जमुई के गिद्धौर थाना क्षेत्र अंतर्गत रतनपुर नयागांव रेलवे फाटक के समीप संचालित एक बालू डंप यार्ड को लेकर अवैध बालू तस्करी के गंभीर आरोप सामने आए हैं। मंगलवार को इस संबंध में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसने इलाके में हड़कंप मचा दिया है। वायरल वीडियो के सामने आने के बाद खनन विभाग, स्थानीय प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। वायरल वीडियो में ट्रैक्टरों से बालू उठाव का दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कथित तौर पर उलाई नदी के भौराटांड़ और निचली महुली गांव स्थित जीएनएम बालू घाट से आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टरों द्वारा बालू उठाव करते हुए देखा जा रहा है। आरोप लगाया जा रहा है कि यह बालू गिद्धौर थाना क्षेत्र के रतनपुर रेलवे फाटक के पास स्थित एक डंप यार्ड में जमा कराया जा रहा है। ग्रामीणों का दावा है कि यह डंप यार्ड उमित्रा ग्रुप के प्रोपराइटर रवि कुमार भगत द्वारा संचालित किया जा रहा है। आरोप है कि डंप यार्ड की आड़ में बड़े पैमाने पर अवैध बालू का भंडारण और बिक्री की जा रही है। सरकारी राजस्व को लाखों का नुकसान स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अवैध बालू कारोबार से सरकार और खनन विभाग को प्रतिदिन लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। उनका आरोप है कि बालू का उठाव बिना वैध चालान और परिवहन अनुमति के किया जा रहा है, जिससे नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। ग्रामीणों के अनुसार, यदि प्रशासन समय रहते कार्रवाई करता तो यह अवैध गतिविधि इतने बड़े पैमाने पर नहीं फैलती। तड़के सुबह होता है बालू का उठाव रतनपुर, भौराटांड़, कैराकादो, सोहजना और बानाडीह गांव के ग्रामीणों ने बताया कि यह अवैध बालू तस्करी पिछले करीब एक महीने से लगातार जारी है। ग्रामीणों के अनुसार, तड़के सुबह करीब तीन बजे से सात बजे तक ट्रैक्टरों के माध्यम से नदी घाटों से बालू उठाकर डंप यार्ड में जमा किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि सुबह-सुबह ट्रैक्टरों की आवाज से गांवों में नींद टूट जाती है, लेकिन डर के कारण लोग खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे हैं। स्थानीय पुलिस पर मिलीभगत का आरोप ग्रामीणों ने इस मामले में स्थानीय पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पुलिस की मिलीभगत के बिना इतने लंबे समय तक और इतने खुलेआम बालू का अवैध उठाव संभव नहीं है। ग्रामीणों का दावा है कि कई बार इस संबंध में स्थानीय पुलिस और खनन विभाग को सूचना दी गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों के अनुसार, शिकायतों के बावजूद यदि कार्रवाई नहीं होती है, तो इससे अवैध कारोबारियों के हौसले और बुलंद होते हैं। उमित्रा ग्रुप ने आरोपों को बताया निराधार वहीं, उमित्रा ग्रुप के कर्मी गोपाल कुमार ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि उमित्रा ग्रुप के पास खनन विभाग से बालू बिक्री का वैध लाइसेंस है और उनके डंप यार्ड पर ट्रैक्टरों से बालू नहीं गिराया जाता। उन्होंने दावा किया कि वायरल वीडियो को गलत तरीके से उनके डंप यार्ड से जोड़ा जा रहा है और इससे कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। खनन पदाधिकारी ने कही जांच की बात इस पूरे मामले में जमुई के खनन पदाधिकारी केशव कुमार पासवान ने कहा कि वायरल वीडियो अभी उनके संज्ञान में नहीं आया है। उन्होंने बताया कि वीडियो देखने के बाद मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। खनन पदाधिकारी ने यह भी दावा किया कि जिले में अवैध बालू तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है और कहीं से भी शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई की जाती है। प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल हालांकि, वायरल वीडियो और ग्रामीणों के आरोपों के बाद भी प्रशासनिक स्तर पर तत्काल कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आने से लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो अवैध बालू तस्करी से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि नदी तटों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। पर्यावरण और कानून-व्यवस्था पर असर विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध बालू खनन से नदियों का प्राकृतिक प्रवाह प्रभावित होता है, भू-क्षरण बढ़ता है और आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा, तस्करी से जुड़ी गतिविधियां अक्सर कानून-व्यवस्था की स्थिति को भी बिगाड़ती हैं। जांच के बाद सामने आएगा सच फिलहाल पूरा मामला वायरल वीडियो और आरोप-प्रत्यारोप के इर्द-गिर्द घूम रहा है। अब सबकी नजर खनन विभाग और जिला प्रशासन की जांच पर टिकी है। देखना होगा कि वीडियो की जांच के बाद प्रशासन क्या कदम उठाता है और क्या वाकई बालू डंप यार्ड की आड़ में अवैध तस्करी चल रही थी या नहीं। जमुई