नई नियमावली पर वित्त व विधि विभाग की आपत्ति, फिर भी कैबिनेट में भेजा प्रस्ताव

झारखंड में सहायक अभियंताओं की नियुक्ति और प्रोन्नति के लिए तैयार नियमावली पर झारखंड अभियंत्रण सेवा संघ ने कड़ी आपत्ति जताई है। संघ ने कहा है कि नई नियमावली पर वित्त और विधि विभाग की आपत्ति है। इसके बावजूद इस नियमावली को कैबिनेट की स्वीकृति कराने के भेज दिया गया है। संघ के प्रतिनिधिमंडल ने पांच मंत्रियों से मिलकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। इसमें कहा गया है कि पथ निर्माण विभाग ने 9 वर्ष पहले हाईकोर्ट द्वारा रोकी गई झारखंड अभियंत्रण सेवा नियुक्ति नियमावली- 2016 को एक बार फिर 2025 संस्करण के रूप में पेश किया है। जबकि, वित्त विभाग ने पथ निर्माण विभाग के उक्त प्रस्ताव पर आपत्ति की है। कहा गया है कि इससे अन्य सेवाओं में भी आरक्षण आधारित असमानता की मांग उठ सकती है। वहीं, विधि विभाग ने प्रस्ताव पर मंतव्य दिया है कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है। ऐसे में नए तरीके से विशेष आरक्षण का प्रावधान करना उचित नहीं है। कोर्ट के फैसले के बाद ही निर्णय हो संघ ने यह भी कहा है कि अगर प्रशासी विभाग का मत है कि विशेष आरक्षण निर्धारित करना जरुरी है तो इस संबंध में अदालत के अंतिम फैसले के बाद ही निर्णय लिया जाना चाहिए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से रोशन लाल टंडन के मामले में पारित आदेश को भी ध्यान में रखना चाहिए। झारखंड में सहायक अभियंताओं की नियुक्ति और प्रोन्नति के लिए तैयार नियमावली पर झारखंड अभियंत्रण सेवा संघ ने कड़ी आपत्ति जताई है। संघ ने कहा है कि नई नियमावली पर वित्त और विधि विभाग की आपत्ति है। इसके बावजूद इस नियमावली को कैबिनेट की स्वीकृति कराने के भेज दिया गया है। संघ के प्रतिनिधिमंडल ने पांच मंत्रियों से मिलकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। इसमें कहा गया है कि पथ निर्माण विभाग ने 9 वर्ष पहले हाईकोर्ट द्वारा रोकी गई झारखंड अभियंत्रण सेवा नियुक्ति नियमावली- 2016 को एक बार फिर 2025 संस्करण के रूप में पेश किया है। जबकि, वित्त विभाग ने पथ निर्माण विभाग के उक्त प्रस्ताव पर आपत्ति की है। कहा गया है कि इससे अन्य सेवाओं में भी आरक्षण आधारित असमानता की मांग उठ सकती है। वहीं, विधि विभाग ने प्रस्ताव पर मंतव्य दिया है कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है। ऐसे में नए तरीके से विशेष आरक्षण का प्रावधान करना उचित नहीं है। कोर्ट के फैसले के बाद ही निर्णय हो संघ ने यह भी कहा है कि अगर प्रशासी विभाग का मत है कि विशेष आरक्षण निर्धारित करना जरुरी है तो इस संबंध में अदालत के अंतिम फैसले के बाद ही निर्णय लिया जाना चाहिए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से रोशन लाल टंडन के मामले में पारित आदेश को भी ध्यान में रखना चाहिए।  

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