मंगलुरु में लॉन्च हुआ फिल्म कोरगज्जा का गाना:कांतारा की तरह लोककथा और आस्था पर आधारित है फिल्म, छह भाषाओं में होगी रिलीज

मंगलुरु में शनिवार को निर्देशक सुधीर अत्तावर की फिल्म कोरगज्जा का गाना लॉन्च किया गया। यह फिल्म श्रद्धा, न्याय और सत्य के प्रतीक कोरगज्जा पर आधारित अब तक की पहली फीचर फिल्म है। फिल्म में मुख्य भूमिका में कबीर बेदी नजर आएंगे, जिन्होंने उद्यावर प्रांत के राजा का किरदार निभाया है, जबकि मशहूर कोरियोग्राफर गणेश आचार्य ने फिल्म के एक गाने पर खुद डांस किया है। इतना ही नहीं जाने-माने डांसर और एक्टर संदीप सोपारकर भी फिल्म में एक बिल्कुल अलग और प्रभावशाली भूमिका में नजर आएंगे। निर्देशक सुधीर अत्तावर ने कहा कि फिल्म को बनाना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन टीम की मेहनत और विश्वास से यह संभव हो सका। कोरगज्जा केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि संस्कृति और आस्था को समर्पित प्रयास है। उन्होंने आगे बताया कि पिछले 10-15 सालों से कई प्रोड्यूसर और डायरेक्टर कोरगज्जा पर फिल्म बनाने का प्रयास कर रहे थे। शूटिंग भी शुरू हुई थी, लेकिन किसी कारणवश फिल्म कभी पूरी नहीं हो पाई। जब मैं भी यह फिल्म बनाने गया, तो लोगों ने कहा कि आप इसे नहीं बना सकते। इसको लेकर काफी विवाद भी हुआ था। यह फिल्म त्रिविक्रम सिनेमा और सक्सेस फिल्म्स के बैनर तले बनी है। यह फिल्म छह भाषाओं – कन्नड़, मलयालम, हिंदी, तेलुगु, तमिल और तुलु में रिलीज होगी। इसका संगीत गोपी सुंदर ने दिया है और गीतों के बोल सुधीर अत्तावर लिखे हैं। संगीत जी म्यूजिक कंपनी द्वारा जारी किया गया। फिल्म में श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, शंकर महादेवन, जावेद अली, शेरोन प्रभाकर और स्वरूप खान जैसे नामचीन गायकों ने अपनी आवाज़ दी है। कुल 31 गीत छह भाषाओं में रिकॉर्ड किए गए हैं, जो फिल्म को और भी भव्य बनाते हैं। फिल्म के निर्माता और संपादक विद्यार्धर शेट्टी ने इस बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई। अलग-अलग भाषाओं और मुश्किल जगहों पर शूटिंग को सफल बनाने में उनका बड़ा योगदान रहा। कांतारा से मिलती जुलती है कोरगज्जा? हाल ही में रिलीज हुई सुपरहिट फिल्म ‘कांतारा’ की तरह ‘कोरगज्जा’ भी लोकआस्था और संस्कृति पर आधारित कहानी पेश करती है। दोनों फिल्मों का मूल भाव एक जैसा है। मनुष्य और देवता के बीच का वह अदृश्य संबंध, जहां विश्वास और भूमि की आत्मा एक हो जाती है। ‘कांतारा’ में जैसे कर्नाटक की लोक कथाओं और प्रथाओं को दिखाया गया है, वैसे ही ‘कोरगज्जा’ में कोरगज्जा देवता की कहानी को आज के समय के नजरिए से पेश किया गया है।

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