तारीख 29 अक्टूबर 2025। मुजफ्फरपुर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस लीडर राहुल गांधी की बिहार चुनाव में पहली सभा थी। यहां उन्होंने कहा, ‘PM नरेंद्र मोदी जी ड्रामा कर रहे हैं कि देखो मैं यमुना जी में नहाया हूं। उन्हें छठ पूजा से कोई लेना-देना नहीं है। वोट के लिए वो कुछ भी कर देंगे। जो ड्रामा करने के लिए कहोगे, वे कर देंगे। बोलो स्टेज पर आकर नाच दीजिए, वो नाच लेंगे।’ राहुल गांधी के इस कार्यक्रम के ठीक अगले दिन यानी 30 अक्टूबर को प्रधानमंत्री बिहार आए। छठ पूजा समाप्त होने के दो दिन बाद मुजफ्फरपुर में ही उनकी सभा हुई। यहां पीएम अपने भाषण की शुरुआत में लगातार 15 मिनट तक छठ पर बोले। पीएम मोदी ने छठ पूजा को यूनेस्को में शामिल कराने से लेकर कॉम्पिटिशन कराने तक की घोषणा कर दी। इसके बाद राहुल गांधी के बयान को उन्होंने सीधे तौर बिहारियों और खुद के अपमान से जोड़ दिया। यहां प्रधानमंत्री का 55 मिनट का भाषण छठ, जंगलराज, दो नाली, कट्टा, छर्रा जैसे शब्दों के इर्द-गिर्द रहा। PM ने पहली बार अपने भाषण में जंगल राज की व्याख्या ‘5 क’- कट्टा, क्रूरता, कटुता, कुशासन करप्शन से की। समस्तीपुर के पिछड़ा कार्ड के बाद अब मुजफ्फरपुर में PM ने धर्म का मुद्दा और जंगलराज का खौफ दिखाया। पीएम मोदी ने जनता से सवाल पूछा, ‘आपका बेटा तो छठी मैया का जय-जयकार दुनियाभर में कराने में लगा है। कांग्रेस और राजद वाले छठी मैया का अपमान दुनिया में करने में लगे है। क्या ऐसा अपमान बिहार-हिन्दुस्तान सहन करेगा? क्या निर्जला उपवास करने वाली माताएं इसे सहन करेंगी क्या।’ केवल पीएम नरेंद्र मोदी ही नहीं अमित शाह समेत BJP के सभी टॉप लीडरशिप ने इसे बिहार के अपमान से जोड़ दिया है। अब इन 5 पॉइंट में समझिए PM के भाषण के मायने… 1. क्या राहुल गांधी ने BJP को छठ का मुद्दा दे दिया द हिंदू बिजनेस लाइन के एसोसिएट एडिटर शिशिर सिन्हा कहते हैं, ‘राहुल गांधी ने छठ में नाच का बयान देकर सेल्फ गोल कर लिया है। उन्होंने चुनाव के दौरान PM को बैठे-बिठाए मुद्दा और मौका दोनों दे दिया है। राहुल गांधी को ऐसे बयान से बचना चाहिए। खास कर उस व्यक्ति को, जो इस तरह के मौकों की तालाश में रहते हैं। दरअसल, नरेंद्र मोदी की छवि एक ऐसे नेता की है, जो मुद्दे को बेहतर तरीके से भुनाना जानते हैं। इससे पहले भी कांग्रेस नेताओं की तरफ से अलग-अलग चुनाव पर कभी ‘चौकीदार चोर है’ तो कभी ‘नीच इंसान’ का बयान दिया गया, जिसे नरेंद्र मोदी ने अपना चुनावी कैंपेन ही बना दिया है। सीनियर जर्नलिस्ट अरुण पांडेय कहते हैं, ‘सनातन और हिंदुत्व चुनाव में BJP के लिए सबसे फेवरेट टॉपिक हैं। BJP इस बात को अच्छे से जानती है कि वे चुनाव को जितना हिंदुत्व और धर्म के इर्द-गिर्द ले जाएगी, उतना फायदा उन्हें मिलेगा। खास कर छठ पर्व बिहार के लिए न केवल त्योहार है, बल्कि एक इमोशन है। अब BJP इसे बड़ा मुद्दा बनाने में जुट गई है। 2. विकास के मुद्दे से ज्यादा जंगलराज का डर BJP इस चुनाव में भी एनडीए सरकार के कामों से ज्यादा जंगलराज के खौफ को मुद्दा बना रही है। प्रधानमंत्री ने अपने 55 मिनट के भाषण में न केवल 10 बार जंगलराज शब्द को दोहराया, बल्कि उन्होंने मुजफ्फरपुर के गोलू हत्याकांड जैसी घटना को भी लोगों को याद दिलाई। जमीन की लूट से लेकर अपहरण का आंकड़ा तक गिनाया। PM के भाषण में गोली, कट्टा से लेकर छर्रा तक का जिक्र हुआ। क्या सच में एनडीए को जंगलराज का मुद्दा उठाने का लाभ मिलेगा? इस सवाल पर शिशर सिन्हा बताते हैं, ‘जंगलराज एक घिसा-पिटा मामला है। लोग सुनना चाहते हैं, इसलिए बोला जा रहा है। एनडीए खास कर प्रधानमंत्री को अपने कार्यकाल और आने वाले 5 साल का अपना ब्लू प्रिंट रखना चाहिए।’ उनका कहना है कि जंगलराज अब बिहार चुनाव के लिए बड़ा मुद्दा नहीं रह गया है। इसका बहुद ज्यादा प्रभाव भी नहीं पड़ा चाहिए। हालांकि, साथ में वे ये भी बताते हैं कि घोषणा पत्र में एनडीए अपना ब्लू प्रिंट रख सकती है। 3. छर्रा- कट्टा जैसी भाषा का इस्तेमाल क्यों, जैसे को तैसा का जवाब प्रधानमंत्री ने मुजफ्फरपुर में कहा, ‘आरजेडी के प्रचार के गानों में छर्रा, कट्टा, दूनाली जैसी भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। हम तो बस हाथ जोड़ कर आपकी सेवा की बात कर रहे हैं। इनके गानों से ही इनकी सोच दिखती है। ऐसे में चर्चा इस बात की है कि इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना क्या PM के लिए जायज है? इस सवाल पर सीनियर जर्नलिस्ट अरुण पांडेय बताते हैं, कोई भी प्रधानमंत्री कभी इस तरह के बयान नहीं दिया करते थे, लेकिन अब भाषा की मर्यादा कहीं नहीं रह गई है। नरेंद्र मोदी 365 दिन इलेक्शन मोड में रहते हैं। वो कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। जैसा को तैसा के हिसाब से जवाब देते हैं। चुनाव प्रचार का ये उनका अपना अंदाज है। 4. क्या PM ने मुजफ्फरपुर के मुद्दे को उठाया, एयरपोर्ट-चीनी मिल पर चुप्पी PM नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में ‘किसान सम्मान निधी’ के तहत मुजफ्फरपुर के किसानों को मिलने वाले लाभ, यहां बने हाईवे और किसान चाची को मिले पद्म श्री के सम्मान को गिनाया। लेकिन यहां के मुद्दों पर उन्होंने बस इतना कहा कि मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन और पताही एयरपोर्ट यहां की नई पहचान बनेगी। लोकल मुद्दे के सवाल पर मुजफ्फरपुर के सीनियर जर्नलिस्ट विभेष त्रिवेदी कहा कहना है कि, 5. मुजफ्फरपुर में PM की सभा क्यों, पिछले बारी की तरह बराबरी का मुकाबला PM की सभा के लिए जिले का चयन स्ट्रेटिजिकली किया जा रहा है। पार्टी की तरफ से उन जिलों में PM की सभा की जा रही है, जहां पिछली बार बराबरी का मुकाबला रहा है। पार्टी की कोशिश है कि यहां पिछले नंबर को हासिल करने के साथ नई सीटें भी जीती जाए। 30 अक्टूबर को प्रधानमंत्री की दो जिलों में सभा हुई। मुजफ्फरपुर और सारण। पहले इसकी मौजूदा स्थिति समझिए। मुजफ्फरपुर में विधानसभा की कुल 11 सीटें हैं। इनमें 6 NDA के पास है और 5 महागठबंधन के पास। वहीं सारण में विधानसभा की 10 सीटें हैं। इनमें 3 NDA के पास और 7 महागठबंधन के पास है। मुजफ्फरपुर में इस बार कांटे की टक्कर – एक्सपर्ट सीनियर जर्नलिस्ट विभेष त्रिवेदी बताते हैं, ‘मुजफ्फरपुर में इस बार कांटे की टक्कर है। जो सीटें पहले से ही BJP के पास है, इस बार उसे बचाने की चुनौती है। यहां विधायकों के खिलाफ भारी एंटी- इनकंबेंसी है। मुजफ्फरपुर सदर जैसी शहरी सीट BJP पिछले बार हार गई थी। इस बार भी वहां चुनौती है। साहेबगंज, पारु, सकरा में कांटे की टक्कर है। गायघाट में भी विद्रोह की स्थिति है। वहां सांसद वीणा देवी की बेटी को कैंडिडेट बनाया गया है। कई सीटों पर इस बार जातीय समीकरण में भी महागठबंधन की तरफ से प्रयोग किया गया है। तारीख 29 अक्टूबर 2025। मुजफ्फरपुर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस लीडर राहुल गांधी की बिहार चुनाव में पहली सभा थी। यहां उन्होंने कहा, ‘PM नरेंद्र मोदी जी ड्रामा कर रहे हैं कि देखो मैं यमुना जी में नहाया हूं। उन्हें छठ पूजा से कोई लेना-देना नहीं है। वोट के लिए वो कुछ भी कर देंगे। जो ड्रामा करने के लिए कहोगे, वे कर देंगे। बोलो स्टेज पर आकर नाच दीजिए, वो नाच लेंगे।’ राहुल गांधी के इस कार्यक्रम के ठीक अगले दिन यानी 30 अक्टूबर को प्रधानमंत्री बिहार आए। छठ पूजा समाप्त होने के दो दिन बाद मुजफ्फरपुर में ही उनकी सभा हुई। यहां पीएम अपने भाषण की शुरुआत में लगातार 15 मिनट तक छठ पर बोले। पीएम मोदी ने छठ पूजा को यूनेस्को में शामिल कराने से लेकर कॉम्पिटिशन कराने तक की घोषणा कर दी। इसके बाद राहुल गांधी के बयान को उन्होंने सीधे तौर बिहारियों और खुद के अपमान से जोड़ दिया। यहां प्रधानमंत्री का 55 मिनट का भाषण छठ, जंगलराज, दो नाली, कट्टा, छर्रा जैसे शब्दों के इर्द-गिर्द रहा। PM ने पहली बार अपने भाषण में जंगल राज की व्याख्या ‘5 क’- कट्टा, क्रूरता, कटुता, कुशासन करप्शन से की। समस्तीपुर के पिछड़ा कार्ड के बाद अब मुजफ्फरपुर में PM ने धर्म का मुद्दा और जंगलराज का खौफ दिखाया। पीएम मोदी ने जनता से सवाल पूछा, ‘आपका बेटा तो छठी मैया का जय-जयकार दुनियाभर में कराने में लगा है। कांग्रेस और राजद वाले छठी मैया का अपमान दुनिया में करने में लगे है। क्या ऐसा अपमान बिहार-हिन्दुस्तान सहन करेगा? क्या निर्जला उपवास करने वाली माताएं इसे सहन करेंगी क्या।’ केवल पीएम नरेंद्र मोदी ही नहीं अमित शाह समेत BJP के सभी टॉप लीडरशिप ने इसे बिहार के अपमान से जोड़ दिया है। अब इन 5 पॉइंट में समझिए PM के भाषण के मायने… 1. क्या राहुल गांधी ने BJP को छठ का मुद्दा दे दिया द हिंदू बिजनेस लाइन के एसोसिएट एडिटर शिशिर सिन्हा कहते हैं, ‘राहुल गांधी ने छठ में नाच का बयान देकर सेल्फ गोल कर लिया है। उन्होंने चुनाव के दौरान PM को बैठे-बिठाए मुद्दा और मौका दोनों दे दिया है। राहुल गांधी को ऐसे बयान से बचना चाहिए। खास कर उस व्यक्ति को, जो इस तरह के मौकों की तालाश में रहते हैं। दरअसल, नरेंद्र मोदी की छवि एक ऐसे नेता की है, जो मुद्दे को बेहतर तरीके से भुनाना जानते हैं। इससे पहले भी कांग्रेस नेताओं की तरफ से अलग-अलग चुनाव पर कभी ‘चौकीदार चोर है’ तो कभी ‘नीच इंसान’ का बयान दिया गया, जिसे नरेंद्र मोदी ने अपना चुनावी कैंपेन ही बना दिया है। सीनियर जर्नलिस्ट अरुण पांडेय कहते हैं, ‘सनातन और हिंदुत्व चुनाव में BJP के लिए सबसे फेवरेट टॉपिक हैं। BJP इस बात को अच्छे से जानती है कि वे चुनाव को जितना हिंदुत्व और धर्म के इर्द-गिर्द ले जाएगी, उतना फायदा उन्हें मिलेगा। खास कर छठ पर्व बिहार के लिए न केवल त्योहार है, बल्कि एक इमोशन है। अब BJP इसे बड़ा मुद्दा बनाने में जुट गई है। 2. विकास के मुद्दे से ज्यादा जंगलराज का डर BJP इस चुनाव में भी एनडीए सरकार के कामों से ज्यादा जंगलराज के खौफ को मुद्दा बना रही है। प्रधानमंत्री ने अपने 55 मिनट के भाषण में न केवल 10 बार जंगलराज शब्द को दोहराया, बल्कि उन्होंने मुजफ्फरपुर के गोलू हत्याकांड जैसी घटना को भी लोगों को याद दिलाई। जमीन की लूट से लेकर अपहरण का आंकड़ा तक गिनाया। PM के भाषण में गोली, कट्टा से लेकर छर्रा तक का जिक्र हुआ। क्या सच में एनडीए को जंगलराज का मुद्दा उठाने का लाभ मिलेगा? इस सवाल पर शिशर सिन्हा बताते हैं, ‘जंगलराज एक घिसा-पिटा मामला है। लोग सुनना चाहते हैं, इसलिए बोला जा रहा है। एनडीए खास कर प्रधानमंत्री को अपने कार्यकाल और आने वाले 5 साल का अपना ब्लू प्रिंट रखना चाहिए।’ उनका कहना है कि जंगलराज अब बिहार चुनाव के लिए बड़ा मुद्दा नहीं रह गया है। इसका बहुद ज्यादा प्रभाव भी नहीं पड़ा चाहिए। हालांकि, साथ में वे ये भी बताते हैं कि घोषणा पत्र में एनडीए अपना ब्लू प्रिंट रख सकती है। 3. छर्रा- कट्टा जैसी भाषा का इस्तेमाल क्यों, जैसे को तैसा का जवाब प्रधानमंत्री ने मुजफ्फरपुर में कहा, ‘आरजेडी के प्रचार के गानों में छर्रा, कट्टा, दूनाली जैसी भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। हम तो बस हाथ जोड़ कर आपकी सेवा की बात कर रहे हैं। इनके गानों से ही इनकी सोच दिखती है। ऐसे में चर्चा इस बात की है कि इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना क्या PM के लिए जायज है? इस सवाल पर सीनियर जर्नलिस्ट अरुण पांडेय बताते हैं, कोई भी प्रधानमंत्री कभी इस तरह के बयान नहीं दिया करते थे, लेकिन अब भाषा की मर्यादा कहीं नहीं रह गई है। नरेंद्र मोदी 365 दिन इलेक्शन मोड में रहते हैं। वो कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। जैसा को तैसा के हिसाब से जवाब देते हैं। चुनाव प्रचार का ये उनका अपना अंदाज है। 4. क्या PM ने मुजफ्फरपुर के मुद्दे को उठाया, एयरपोर्ट-चीनी मिल पर चुप्पी PM नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में ‘किसान सम्मान निधी’ के तहत मुजफ्फरपुर के किसानों को मिलने वाले लाभ, यहां बने हाईवे और किसान चाची को मिले पद्म श्री के सम्मान को गिनाया। लेकिन यहां के मुद्दों पर उन्होंने बस इतना कहा कि मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन और पताही एयरपोर्ट यहां की नई पहचान बनेगी। लोकल मुद्दे के सवाल पर मुजफ्फरपुर के सीनियर जर्नलिस्ट विभेष त्रिवेदी कहा कहना है कि, 5. मुजफ्फरपुर में PM की सभा क्यों, पिछले बारी की तरह बराबरी का मुकाबला PM की सभा के लिए जिले का चयन स्ट्रेटिजिकली किया जा रहा है। पार्टी की तरफ से उन जिलों में PM की सभा की जा रही है, जहां पिछली बार बराबरी का मुकाबला रहा है। पार्टी की कोशिश है कि यहां पिछले नंबर को हासिल करने के साथ नई सीटें भी जीती जाए। 30 अक्टूबर को प्रधानमंत्री की दो जिलों में सभा हुई। मुजफ्फरपुर और सारण। पहले इसकी मौजूदा स्थिति समझिए। मुजफ्फरपुर में विधानसभा की कुल 11 सीटें हैं। इनमें 6 NDA के पास है और 5 महागठबंधन के पास। वहीं सारण में विधानसभा की 10 सीटें हैं। इनमें 3 NDA के पास और 7 महागठबंधन के पास है। मुजफ्फरपुर में इस बार कांटे की टक्कर – एक्सपर्ट सीनियर जर्नलिस्ट विभेष त्रिवेदी बताते हैं, ‘मुजफ्फरपुर में इस बार कांटे की टक्कर है। जो सीटें पहले से ही BJP के पास है, इस बार उसे बचाने की चुनौती है। यहां विधायकों के खिलाफ भारी एंटी- इनकंबेंसी है। मुजफ्फरपुर सदर जैसी शहरी सीट BJP पिछले बार हार गई थी। इस बार भी वहां चुनौती है। साहेबगंज, पारु, सकरा में कांटे की टक्कर है। गायघाट में भी विद्रोह की स्थिति है। वहां सांसद वीणा देवी की बेटी को कैंडिडेट बनाया गया है। कई सीटों पर इस बार जातीय समीकरण में भी महागठबंधन की तरफ से प्रयोग किया गया है।


