खालिस्तान समर्थक सांसद की याचिका पर SC में सुनवाई:डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल ने NSA का विरोध किया; संसद सत्र में जाने की छूट मांगी

खालिस्तान समर्थक सांसद की याचिका पर SC में सुनवाई:डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल ने NSA का विरोध किया; संसद सत्र में जाने की छूट मांगी

पंजाब के खडूर साहिब से खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह पर लगे नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) को लेकर आज, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इस संबंध में सांसद अमृतपाल ने ही याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने फरीदकोट के गुरप्रीत सिंह हरीनौ की हत्या मामले तीसरी बार NSA लगाने को चुनौती दी है। अमृतपाल के वकीलों की दलील है कि NSA लगाना उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है। उनकी हिरासत खत्म की जानी चाहिए। अमृतपाल की याचिका में यह भी मांग की गई है कि उन्हें संसद सत्रों में हिस्सा लेने की अनुमति दी जाए, जिसे अब तक उनकी हिरासत के कारण रोका गया है। अमृतपाल की याचिका में यह भी कहा गया है कि एक सांसद का कामकाज रोकना उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोकतांत्रिक​​​​ अधिकारों का उल्लंघन है। जिस हत्याकांड को लेकर सांसद अमृतपाल पर NSA बढ़ाई गई है, वह मामला 9 अक्टूबर 2024 का है। पुलिस की SIT की जांच में हत्याकांड की साजिश में आतंकी अर्श डल्ला के साथ अमृतपाल का भी नाम सामने आया था। अमृतपाल अभी असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। अप्रैल 2023 से जेल में अमृतपाल, 9 साथियों से NSA हटाया जा चुका
अमृतपाल सिंह पर तीसरी बार एनएसए लगाया गया है। अमृतपाल सिंह के साथ उसके 9 अन्य साथी दो साल साथ रहे। लेकिन इस बार सभी 9 साथियों का NSA तो खत्म कर दिया गया, लेकिन सिर्फ अमृतपाल सिंह पर NSA एक और साल के लिए बढ़ा दिया गया। अमृतपाल सिंह 23 अप्रैल 2023 से हिरासत में है। गिरफ्तारी के तुरंत बाद ही अमृतपाल पर NSA लगा दिया गया था। जिसके बाद असम की डिब्रूगढ़ जेल में भेज दिया गया था। सरकार ने कहा कि अमृतपाल की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। जिसे 2-2 साल के लिए बढ़ाया भी गया। हालांकि अब अमृतपाल के 9 साथियों से 2 साल बाद NSA हटा लिया गया लेकिन अमृतपाल पर तीसरी बार एक और साल के लिए इसे बढ़ा दिया गया। इस वजह से अमृतपाल की जमानत से लेकर पंजाब वापसी मुश्किल हो रखी है। अमृतपाल ने जेल में रहकर रिकॉर्ड वोटों से चुनाव जीता
अमृतपाल सिंह ने जेल में रहते हुए 2024 में पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा। उनके पास किसी तरह का कैडर या पार्टी का भी सहारा नहीं था। अमृतपाल ने खुद प्रचार तक नहीं किया। इसके बावजूद वह 1.79 लाख वोटों चुनाव जीते। पंजाब के 13 लोकसभा क्षेत्रों में जीत का यह सबसे बड़ा अंतर था। परिवार के अनुसार अमृतपाल को जेल से बाहर लाने के लिए संगत ने फैसला लिया था कि उन्हें लोकसभा चुनाव 2024 लड़वाया जाए। अमृतपाल इसके लिए राजी नहीं थे, तब माता-पिता और वकील ने जेल में जाकर उन्हें मनाया। चुनाव का कैंपेन भी पिता तरसेम सिंह ने ही संभाला था। अमृतपाल समर्थकों ने पार्टी बनाई, तरनतारन उपचुनाव भी लड़ रहे
अमृतपाल की चुनाव में जीत के बाद उनके समर्थकों ने पंजाब में नई पार्टी बना ली है। इसमें फरीदकोट से निर्दलीय सांसद चुने गए सर्वजीत सिंह खालसा भी उनके साथ हैं। पार्टी का नाम (अकाली दल वारिस पंजाब दे) रखा गया है। पार्टी का अध्यक्ष असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद सांसद अमृतपाल को बनाया गया है। अध्यक्ष अमृतपाल के जेल में होने के कारण पार्टी को चलाने के लिए कमेटी बनाई गई है। जिसने पंजाब में मैंबरशिप ड्राइव को शुरू भी कर दिया है। इतना ही नहीं, कुछ माह पहले ही अमृतपाल सिंह की इस पार्टी ने उसे 2027 विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री कैंडिडेट भी घोषित कर रखा है। 11 नवंबर को होने वाले तरनतारन उप-चुनाव में अमृतपाल सिंह की पार्टी ने हिंदू नेता सुधीर सूरी की हत्या के आरोपी संदीप सिंह सन्नी के भाई मनदीप सिंह को टिकट देकर मैदान में उतारा है।

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