इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पिछले कुछ दिनों में थोक में टैक्सपेयर्स को ईमेल और एसएमएस भेजे हैं। इन मैसेजेस में बताया गया है कि ITR फाइलिंग में कुछ गड़बड़ी मिलने की वजह से उनका रिफंड होल्ड पर डाल दिया गया है। ये नोटिफिकेशन ‘रिस्क मैनेजमेंट प्रोसेस’ के तहत भेजे गए हैं। टैक्सपेयर्स को जो मैसेज मिल रहे हैं, उनमें आमतौर पर लिखा है- रिस्क मैनेजमेंट प्रोसेस के तहत आपके रिफंड क्लेम में कुछ विसंगतियां पाई गई हैं, इसलिए रिटर्न की प्रोसेसिंग रोक दी गई है। इसकी डिटेल्स आपके रजिस्टर्ड ईमेल पर भेज दी गई हैं। रिवाइज्ड ITR भरकर गलतियां सुधारने का मौका सिर्फ 31 दिसंबर तक है। रिफंड अटकने की 5 बड़ी वजहें अगर आपका रिफंड रुका है, तो इसके पीछे ये कारण हो सकते हैं रिफंड मिलने में कितनी देरी होगी? टैक्स एक्सपर्ट और एसडी सिंह एंड एसोसिएट्स के फाउंडर सूरज सिंह बताते हैं कि जिन लोगों का रिफंड रिस्क मैनेजमेंट में फ्लैग हुआ है, उन्हें पैसा मिलने में कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक का समय लग सकता है। इसकी कोई फिक्स टाइमलाइन नहीं है। हालांकि, यह देरी बहुत ज्यादा नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह अलर्ट डिपार्टमेंट के AI सिस्टम ने जेनरेट किए हैं। अगर डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड्स में गड़बड़ी मिलती है, तो आपको नोटिस भेजा जा सकता है। ऐसे मामलों में डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन (स्क्रूटनी) के बाद ही रिफंड जारी होता है। ओल्ड और न्यू रिजीम, दोनों को मिले नोटिस एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह मैसेज सिर्फ किसी एक टैक्स रिजीम वालों को नहीं, बल्कि ओल्ड और न्यू, दोनों तरह के टैक्सपेयर्स को मिले हैं। हालांकि, ओल्ड टैक्स रिजीम चुनने वाले टैक्सपेयर्स की संख्या इसमें ज्यादा है। इसकी वजह यह है कि ओल्ड रिजीम में डिडक्शन के जरिए टैक्स बचाने के कई ऑप्शन होते हैं। वहीं, न्यू रिजीम वालों को यह नोटिस तब मिला है जब उन्होंने अपनी इनकम छिपाई हो या डिस्क्लोज न की हो। सूरज सिंह कहते हैं, आजकल अलग-अलग सोर्स से डेटा अपने आप मैच हो जाता है। इसलिए अगर किसी ने बढ़ा-चढ़ाकर क्लेम किया है या फर्जी डॉक्यूमेंट लगाए हैं, तो सिस्टम उसे तुरंत पकड़ लेता है। घबराने की जरूरत नहीं, बस डेटा मैच करें द चैंबर ऑफ टैक्स कंसल्टेंट्स के मेंबर अशोक मेहता का कहना है कि अगर सिस्टम ने आपका रिफंड होल्ड किया है, तो इसका मतलब है कि ITR और TDS डिटेल्स में कहीं मिसमैच है। डिपार्टमेंट आपको गलती सुधारने का मौका दे रहा है। अगर आप जेनुइन टैक्सपेयर हैं, तो पैनिक होने की जरूरत नहीं है। आपको बस अपनी फाइलिंग को रिव्यू करना है और फॉर्म 26AS, AIS या TIS से डेटा मैच करना है। अगर कोई अनजाने में गलती हुई है, तो उसे सुधार लें। डरने की जरूरत सिर्फ उन्हें है जिन्होंने रिफंड लेने के लिए जानबूझकर गलत जानकारी दी है। 31 दिसंबर की डेडलाइन चूके तो क्या होगा? रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2025 है, यानी अब सिर्फ 5 दिन बचे हैं। ITR-U का विकल्प: अगर आप यह डेडलाइन मिस कर देते हैं, तो आपके पास सिर्फ अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) का विकल्प बचेगा। पेनल्टी लगेगी: ITR-U भरने पर आपको टैक्स के साथ पेनल्टी और ब्याज देना पड़ सकता है। रिफंड नहीं मिलेगा: सबसे अहम बात यह है कि ITR-U में आप रिफंड क्लेम नहीं कर सकते। यानी अगर आप सही भी थे, तो भी आपका रिफंड का पैसा डूब सकता है। स्क्रूटनी का डर: अगर आपने कोई एक्शन नहीं लिया, तो डिपार्टमेंट सेक्शन 133(6) के तहत नोटिस भेज सकता है। जवाब संतोषजनक न होने पर सेक्शन 147 के तहत स्क्रूटनी शुरू हो सकती है।
इनकम टैक्स रिफंड अटकने का मैसेज आने पर घबराएं नहीं:31 दिसंबर तक गलती सुधारने का मौका; जानें रिफंड होल्ड होने की 5 बड़ी वजहें