के गिद्धौर थाना क्षेत्र अंतर्गत रतनपुर नयागांव रेलवे फाटक के समीप संचालित एक बालू डंप यार्ड को लेकर अवैध बालू तस्करी के गंभीर आरोप सामने आए हैं। मंगलवार को इस संबंध में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसने इलाके में हड़कंप मचा दिया है। वायरल वीडियो के सामने आने के बाद खनन विभाग, स्थानीय प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। वायरल वीडियो में ट्रैक्टरों से बालू उठाव का दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कथित तौर पर उलाई नदी के भौराटांड़ और निचली महुली गांव स्थित जीएनएम बालू घाट से आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टरों द्वारा बालू उठाव करते हुए देखा जा रहा है। आरोप लगाया जा रहा है कि यह बालू गिद्धौर थाना क्षेत्र के रतनपुर रेलवे फाटक के पास स्थित एक डंप यार्ड में जमा कराया जा रहा है। ग्रामीणों का दावा है कि यह डंप यार्ड उमित्रा ग्रुप के प्रोपराइटर रवि कुमार भगत द्वारा संचालित किया जा रहा है। आरोप है कि डंप यार्ड की आड़ में बड़े पैमाने पर अवैध बालू का भंडारण और बिक्री की जा रही है। सरकारी राजस्व को लाखों का नुकसान स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अवैध बालू कारोबार से सरकार और खनन विभाग को प्रतिदिन लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। उनका आरोप है कि बालू का उठाव बिना वैध चालान और परिवहन अनुमति के किया जा रहा है, जिससे नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। ग्रामीणों के अनुसार, यदि प्रशासन समय रहते कार्रवाई करता तो यह अवैध गतिविधि इतने बड़े पैमाने पर नहीं फैलती। तड़के सुबह होता है बालू का उठाव रतनपुर, भौराटांड़, कैराकादो, सोहजना और बानाडीह गांव के ग्रामीणों ने बताया कि यह अवैध बालू तस्करी पिछले करीब एक महीने से लगातार जारी है। ग्रामीणों के अनुसार, तड़के सुबह करीब तीन बजे से सात बजे तक ट्रैक्टरों के माध्यम से नदी घाटों से बालू उठाकर डंप यार्ड में जमा किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि सुबह-सुबह ट्रैक्टरों की आवाज से गांवों में नींद टूट जाती है, लेकिन डर के कारण लोग खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे हैं। स्थानीय पुलिस पर मिलीभगत का आरोप ग्रामीणों ने इस मामले में स्थानीय पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पुलिस की मिलीभगत के बिना इतने लंबे समय तक और इतने खुलेआम बालू का अवैध उठाव संभव नहीं है। ग्रामीणों का दावा है कि कई बार इस संबंध में स्थानीय पुलिस और खनन विभाग को सूचना दी गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों के अनुसार, शिकायतों के बावजूद यदि कार्रवाई नहीं होती है, तो इससे अवैध कारोबारियों के हौसले और बुलंद होते हैं। उमित्रा ग्रुप ने आरोपों को बताया निराधार वहीं, उमित्रा ग्रुप के कर्मी गोपाल कुमार ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि उमित्रा ग्रुप के पास खनन विभाग से बालू बिक्री का वैध लाइसेंस है और उनके डंप यार्ड पर ट्रैक्टरों से बालू नहीं गिराया जाता। उन्होंने दावा किया कि वायरल वीडियो को गलत तरीके से उनके डंप यार्ड से जोड़ा जा रहा है और इससे कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। खनन पदाधिकारी ने कही जांच की बात इस पूरे मामले में जमुई के खनन पदाधिकारी केशव कुमार पासवान ने कहा कि वायरल वीडियो अभी उनके संज्ञान में नहीं आया है। उन्होंने बताया कि वीडियो देखने के बाद मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। खनन पदाधिकारी ने यह भी दावा किया कि जिले में अवैध बालू तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है और कहीं से भी शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई की जाती है। प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल हालांकि, वायरल वीडियो और ग्रामीणों के आरोपों के बाद भी प्रशासनिक स्तर पर तत्काल कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आने से लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो अवैध बालू तस्करी से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि नदी तटों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। पर्यावरण और कानून-व्यवस्था पर असर विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध बालू खनन से नदियों का प्राकृतिक प्रवाह प्रभावित होता है, भू-क्षरण बढ़ता है और आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा, तस्करी से जुड़ी गतिविधियां अक्सर कानून-व्यवस्था की स्थिति को भी बिगाड़ती हैं। जांच के बाद सामने आएगा सच फिलहाल पूरा मामला वायरल वीडियो और आरोप-प्रत्यारोप के इर्द-गिर्द घूम रहा है। अब सबकी नजर खनन विभाग और जिला प्रशासन की जांच पर टिकी है। देखना होगा कि वीडियो की जांच के बाद प्रशासन क्या कदम उठाता है और क्या वाकई बालू डंप यार्ड की आड़ में अवैध तस्करी चल रही थी या नहीं।


