इस बार मानसून में जोरदार बारिश होने की वजह से रांची के सभी तालाब और डैम पानी से लबालब हैं। अच्छी बात यह है कि डैमों में जलस्तर इतना ज्यादा है कि गर्मी के दिन में इस बार जलापूर्ति के दौरान राशनिंग की समस्या नहीं आएगी। लेकिन इसका एक दुखद पहलू भी है। तालाब व डैम में जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर होने की वजह से कई घटनाएं हो रही हैं। एक सप्ताह के दौरान इन तालाब व डैमों में डूबने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। मधुकम तालाब में छठ पर्व के दिन एक 20 साल के युवक की डूबने से मौत हो गई थी। वहीं रविवार को धुर्वा डैम में और मधुकम तालाब में डूबने से दो लोगो की फिर मौत हो गई। डूबकर मौत की लगातार हो रही घटनाओं से जहां लोग आक्रोशित हो गए हैं, वहीं इसके लिए नगर निगम को भी दोषी ठहरा रहे हैं। लोगो का कहना है कि छठ त्योहार को देखते हुए सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। पानी खतरे के निशान से ऊपर है, इसके लिए बांस से बैरिकेडिंग की गई थी, ताकि लोग खतरे के निशान से आगे न बढ़ें। लेकिन छठ खत्म होते ही कई तालाबों से बैरिकेडिंग के लिए लगाए गए बांस को हटा लिया गया। अब पानी कहां कितना गहरा है, इसका पता तक नहीं चल रहा है। मौसम साफ होने की वजह से इन डैमों और तालाब के पास लोगों की भीड़ जुटने लगी है। पानी में लोग उतरने लगे हैं। लेकिन पानी के स्तर का पता नहीं होने की वजह से डूबने से उनकी जान जा रही है।
खतरनाक डैम व तालाब {कांके डैम {धुर्वा डैम {बड़ा तालाब {मधुकम तालाब {बनस तालाब शहर के डैमों और तालाबों में लगाए जाएं खतरे के निशान के बोर्ड इन घटनाओं के बाद स्थानीय लोगो ने प्रशासन व निगम से आग्रह किया है कि इन डैम व तालाबों के पास खतरे के निशान का साइन बोर्ड लगाया जाए, जिसमें बताया जाए कि जलस्तर अधिक है। अगर तैरना नहीं जानते हैं तो पानी के अंदर प्रवेश न करें। वर्तमान में रांची के किसी भी डैम और तालाब के पास इस तरह का बोर्ड नहीं लगाया गया है, जिसका खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं। कई बार लोगो को लगता है कि पानी कम होगा। वे तैरना नहीं भी जानते हैं तो फिर भी पानी में उतर जाते हैं, लेकिन अचानक वहां पानी की स्तर ज्यादा होने की वजह से वे अंदर चले जाते हैं और डूबने से उनकी मौत हो जा रही है। अगर इन तालाब व डैमों के पास खतरे का साइन बोर्ड लगा दिया जाए तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। धुर्वा डैम : साइन बोर्ड लगाकर खतरे से आगाह करना है जरूरी। मधुकम तालाब में एक सप्ताह के अंदर डूबकर दो लोगों की हो चुकी है मौत। इस बार मानसून में जोरदार बारिश होने की वजह से रांची के सभी तालाब और डैम पानी से लबालब हैं। अच्छी बात यह है कि डैमों में जलस्तर इतना ज्यादा है कि गर्मी के दिन में इस बार जलापूर्ति के दौरान राशनिंग की समस्या नहीं आएगी। लेकिन इसका एक दुखद पहलू भी है। तालाब व डैम में जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर होने की वजह से कई घटनाएं हो रही हैं। एक सप्ताह के दौरान इन तालाब व डैमों में डूबने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। मधुकम तालाब में छठ पर्व के दिन एक 20 साल के युवक की डूबने से मौत हो गई थी। वहीं रविवार को धुर्वा डैम में और मधुकम तालाब में डूबने से दो लोगो की फिर मौत हो गई। डूबकर मौत की लगातार हो रही घटनाओं से जहां लोग आक्रोशित हो गए हैं, वहीं इसके लिए नगर निगम को भी दोषी ठहरा रहे हैं। लोगो का कहना है कि छठ त्योहार को देखते हुए सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। पानी खतरे के निशान से ऊपर है, इसके लिए बांस से बैरिकेडिंग की गई थी, ताकि लोग खतरे के निशान से आगे न बढ़ें। लेकिन छठ खत्म होते ही कई तालाबों से बैरिकेडिंग के लिए लगाए गए बांस को हटा लिया गया। अब पानी कहां कितना गहरा है, इसका पता तक नहीं चल रहा है। मौसम साफ होने की वजह से इन डैमों और तालाब के पास लोगों की भीड़ जुटने लगी है। पानी में लोग उतरने लगे हैं। लेकिन पानी के स्तर का पता नहीं होने की वजह से डूबने से उनकी जान जा रही है।
खतरनाक डैम व तालाब {कांके डैम {धुर्वा डैम {बड़ा तालाब {मधुकम तालाब {बनस तालाब शहर के डैमों और तालाबों में लगाए जाएं खतरे के निशान के बोर्ड इन घटनाओं के बाद स्थानीय लोगो ने प्रशासन व निगम से आग्रह किया है कि इन डैम व तालाबों के पास खतरे के निशान का साइन बोर्ड लगाया जाए, जिसमें बताया जाए कि जलस्तर अधिक है। अगर तैरना नहीं जानते हैं तो पानी के अंदर प्रवेश न करें। वर्तमान में रांची के किसी भी डैम और तालाब के पास इस तरह का बोर्ड नहीं लगाया गया है, जिसका खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं। कई बार लोगो को लगता है कि पानी कम होगा। वे तैरना नहीं भी जानते हैं तो फिर भी पानी में उतर जाते हैं, लेकिन अचानक वहां पानी की स्तर ज्यादा होने की वजह से वे अंदर चले जाते हैं और डूबने से उनकी मौत हो जा रही है। अगर इन तालाब व डैमों के पास खतरे का साइन बोर्ड लगा दिया जाए तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। धुर्वा डैम : साइन बोर्ड लगाकर खतरे से आगाह करना है जरूरी। मधुकम तालाब में एक सप्ताह के अंदर डूबकर दो लोगों की हो चुकी है मौत।


