राज्य स्तरीय निरीक्षण दल का आकस्मिक निरीक्षण, 50 प्रतिशत से अधिकारी कर्मचारी मिले अनुपस्थित

राज्य स्तरीय निरीक्षण दल का आकस्मिक निरीक्षण, 50 प्रतिशत से अधिकारी कर्मचारी मिले अनुपस्थित

भिवाड़ी. प्रमुख शासन सचिव प्रशासनिक सुधार एवं समन्वय विभाग के निर्देशानुसार वरिष्ठ शासन उप सचिव एवं अतिरिक्त निदेशक (निरीक्षण) केआर मीना के नेतृत्व में राज्य स्तरीय निरीक्षण दल ने सोमवार को विभिन्न राजकीय कार्यालय का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। केआर मीना ने बताया कि निरीक्षण के दौरान 14 विभागों की जांच की गई। विभागीय रजिस्टर में 178 अधिकारी एवं कर्मचारी दर्ज पाए गए, जिनमें से 99 अधिकारी/कर्मचारी अनुपस्थित मिले। राजपत्रित अधिकारियों में करीब 50 प्रतिशत (19) तथा अराजपत्रित कर्मचारियों में लगभग 57 प्रतिशत (80) उपस्थिति दर्ज नहीं पाई गई। निरीक्षण में यह भी पाया गया कि कई कार्यालयों में उपस्थिति पंजिकाएं निर्धारित मापदंडों के अनुसार संधारित नहीं की जा रही हैं। साथ ही कई विभागों में सफाई की व्यवस्था असंतोषजनक पाई गई। रिकॉर्ड संधारण अव्यवस्थि मिला। प्रशासनिक सुधार एवं समन्वय विभाग की ओर से समय-समय पर जारी परिपत्रों की भी समुचित पालना नहीं की जा रही थी। निरीक्षण दल की ओर से अनुपस्थित पाए गए कार्मिकों के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने के लिए रिपोर्ट उच्च स्तर पर प्रस्तुत की जाएगी। निरीक्षण दल में महेंद्र सरावता, कैलाश मीणा (अनुभागाधिकारी), चेनाराम भदाला (सहायक अनुभागाधिकारी), कृष्णावतार कटारिया एवं तरूण मीणा (लिपिक ग्रेड-द्वितीय) शामिल रहे। उद्योग क्षेत्र में अधिकारियों और कर्मचारियों का देरी से आना नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है। जांच दल को कई अधिकारी कर्मचारी धूप सेंकते मिले। इसके साथ ही कई विभागों में एक-दो को छोडक़र पूरा स्टाफ अनुपस्थित मिला। कई कार्यालय ऐसे हैं जिसमें सुबह समय पर ताला खोला जाता है और स्टाफ दोपहर में लंच तक आता है। सर्दियों में तो कुछ अधिकारी 11 बजे से पहले कार्यालय नहीं आते। इसके साथ ही निरीक्षण के दौरान हैरत की बात यह रही कि कभी भी समय पर कार्यालय नहीं पहुंचने वाले कुछ अधिकारी कर्मचारी नियत समय पर ड्यूटी पहुंच गए। भिवाड़ी में अधिकतर स्टाफ बाहर का है, जिसकी वजह से सोमवार सुबह देर से आते हैं और शुक्रवार दोपहर को ही निकल जाते हैं। इस तरह की जांच यहां नियमित रूप से होनी चाहिए। मूवमेंट रजिस्टर की पालना भी किसी विभाग में नहीं होती। फील्ड में जाने की कहकर अधिकारी चैंबर से गायब रहते हैं और आमजन के काम अटकाते हैं।

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