इंदौर की एमजी रोड पुलिस ने आईएएस संतोष वर्मा को पदोन्नति का लाभ दिलाने वाले फर्जी निर्णय टाइप करने वाले कर्मचारी नीतू सिंह को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। पहले उसे बयान के लिए पुलिस ने नोटिस भेजा। वह थाने पहुंचा तो उसकी गिरफ्तारी कर ली गई। बाद में कोर्ट में पेश किया। शनिवार तक उसका रिमांड मिला है। पुलिस का मानना है कि आईएएस वर्मा के लिए तत्कालीन स्पेशल जज विजेन्द्र रावत की कोर्ट में जो फर्जी आदेश तैयार किया गया था। उसे नीतू सिंह ने टाइप किया था। इसकी उसे पूरी जानकारी थी।
एसीपी विनोद दीक्षित ने मीडिया को बताया कि फर्जी निर्णय को लेकर टाइपिस्ट रहे नीतू सिंह चौहान की गिरफ्तारी की गई है। वह काफी समय तक जज के यहां टाइपिस्ट का काम देखता था। इस मामले में अब तक फैसले की दस्तावेजी प्रति पुलिस के हाथ नहीं लगी है। फर्जी फैसला जिस समय लिखा गया था। अभी वह इंदौर के कुटुंब न्यायालय में टाइपिस्ट का काम देख रहा था। चौहान की गिरफ्तारी के दौरान पुलिस को वकीलों के विरोध का सामना भी करना पड़ा।
इससे पहले आईएएस वर्मा के लिए लिखे गए कोर्ट के फर्जी निर्णयों के प्रकरण की जांच के लिए गठित एसआइटी ने 2021 में पेन ड्राइव और जज विजेंद्र रावत का सिस्टम जब्त किया था। पेन ड्राइव में दोनों निर्णयों की प्रति पुलिस को मिल गई थी।
कुछ दिन पहले मिली है अग्रिम जमानत
विजेंद्र रावत अग्रिम जमानत पर हैं, जबकि संतोष वर्मा सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर रिहा हैं। आइएएस संतोष वर्मा से पूछताछ और हस्ताक्षर के नमूने लिए जाने हैं, लेकिन वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में पुलिस संतोष वर्मा की अग्रिम जमानत खारिज करने के लिए कोर्ट जा सकती है। ये खबर भी पढ़ें… आईएएस संतोष वर्मा का बर्खास्तगी प्रस्ताव केंद्र को भेजा ब्राह्मण बेटियों को लेकर अपशब्द कहने वाले और हाईकोर्ट पर एससी-एसटी को सिविल जज नहीं बनने देने का आरोप लगाने वाले आईएएस एवं अनुसूचितजाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) के अध्यक्ष संतोष वर्मा के खिलाफ मप्र सरकार ने सख्त कदम उठाया है। सरकार ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) को वर्मा को सेवा से बर्खास्त करने का प्रस्ताव भेजा है। पूरी खबर पढ़ें


