2020 से रेशम केंद्र में धूल खा रहे उपकरण:1.25 करोड़ का प्रशिक्षण केंद्र बनाया, 5 साल में एक भी किसान को ट्रेनिंग नहीं

2020 से रेशम केंद्र में धूल खा रहे उपकरण:1.25 करोड़ का प्रशिक्षण केंद्र बनाया, 5 साल में एक भी किसान को ट्रेनिंग नहीं

जिले में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए साल 2020 में नमकीन क्लस्टर स्थित रेशम केंद्र परिसर में ही 1.25 करोड़ रुपए की लागत से रेशम प्रशिक्षण केंद्र बनाया। यहां रेशम उत्पादन से जुड़े किसानों को प्रशिक्षित किया जाना था। 5 वर्षों में एक भी किसान को ट्रेनिंग नहीं दी गई। इस केंद्र के ताले ही नहीं खुले हैं। किसानों को रेशम कीट पालन, उत्पादन, शहतूत के पौधे लगाने संबंधित प्रशिक्षण देने के लिए यह प्रशिक्षण केंद्र बनाया गया था। यहां एक बार में 30 किसानों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। प्रशिक्षण के लिए लाखों रुपए खर्च कर प्रोजेक्टर, बर्तन, मेस, कुर्सियां, कंप्यूटर सेटअप, जनरेटर आदि तक खरीद लिए गए। हितग्राहियों के रुकने के लिए बेड भी लगा दिए गए। लेकिन ये यहां धूल खा रहे हैं। 11.88 एकड़ जमीन भी विभाग के हाथों से गई
यशवंत सागर स्थित रेशम फैक्ट्री की 9 एकड़ जमीन राजस्व के पास चली गई और वहां गोशाला बन गई है। वहीं किशनगंज में मुख्य सड़क के पास 2.88 एकड़ जमीन भी अब स्वास्थ्य विभाग के पास है। वर्तमान में विभाग के पास धारनाका रेशम केंद्र की 4 और नमकीन क्लस्टर रेशम केंद्र की 3 एकड़ जमीन ही बची है। होलकर काल में दक्षिण से इंदौर पहुंचा रेशम
दक्षिण से एक परिवार होलकर रियासत को रेशम की सप्लाई किया करता था। देवी अहिल्याबाई होलकर ने महेश्वर में भारतवर्ष से कुशल कारीगरों को बुलवाकर रेशम उद्योग की स्थापना की थी। इंदौर में रेशम वाली गली भी है। रेशम की रिसर्च और इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए महाराजा यशवंत राव होलकर ने काफी प्रयास किए थे। इनमें रेशम का उत्पादन, डाई करना, सुखाना आदि शामिल था। इसके लिए रियासत में एक अलग विभाग था।
-जफर अंसारी, इतिहासकार

​ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *