करनाल में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने धान घोटाले की जांच पर असंतोष जताते हुए काले कपड़े पहनकर जिला सचिवालय तक जोरदार प्रदर्शन किया। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने मीडिया के सामने एक डाटा रखते हुए कहा कि इस बार हरियाणा की मंडियों में 58 लाख 70 हजार टन धान की आवक दर्ज की गई है। जबकि कृषि विभाग के अपने आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में पैदावार 25 से 30 प्रतिशत कम रही। ऐसे में इतनी ज्यादा आवक कैसे दर्ज हुई, यह अपने आप में सबसे बड़ा सवाल है। उन्होंने बताया कि फर्जीवाड़े के चलते करीब 4 लाख 69 हजार टन धान अतिरिक्त दिखाया गया है। प्रदेश में लगभग 4 से 5 हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। वहीं, नमी के नाम पर किसानों से 175 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली की गई है। औसतन 300 रुपए प्रति क्विंटल की लूट प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने कहा कि हरियाणा में इस बार दो तरह से बड़ा धान घोटाला किया गया है। पहला, किसानों से नमी के नाम पर प्रति क्विंटल 100 से 1000 रुपये तक कटौती की गई। औसतन देखा जाए तो 300 रुपए प्रति क्विंटल की सीधी लूट हुई। दूसरा, कई जगह तो न धान मंडियों में आया और न निकला, लेकिन कागजों में उसका पूरा हिसाब दिखाकर करोड़ों रुपए सरकारी खजाने से निकाल लिए गए। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में सियासी संरक्षण मिला हुआ है, तभी अब तक किसी बड़े अधिकारी या ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में धान खरीद प्रक्रिया में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला हुआ है, जिसमें अधिकारी ही नहीं बल्कि सियासी लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जांच को दबाने की कोशिश कर रही है और जो जांच हो रही है वह केवल दिखावा है। सरकार बिल्ली को दूध की रखवाली पर बैठा रही भाकियू अध्यक्ष ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह जांच ऐसे चल रही है जैसे बिल्ली को दूध की रखवाली के लिए बैठा दिया गया हो। उन्होंने कहा कि अगर कोई साधारण किसान या व्यापारी गलती करता है तो उसे तुरंत पकड़ लिया जाता है, लेकिन इस घोटाले में अब तक किसी बड़े अधिकारी या नेता के खिलाफ सख्त एक्शन नहीं लिया गया। उन्होंने सरकार से पूछा कि आखिर मुख्यमंत्री चुप क्यों हैं और सीबीआई जांच से डर क्यों रहे हैं। पवित्र पोर्टल भी भ्रष्ट कर दिया गया रतनमान ने कहा कि सरकार जिस पोर्टल को पारदर्शी प्रक्रिया का प्रतीक बताती थी, वही अब भ्रष्टाचार का माध्यम बन गया है। किसानों को एक गेट पास के लिए कई दिन मंडियों में भटकना पड़ा, जबकि कुछ मुनीम और बिचौलिए हजारों क्विंटल के गेट पास अपनी जेब में लिए घूमते रहे। उन्होंने कहा कि सरकार को बताना होगा कि यह सारा खेल किसके संरक्षण में चला। एफआईआर और सस्पेंशन सिर्फ दिखावा अधिकारियों और कर्मचारियों पर एफआईआर व निलंबन की कार्रवाई को रतनमान ने ‘ड्रामा’ बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम कुछ समय के लिए जनता का ध्यान हटाने और विरोध को दबाने के लिए उठाए गए हैं। अगर सच्चाई सामने लानी है तो सीबीआई जांच से बेहतर कोई रास्ता नहीं है। रतनमान ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री खुली बैठक में बुलाते हैं तो भाकियू उन लोगों के नाम सार्वजनिक करेगी जो इस घोटाले में शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि उनके पास ठोस सबूत हैं और अगर उच्चस्तरीय एजेंसी जांच करती है तो वे घोटालेबाजों के घरों तक जाकर सच्चाई उजागर करेंगे। सीबीआई जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई प्रदर्शन में मौजूद किसानों ने मांग रखी कि पूरे धान घोटाले की जांच सीबीआई से कराई जाए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जल्द जांच के आदेश नहीं दिए तो भाकियू राज्यभर में आंदोलन को तेज करेगी।


