भागलपुर| सिल्क सिटी भागलपुर में इन दिनों जम्मू-कश्मीर और शिमला जैसी ठंड पड़ रही है। पिछले कई दिनों से जारी घने कोहरे और शीतलहर ने आम जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस ठंड का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है, जिनके सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। ठंड और कोहरे के कारण शहर में निर्माण कार्य, लोडिंग-अनलोडिंग और छोटे-मोटे काम लगभग ठप हो गए हैं। तिलकामांझी चौक पर हर दिन सुबह करीब 200 से अधिक दिहाड़ी मजदूर रोजगार की तलाश में जुटते हैं। इनमें भागलपुर के अलावा मुंगेर, खगड़िया, बांका और आसपास के जिलों से आए मजदूर भी शामिल हैं। मजदूर बोले- हम आ जाते हैं, लेकिन ठेकेदार, काम देने वाले ही नहीं आ रहे मजदूरों का कहना है कि ठंड अधिक होने के कारण ठेकेदार और काम देने वाले लोग नहीं आ रहे हैं। ऐसे में उन्हें दिन भर इंतजार करने के बाद खाली हाथ घर लौटना पड़ता है। रोजगार नहीं मिलने से उनके परिवारों के सामने भरण-पोषण की गंभीर समस्या पैदा हो गई है। मजदूर बोले- दिनभर अलाव सेंक कर शाम को खाली हाथ वापस चले जाते हैं भास्कर से बातचीत के दौरान नवगछिया के रहने वाले मजदूर सुरेंद्र यादव ने बताया कि वे रोज किराये में पैसे खर्च कर काम की तलाश में भागलपुर पहुंचते हैं। लेकिन जब काम नहीं मिलता तो वही किराये का पैसा भी उनके लिए बोझ बन जाता है। मुंगेर से आए मजदूर दिलीप ने कहा कि बिहार में अगर फैक्ट्रियां और उद्योग लगें तो हम जैसे मजदूरों को यहीं रोजगार मिल सकता है। उन्होंने कहा कि नई सरकार के गठन के बाद भी रोजगार को लेकर कोई खास उम्मीद नजर नहीं आ रही है। ठंड के कारण मजदूर दिनभर अलाव के सहारे समय काटते नजर आते हैं। लेकिन अलाव भी हर जगह पर्याप्त नहीं है। मजबूरी में कई मजदूर खुले आसमान के नीचे ठंड सहने को विवश हैं। कुछ मजदूरों ने कहा कि अगर यह स्थिति कुछ और दिनों तक रही तो उनके लिए गांव लौटना भी मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि वहां भी रोजगार के अवसर सीमित हैं। इधर, प्रशासन की ओर से चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था जरूर की गई है, लेकिन दिहाड़ी मजदूरों की समस्या का स्थायी समाधान रोजगार ही है। लगातार बढ़ती ठंड और काम की कमी ने दिहाड़ी मजदूरों की चिंता बढ़ा दी है। भागलपुर| सिल्क सिटी भागलपुर में इन दिनों जम्मू-कश्मीर और शिमला जैसी ठंड पड़ रही है। पिछले कई दिनों से जारी घने कोहरे और शीतलहर ने आम जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस ठंड का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है, जिनके सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। ठंड और कोहरे के कारण शहर में निर्माण कार्य, लोडिंग-अनलोडिंग और छोटे-मोटे काम लगभग ठप हो गए हैं। तिलकामांझी चौक पर हर दिन सुबह करीब 200 से अधिक दिहाड़ी मजदूर रोजगार की तलाश में जुटते हैं। इनमें भागलपुर के अलावा मुंगेर, खगड़िया, बांका और आसपास के जिलों से आए मजदूर भी शामिल हैं। मजदूर बोले- हम आ जाते हैं, लेकिन ठेकेदार, काम देने वाले ही नहीं आ रहे मजदूरों का कहना है कि ठंड अधिक होने के कारण ठेकेदार और काम देने वाले लोग नहीं आ रहे हैं। ऐसे में उन्हें दिन भर इंतजार करने के बाद खाली हाथ घर लौटना पड़ता है। रोजगार नहीं मिलने से उनके परिवारों के सामने भरण-पोषण की गंभीर समस्या पैदा हो गई है। मजदूर बोले- दिनभर अलाव सेंक कर शाम को खाली हाथ वापस चले जाते हैं भास्कर से बातचीत के दौरान नवगछिया के रहने वाले मजदूर सुरेंद्र यादव ने बताया कि वे रोज किराये में पैसे खर्च कर काम की तलाश में भागलपुर पहुंचते हैं। लेकिन जब काम नहीं मिलता तो वही किराये का पैसा भी उनके लिए बोझ बन जाता है। मुंगेर से आए मजदूर दिलीप ने कहा कि बिहार में अगर फैक्ट्रियां और उद्योग लगें तो हम जैसे मजदूरों को यहीं रोजगार मिल सकता है। उन्होंने कहा कि नई सरकार के गठन के बाद भी रोजगार को लेकर कोई खास उम्मीद नजर नहीं आ रही है। ठंड के कारण मजदूर दिनभर अलाव के सहारे समय काटते नजर आते हैं। लेकिन अलाव भी हर जगह पर्याप्त नहीं है। मजबूरी में कई मजदूर खुले आसमान के नीचे ठंड सहने को विवश हैं। कुछ मजदूरों ने कहा कि अगर यह स्थिति कुछ और दिनों तक रही तो उनके लिए गांव लौटना भी मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि वहां भी रोजगार के अवसर सीमित हैं। इधर, प्रशासन की ओर से चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था जरूर की गई है, लेकिन दिहाड़ी मजदूरों की समस्या का स्थायी समाधान रोजगार ही है। लगातार बढ़ती ठंड और काम की कमी ने दिहाड़ी मजदूरों की चिंता बढ़ा दी है।


