India UN Role: संयुक्त राष्ट्र (UN) वैश्विक शांति और विकास का प्रमुख मंच है, लेकिन 2025 में इसके सामने कई गंभीर चुनौतियां हैं। सूडान, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC), यूक्रेन, हैती और गाजा जैसे क्षेत्रों में जारी संघर्ष UN की क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं। UN का शांति रक्षा बजट (UN peacekeeping budget) 5.5 अरब डॉलर है, लेकिन फंडिंग की कमी से कार्यक्रम ठप हो रहे हैं। सूडान में 4.2 अरब डॉलर की जरूरत है, मगर सिर्फ 13% ही मिला, जिससे 2.5 लाख बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। DRC में हिंसा 38% बढ़ी है, वहीं हैती में हैजा का खतरा मंडरा रहा है। भारत ने इन मुद्दों पर सक्रिय भूमिका (India UN Role) निभाई है। भारत ने 80वीं साधारण सभा में P5 सुधार करने की मांग का समर्थन किया, जो UN की साख बचाने की दिशा में बड़ा कदम है।
UN में बढ़ती भारत की ताकत
भारत UN में अपनी छाप छोड़ रहा है। 2025 में भारत ने UNTCC चीफ्स कॉनक्लेव की मेजबानी की, जहां 32 देशों के सैन्य अधिकारियों ने शांति पर बातचीत की। भारत ने 6,000 सैनिक UN शांति मिशनों में भेजे, जो सबसे ज्यादा हैं। खास बात यह है कि 150 महिलाएं 6 मिशनों में काम कर रही हैं, जो महिलाओं की ताकत दिखाता है। भारत ने 2025 के UN रेगुलर बजट में 37.64 मिलियन डॉलर समय पर जमा किया, जिससे ‘ऑनर रोल’ में जगह मिली। भारत अब वोटिंग में 44% करता है, जो उसकी स्वतंत्र नीति दर्शाता है। UN80 पहल में भारत आगे बढ़ रहा है, जो संगठन के भविष्य को नया रूप दे रही है।
भारत का फिलिस्तीन को समर्थन
भारत ने 1988 में फिलिस्तीन को पहचान दी, जो गैर-अरब देशों में पहला था। 2025 में भारत ने UNGA में ‘न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन’ के पक्ष में वोट किया, जो दो-राज्य समाधान का समर्थन करता है। 12 सितंबर 2025 को 142 देशों के साथ भारत ने वोट किया। भारत ने 30 टन दवाइयां और 32 टन सहायता भेजी। सन 2025 में भारत ने फिलिस्तीन को मान्यता दोहराई, जो UN में शांति का संदेश देता है। भारत ने इजरायल के साथ संतुलन बनाते हुए फिलिस्तीन को सहायता दी।
UN के पास क्या ताकत है ?
UN के पास कई खास अधिकार हैं, जो चार्टर से मिलते हैं। इसकी साधारण सभा में 193 देश शामिल हैं, यह सलाह देती है, बजट पास करती है और सुझाव देती है। सुरक्षा परिषद शांति बनाए रखने का प्रमुख हिस्सा है, जो सेना भेज सकती है, प्रतिबंध लगा सकती है और मिशन शुरू कर सकती है। यह आर्थिक-सामाजिक परिषद विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा पर ध्यान देती है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय विवाद सुलझाता है, और महासचिव संगठन चलाने का काम देखता है। ये अधिकार देशों को बांधते हैं, लेकिन पांच स्थायीय सदस्यों (P5) का वीटो शक्ति असमानता लाता है।
आखिर UN के नियम क्या हैं ?
UN के कानून 1945 में बने चार्टर पर टिके हुए हैं, जिसमें 19 अध्याय हैं। ये शांति, मानवाधिकार, विकास और अंतरराष्ट्रीय कानून कवर करते हैं। देशों को शांतिपूर्ण तरीके से झगड़े सुलझाने, बल का गलत इस्तेमाल न करने और एक-दूसरे से मदद करने की सलाह दी जाती है। UN ने 17 सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल्स (SDGs) बनाए, जो 2030 तक गरीबी, भूख और असमानता खत्म करना चाहते हैं। ये नियम अंतरराष्ट्रीय संधियों से जुड़े हुए हैं, जैसे WHO के स्वास्थ्य नियम या IAEA के परमाणु नियंत्रण हैं। इसके चार्टर में बदलाव हो सकता है, लेकिन P5 की मंजूरी जरूरी है।
दुनिया UN को कितना मानती है ?
दुनिया के देश UN को इसलिए महत्व देते हैं क्योंकि यह वैश्विक समस्याओं का एकमात्र मंच है। कुल 193 देश मिलकर महामारी, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद से निपटते हैं। UN ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शांति लाने में मदद की, 70 से ज्यादा शांति मिशनों में 4 मिलियन सैनिक भेजे। उसने 3 मिलियन बच्चों को वैक्सीन दी और 123 मिलियन लोगों को भोजन पहुंचाया। हालांकि, 2025 में 2.4 अरब डॉलर का बकाया और P5 का वीटो विवाद का कारण है। फिर भी, UN को बहुपक्षवाद का प्रतीक माना जाता है, जो पेरिस समझौते को आगे बढ़ाता है।
भारत का UN राजदूत कौन ? रणनीति भारत को प्रभावशाली बनाएगी
UN में भारत का राजदूत परवथनेनी हरीश हैं, जिन्हें अगस्त 2024 में यह जिम्मेदारी दी गई। वे जर्मनी में भारत के राजदूत रह चुके हैं। हरीश ने 2025 में UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को अपनी साख पत्र सौंपे। वे भारत की आवाज को मजबूत कर रहे हैं, खासकर शांति मिशनों और सुधारों पर। हरीश ने UN न्यूज हिंदी को बताया कि भारत UN में वैश्विक शांति के लिए कटिबद्ध है। उनकी रणनीति भारत को और प्रभावशाली बनाएगी।
संयुक्त राष्ट्र दिवस का खास महत्व
बहरहाल हर साल 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया जाता है, जो UN चार्टर के लागू होने की 80वीं सालगिरह है। यह दिन शांति, एकता और मानवाधिकारों का जश्न है। सन 1945 में चार्टर लागू होने पर UN का जन्म हुआ, जो युद्ध के बाद दुनिया को जोड़ने का प्रयास था। आज यह दिन जागरूकता फैलाता है, जहां देश बहुपक्षवाद की अहमियत पर चर्चा की जाती है। (इनपुट क्रेडिट: Crisis Group 2025 रिपोर्ट और विदेश मंत्रालय के बयान।)


