उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग ने लखनऊ में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जीएसटी पंजीकरण कराने वाली दो फर्जी फर्में को पकड़ा है। जांच में पता चला कि दोनों फर्में कागजों पर ही चल रही थीं, उनके बताए पते पर न तो कोई दुकान थी और न ही कोई कारोबार। दोनों मामलों में महाराष्ट्र के लोगों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने जाली बिजली बिल और गलत जानकारी देकर जीएसटी नंबर हासिल किया और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के नाम पर करोड़ों का टैक्स हजम कर लिया। पता झूठा, बिजली बिल भी फर्जी सहायक आयुक्त शिवेन्द्र जायसवाल के अनुसार, M/S Vijay Enterprise नाम की फर्म ने पराड़कर अपार्टमेंट कोठारी बंधु मार्ग, फतेहगंज, लखनऊ का पता दिखाकर 3 जुलाई 2025 को GSTIN 09OVRPS7157GIZD प्राप्त किया था। लेकिन विभाग की टीम जब 8 जुलाई को मौके पर पहुंची तो ऐसा कोई अपार्टमेंट वहां मौजूद नहीं मिला। आसपास पूछताछ में भी किसी को इस नाम के किसी कारोबारी या बिल्डिंग की जानकारी नहीं थी। फर्म द्वारा अपलोड किया गया बिजली का बिल UPPCL की वेबसाइट पर फर्जी पाया गया, जबकि फर्म का मोबाइल नंबर भी बंद मिला। जांच में सामने आया कि फर्म के मालिक विजय राजू सुराडकर, महाराष्ट्र के ठाणे जिले के रहने वाले हैं। कारोबार गायब, करोड़ों का आईटीसी क्लेम दूसरा मामला M/S Abhishek Traders का है, जिसने मेघदूत अपार्टमेंट कोठारी बंधु मार्ग फतेहगंज, लखनऊ का पता दिखाकर जीएसटी पंजीकरण लिया था। राज्य कर अधिकारी अनूप कुमार तिवारी ने रेकी में पाया कि इस नाम की कोई बिल्डिंग उस इलाके में है ही नहीं। फर्म द्वारा अपलोड बिजली बिल भी बोगस निकला और फर्म मालिक के मोबाइल नंबर अमान्य पाए गए। जांच में पता चला कि फर्म के स्वामी अभिषेक बंसी पेंडुरकर, महाराष्ट्र के कल्याण निवासी हैं। राज्य कर विभाग के अनुसार, इस फर्म ने अप्रैल से जून 2025 के बीच करीब 6 करोड़ रुपए की फर्जी इनवर्ड सप्लाई दिखाई और उस पर 1.4 करोड़ रुपए से ज्यादा का आईटीसी क्लेम किया, जिसे आगे दूसरी फर्मों को पास ऑन कर दिया गया। विभाग के अनुसार असल में कोई माल का लेनदेन हुआ ही नहीं। सिर्फ कागजों पर इनवॉयस बना कर फर्जी जीएसटी क्रेडिट दिखाया गया ताकि टैक्स चोरी की जा सके। एफआईआर की सिफारिश, महाराष्ट्र कनेक्शन की जांच शुरू दोनों मामलों में सहायक आयुक्त शिवेन्द्र जायसवाल ने थानाध्यक्ष तालकटोरा को पत्र भेजकर फर्म मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। विभाग ने बिजली बिल, फर्जी दस्तावेजों की कॉपी और गोपनीय रेकी रिपोर्ट भी पुलिस को सौंपी है। साथ ही, इन दोनों मामलों के महाराष्ट्र कनेक्शन की भी जांच शुरू कर दी गई है।


