किशनगंज में प्रस्तावित सेना कैंप को लेकर राजनीति तेज हो गई है। यह जिला भारत-नेपाल और बांग्लादेश सीमा से सटा हुआ है। कांग्रेस और एआईएमआईएम (AIMIM) के नेता सेना कैंप के विरोध में एक मंच पर आ गए हैं और आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। यह प्रस्तावित सेना कैंप जिले के कोचाधामन और बहादुरगंज अंचल के सीमावर्ती सतभीट्टा, सकोर और नटुआ पाड़ा मौजा में बनना है। किसानों ने इस कैंप के निर्माण का विरोध किया है। कांग्रेस और एआईएमआईएम नेताओं ने जिला प्रशासन को आवेदन देकर कैंप को किसी अन्य स्थान पर बनाने की मांग की है। ‘जमीन अधिग्रहण से वे भूमिहीन हो जाएंगे’ कोचाधामन अंचल के सतभीट्टा कन्हैयाबाड़ी और बहादुरगंज अंचल के नटुआ पाड़ा व सकोर मौजा में प्रस्तावित फौजी कैंप के लिए लगभग 250 एकड़ जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। किसानों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण से वे भूमिहीन हो जाएंगे और उनके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। ‘फसल उगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं’ किसानों के अनुसार, वे इस जमीन पर फसल उगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। कुछ लोगों के घर, ईदगाह और कब्रिस्तान भी इसी भूखंड पर स्थित हैं। उनका कहना है कि यदि जमीन का अधिग्रहण किया जाता है तो सैकड़ों किसानों के समक्ष भुखमरी की समस्या खड़ी हो जाएगी और उन्हें पलायन करना पड़ेगा। किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि सेना कैंप का निर्माण वहां किया जाए जहां बिहार सरकार की जमीन उपलब्ध हो। ‘यह कैंप बिहार सरकार की जमीन पर बने’ एआईएमआईएम विधायक तौसीफ आलम ने कहा है कि वे आर्मी कैंप का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि हमारी मांग है कि यह कैंप बिहार सरकार की जमीन पर बने। वहीं, कांग्रेस सांसद डॉ. जावेद आजाद ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सुरक्षा के लिए कैंप जरूरी है, लेकिन किसानों के हितों का भी ध्यान रखना होगा। कांग्रेस और एआईएमआईएम नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे बड़े आंदोलन करेंगे। किशनगंज में प्रस्तावित सेना कैंप को लेकर राजनीति तेज हो गई है। यह जिला भारत-नेपाल और बांग्लादेश सीमा से सटा हुआ है। कांग्रेस और एआईएमआईएम (AIMIM) के नेता सेना कैंप के विरोध में एक मंच पर आ गए हैं और आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। यह प्रस्तावित सेना कैंप जिले के कोचाधामन और बहादुरगंज अंचल के सीमावर्ती सतभीट्टा, सकोर और नटुआ पाड़ा मौजा में बनना है। किसानों ने इस कैंप के निर्माण का विरोध किया है। कांग्रेस और एआईएमआईएम नेताओं ने जिला प्रशासन को आवेदन देकर कैंप को किसी अन्य स्थान पर बनाने की मांग की है। ‘जमीन अधिग्रहण से वे भूमिहीन हो जाएंगे’ कोचाधामन अंचल के सतभीट्टा कन्हैयाबाड़ी और बहादुरगंज अंचल के नटुआ पाड़ा व सकोर मौजा में प्रस्तावित फौजी कैंप के लिए लगभग 250 एकड़ जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। किसानों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण से वे भूमिहीन हो जाएंगे और उनके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। ‘फसल उगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं’ किसानों के अनुसार, वे इस जमीन पर फसल उगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। कुछ लोगों के घर, ईदगाह और कब्रिस्तान भी इसी भूखंड पर स्थित हैं। उनका कहना है कि यदि जमीन का अधिग्रहण किया जाता है तो सैकड़ों किसानों के समक्ष भुखमरी की समस्या खड़ी हो जाएगी और उन्हें पलायन करना पड़ेगा। किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि सेना कैंप का निर्माण वहां किया जाए जहां बिहार सरकार की जमीन उपलब्ध हो। ‘यह कैंप बिहार सरकार की जमीन पर बने’ एआईएमआईएम विधायक तौसीफ आलम ने कहा है कि वे आर्मी कैंप का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि हमारी मांग है कि यह कैंप बिहार सरकार की जमीन पर बने। वहीं, कांग्रेस सांसद डॉ. जावेद आजाद ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सुरक्षा के लिए कैंप जरूरी है, लेकिन किसानों के हितों का भी ध्यान रखना होगा। कांग्रेस और एआईएमआईएम नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे बड़े आंदोलन करेंगे।


