झारखंड की टेक्सटाइल इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही है। यहां पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। जबकि ओडिशा उद्योगपतियों को कई सुविधाएं दे रहा है। इसे देख चार बड़ी कंपनियों ने झारखंड छोड़कर ओडिशा शिफ्ट होने का मन बना लिया है। ओरमांझी स्थित कुल्ही इंडस्ट्रियल एरिया स्थित वेलेंसिया टेक्सटाइल, किशोर एक्सपोर्ट और गणपति क्रिएशन ने ओडिशा में उद्योग लगाने के लिए आवेदन दे दिया है। वहीं टाटा रोड स्थित अर्बन प्रा. लि. भी ओडिशा शिफ्ट होने को तैयार है। अगर इन चार कंपनियों ने झारखंड छोड़ दिया तो करीब 6000 लोग बेरोजगार हो जाएंगे। इन कंपनियों के संचालकों का कहना है कि ओडिशा की टेक्सटाइल नीति अभी देश में सबसे अच्छी है। वहां रोजगार सब्सिडी, पूंजी सब्सिडी, पीएफ-ईएसआई और महिला कर्मचारियों के लिए हॉस्टल जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन झारखंड में नहीं। दीपक अग्रवाल ने कहा: ओडिशा में मिल रही बेहतर सुविधाएं किशोर एक्सपोर्ट के मालिक दीपक अग्रवाल ने कहा कि हमें ओडिशा में बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं। वहां की टेक्सटाइल पॉलिसी देश में सबसे बढ़िया है। मजदूरों को सब्सिडी देने की कोई समय-सीमा नहीं, जबकि झारखंड में 7 वर्ष है। उन्होंने यह भी कहा कि इस समय हम संकट के दौर से गुजर रहे हैं। अमेरिका के 50% टैरिफ से स्थिति और खराब हो गई है। वर्कऑर्डर कम मिल रहे हैं। झारखंड की टेक्सटाइल नीति प्रति महिला कर्मचारी प्रतिमाह 6000 रुपए की रोजगार सब्सिडी। नए उद्योग स्थापित करने के लिए 25% पूंजी सब्सिडी। पीएफ-ईएसआई में 1000 रुपए राज्य सरकार वहन करती है। उद्योगों को भूमि पर छूट का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। झारखंड में पॉलिसी में सिर्फ यह लिखा हुआ है कि उद्योगों को इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराया जाएगा। अर्बन प्राइवेट लिमिटेड के संचालक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि झारखंड में कोई पॉलिसी ही नहीं है। ओडिशा जाना हमारी मजबूरी हो जाएगी। हमें यहां सब्सिडी आदि नहीं मिल पा रही है। इस कंपनी में 2000 लोग काम कर रहे हैं। सैलरी वेजेज नहीं मिलने की समस्या लगातार आ रही है। ओडिशा में फैक्ट्री लगाना काफी आसान है। वहां से लोग भी हमारे यहां विजिट करने आए थे। ये कंपनियां दूसरे राज्यों में कर रही उद्योगों का विस्तार क्या कहते हैं उद्योगपति वीरेंद्र सिंह रावत बोले: झारखंड में तो कोई पॉलिसी ही नहीं है ओडिशा की टेक्सटाइल नीति प्रति महिला कर्मचारी प्रतिमाह 7000 रुपए की रोजगार सब्सिडी। नए उद्योग स्थापित करने के लिए 40% पूंजी सब्सिडी। पीएफ और ईएसआई का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। 1000 से ज्यादा कर्मचारी वाले उद्योगों को भूमि पर 75% छूट। महिला कर्मचारियों के लिए हॉस्टल, कॉमन ईटीपी प्लांट, सबस्टेशन और स्किल मिशन जैसी सुविधाएं। देश की अग्रणी गारमेंट कंपनी शाही एक्सपोर्ट को करीब आठ साल पहले झारखंड में जमीन आवंटित की गई थी। कंपनी ने आज तक इमारत नहीं बनवाई। जबकि ओडिशा और मध्यप्रदेश में कंपनी का विस्तार कर रही है। दिल्ली पर्ल ग्लोबल ने भी करीब 7 साल पहले झारखंड में गहरी रुचि दिखाई थी। लेकिन, वर्तमान में वह मध्य प्रदेश में अपनी फैक्ट्री स्थापित कर रही है।


