2026 में आईपीओ के मोर्चे पर जबरदस्त हलचल देखने को मिल सकती है। मौजूद जानकारी के अनुसार, 190 से ज्यादा कंपनियां या तो सेबी से मंजूरी हासिल कर चुकी हैं या फिर मंजूरी की कतार में हैं। इन सभी के जरिए कुल मिलाकर ढाई लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने की संभावना जताई जा रही है।
बता दें कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक करीब 84 कंपनियों को पहले ही आईपीओ लाने की अनुमति मिल चुकी है। ये कंपनियां लगभग 1.14 लाख करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में हैं। वहीं करीब 108 कंपनियां अभी मंजूरी की प्रक्रिया में हैं, जो करीब 1.46 लाख करोड़ रुपये बाजार से जुटाना चाहती हैं।
गौरतलब है कि यह आईपीओ लहर टेलीकॉम, फिनटेक, कंज्यूमर इंटरनेट, फाइनेंशियल सर्विसेज और मैन्युफैक्चरिंग जैसे कई सेक्टरों तक फैली हुई है। इससे भारत की कॉरपोरेट ग्रोथ स्टोरी को एक नया आयाम मिलने की उम्मीद है।
सबसे ज्यादा चर्चा रिलायंस जियो को लेकर है। रिलायंस इंडस्ट्रीज की यह डिजिटल और टेलीकॉम इकाई 11 से 12 लाख करोड़ रुपये के संभावित वैल्यूएशन पर बाजार में उतर सकती है। अगर ऐसा होता है तो यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा।
इसके अलावा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी NSE भी लिस्टिंग की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि एक्सचेंज ने सेबी से जुड़े पुराने मामलों के निपटारे के लिए करीब 1,300 करोड़ रुपये अलग रखे हैं, जिसके बाद उसका आईपीओ रास्ता साफ हो सकता है।
ई-कॉमर्स और फिनटेक सेक्टर भी पीछे नहीं हैं। फ्लिपकार्ट 2026 में लिस्टिंग पर विचार कर रही है और इसका संभावित वैल्यूएशन 60 से 70 अरब डॉलर बताया जा रहा है। वहीं फोनपे ने गोपनीय रूप से 1.5 अरब डॉलर के आईपीओ के लिए दस्तावेज दाखिल किए हैं, जिससे कंपनी का मूल्यांकन करीब 15 अरब डॉलर आंका जा रहा है।
हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की कंपनी ओयो भी एक बार फिर आईपीओ की तैयारी में है। माना जा रहा है कि कंपनी करीब 800 मिलियन डॉलर जुटा सकती है, खासकर तब जब उसने हाल के महीनों में अपने बिजनेस मॉडल को स्थिर करने की कोशिश की है।
वित्तीय क्षेत्र में भी हलचल तेज है। एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट 2026 की शुरुआत में करीब 1.2 अरब डॉलर का आईपीओ ला सकती है, जिससे निवेशकों को म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में हिस्सेदारी का मौका मिलेगा। वहीं हीरो फिनकॉर्प करीब 3,668 करोड़ रुपये जुटाने की योजना पर काम कर रही है, जिसमें फ्रेश इश्यू और ऑफर फॉर सेल दोनों शामिल हैं।
कुल मिलाकर, 2026 भारत के पूंजी बाजार के लिए बेहद अहम साल साबित हो सकता है, जहां निवेशकों को बड़े और विविध विकल्प मिलने की उम्मीद है और कंपनियों को विस्तार के लिए पूंजी जुटाने का बड़ा मंच मिलेगा।


