिला पंचायत सदस्य सुषमा सिंह, हृदेश कुशवाहा, प्रियंका मंगल आदिवासी और फूला बाई यादव के साथ ही टीकमगढ़ व खरगापुर विधायक प्रतिनिधि भी बैठक में शामिल हुए। सभी ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का काफी देर तक इंतजार किया। लगभग आधे घंटे के इंतजार के बाद, सदस्य सुषमा सिंह बुंदेला की अध्यक्षता में बैठक शुरू की गई। इसके बाद बैठक को आधे घंटे के लिए स्थगित किया गया और फिर दोबारा चार सदस्यों की उपस्थिति में कार्यवाही शुरू हुई। बैठक में एजेंडे के हर बिंदु पर चर्चा कर निर्णय लिए गए। सीईओ ने कहा- अध्यक्ष ने बैठक कराने पर नहीं दिया ध्यान बैठक में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित 13 सदस्यों के न आने को लेकर जिला पंचायत सीईओ धुर्वे का कहना है कि जिला पंचायत की बैठक लंबे समय से टल रही थी। अध्यक्ष उमिता सिंह से बैठक आयोजित करने को कहा गया, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में पंचायत अधिनियम के तहत प्रावधान है कि जिला पंचायत सीईओ को पदेन सचिव बैठक बुलाने का अधिकार है। इस पर अध्यक्ष की अनुमति से बैठक की तिथि और एजेंडा तय किया गया था। इसकी सूचना भी सभी को दी गई थी। बैठक में पंचायत राज अधिनियम के तहत अध्यक्षता या तो अध्यक्ष करते है और यदि वह न हो तो उपाध्यक्ष करते है। दोनों की अनुपस्थिति में नियमानुसार उपस्थित सदस्यों में से अध्यक्ष चुनकर बैठक कराने का प्रावधान है। इसमें बैठक को कुछ समय के लिए स्थगित कर दोबारा शुरू करने पर कोरम की जरूरत नहीं होती है। इन नियमों के तहत बैठक की कार्रवाई पूरी की गई है। सीईओ अपनी मनमर्जी चला रहे है वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष उमित सिंह लोधी का कहना है कि उन्हें बैठक की कोई सूचना नहीं दी गई है। सीईओ ने जिला पंचायत के किसी ग्रुप में इसकी सूचना डाली है और मैं उस ग्रुप में मैं नहीं हूं। बैठक की सूचना वॉट्सऐप पर देने का कोई नियम नहीं है। यदि उन्होंने पत्र भेजा है तो मेरे हस्ताक्षर दिखाए। सीईओ को सभी सदस्यों को व्यक्तिगत सूचना देनी चाहिए। मेरे साथ अन्य लोगों को भी सूचना न मिलने से वह भी बैठक में नहीं आए है। बैठक में केवल दो सदस्य थे और दो के प्रतिनिधि। सुना है कि सीईओ बैठक की अध्यक्षता कर रहे है। वह अपनी मनमर्जी चला रहे है। उनके कारण काम प्रभावित हो रहे है।


