भोपाल के जिम संचालक पंकज सिंह चौहान ‘अखंड भारत निर्माण यात्रा’ पर निकले हैं। उनका लक्ष्य देशभर में ‘रियल हीरोज’ के सम्मान में 10 लाख पौधे लगाना है। यह यात्रा उन्होंने करीब एक महीने पहले नर्मदापुरम के सेठानी घाट से साइकिल से शुरू की थी। शुक्रवार वे बड़वानी के रोहिणी तीर्थ नर्मदा तट पर पहुंचे, जहां उन्होंने मां नर्मदा की पूजा-अर्चना की। पंकज सिंह ने बताया कि वे नर्मदा नदी के किनारे-किनारे यात्रा करते हुए गुजरात पहुंचेंगे। इसके बाद वे महाराष्ट्र सहित देश के अन्य राज्यों का दौरा करेंगे। ग्रामीण स्कूलों की हालत पर भावुक हुए यात्रा के दौरान बड़वानी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की दयनीय स्थिति देखकर जिम संचालक भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि कई स्कूल झोपड़ियों में चल रहे हैं, वहीं कुछ जर्जर इमारतों में संचालित हो रहे हैं, जहां बच्चों के बैठने की भी उचित व्यवस्था नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों को बेहतर शिक्षा, भोजन और स्वच्छ वातावरण मिलना उनका अधिकार है, और इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। जिम संचालक ने बताया कि उनका विवाह 2014 में अभिलाषा से हुआ था और उनकी दो बेटियां हैं, आगामी (10 वर्ष) और आयामी (5 वर्ष)। परिवार को छोड़कर वे देश के लोगों को जागरूक करने के लिए इस यात्रा पर निकले हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि 10 लाख पौधे उन ‘रियल हीरोज’ के सम्मान में लगाए जाएंगे, जिनकी वजह से देश प्रगति कर रहा है। देश के ‘रियल हीरोज’ को नहीं मिलता उचित सम्मान इन ‘रियल हीरोज’ में किसान, मजदूर, शिक्षक, डॉक्टर, सिपाही, सैनिक, वैज्ञानिक और घर की महिलाएं शामिल हैं। जिम संचालक चौहान ने कहा ये वह लोग हैं, जो देश को चलाने में सबसे ज्यादा योगदान करते हैं। उन्हें आज के समय में ना तो उचित सम्मान मिलता है और ना ही सही मूल्य में मेहनताना मिलता है। 21वीं सदी में भी समाज में असमानता, भेदभाव और जातिवाद गहराई तक मौजूद हैं। अमीर और अधिक अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीबों की स्थिति और दयनीय होती जा रही है। कई लोग एक समय का भोजन भी सही से नहीं जुटा पाते। यह असमानता लगातार बढ़ रही है। देश संविधान से चलता है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी अलग नजर आती है। ‘अखंड भारत निर्माण यात्रा’ शुरू, शिक्षा में समानता की मांग उठाई जिम संचालक का कहना है कि संविधान का असली अर्थ समानता है, लेकिन आज भी लोगों को बराबर के अधिकार नहीं मिल रहे। उन्होंने देश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूरे भारत में एक समान शिक्षा प्रणाली लागू की जानी चाहिए। किसी राज्य बोर्ड, सीबीएसई या एसएससी जैसे अलग-अलग बोर्डों की जरूरत नहीं होनी चाहिए, ताकि भेदभाव और असमानता की शिक्षा खत्म हो। अपनी यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए पंकज सिंह ने बताया कि वे पिछले वर्ष यह यात्रा शुरू करना चाहते थे, लेकिन पैर टूटने के कारण उन्हें इसे टालना पड़ा। इस वर्ष 24 अक्टूबर से उन्होंने ‘अखंड भारत निर्माण यात्रा’ की शुरुआत की है, और अगले पांच वर्षों तक वे इसी यात्रा को पूरे देश में जारी रखेंगे।


