हिसार जिले के नारनौंद कृषि विभाग कार्यालय में पराली प्रबंधन को लेकर एक विशेष बैठक आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय दुष्प्रभावों को रोकना और किसानों को इसके उचित प्रबंधन के लिए प्रेरित करना था। बैठक की अध्यक्षता खंड कृषि अधिकारी पवन भारद्वाज ने की, जिसमें गांव स्तर की समितियों के सदस्यों ने भाग लिया। कृषि अधिकारी ने दी योजनाओं की जानकारी
कृषि अधिकारी पवन भारद्वाज ने पराली प्रबंधन से संबंधित विभिन्न सरकारी योजनाओं, तकनीकी उपायों और उपलब्ध उपकरणों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता घटती है और वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। किसानों को जागरूक करने के निर्देश
बैठक में समिति सदस्यों को निर्देश दिए गए कि वे अपने-अपने गांवों में किसानों को पराली प्रबंधन के प्रति जागरूक करें। उन्हें बताया जाए कि पराली को जलाने के बजाय खाद, चारे या बायो-डीकंपोजर के रूप में उपयोग किया जा सकता है। साथ ही, पराली प्रबंधन योजनाओं के लिए प्राप्त आवेदनों की जांच कर उनका सही सत्यापन सुनिश्चित करें, ताकि पात्र किसानों को लाभ मिल सके। खेतों की निगरानी और रिपोर्टिंग पर जोर
खंड कृषि अधिकारी ने समिति सदस्यों से खेतों की नियमित निगरानी करने और पराली जलाने की किसी भी घटना की सूचना तुरंत विभाग को देने को कहा, ताकि समय पर कार्रवाई की जा सके। उन्होंने बताया कि सरकार पराली प्रबंधन के लिए हैप्पी सीडर, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम और रोटावेटर जैसी मशीनों पर अनुदान दे रही है, जिसका किसानों को अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। स्वच्छ पर्यावरण के लिए लिया संकल्प
बैठक के समापन पर सभी सदस्यों ने अपने क्षेत्र के किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करने और स्वच्छ पर्यावरण व स्वस्थ समाज के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का संकल्प लिया।


