बक्सर सदर विधानसभा सीट पर 6 नवंबर को मतदान होगा। यहां मुकाबला NDA और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है, लेकिन दोनों प्रमुख दलों को ‘अपनों की नाराजगी’ और जातीय गोलबंदी से चुनौती मिल रही है। कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिससे चुनावी समीकरण जटिल हो गए हैं। BJP ने इस बार पूर्व IPS अधिकारी आनंद मिश्रा को टिकट दिया है। टिकट मिलने के बाद कई पुराने दावेदारों और कार्यकर्ताओं में असंतोष खुलकर सामने आया। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बक्सर पहुंचकर स्थिति संभालने का प्रयास किया, लेकिन संगठन में पूरी एकजुटता अभी भी नहीं दिख रही है। दो बार यह सीट हार चुकी भाजपा इस बार जीत सुनिश्चित करना चाहती है। दो बार के विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी फिर से मैदान में महागठबंधन की ओर से दो बार के विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी फिर से मैदान में हैं। शुरुआत में उनके समर्थकों में भी नाराजगी और दूरी देखी गई थी, हालांकि चुनाव नजदीक आने पर माहौल में कुछ बदलाव आया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह नाराजगी पूरी तरह खत्म हुई है या सिर्फ शांत हुई है। जनता तिवारी को तीसरी बार मौका देती है या बदलाव का मन बनाती है, यह भी अहम होगा। आरएलएम एनडीए का हिस्सा इस चुनाव में जातीय समीकरणों की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है, जिससे मुकाबला और रोचक हो गया है। जन सुराज के तथागत हर्षवर्धन और बसपा के अभिमन्यु कुशवाहा जैसे उम्मीदवार अपने-अपने सामाजिक आधार को मजबूत करने में जुटे हैं। 2020 के चुनाव में आरएलएसपी के निर्गल कुमार तीसरे स्थान पर रहे थे और उन्होंने अच्छी संख्या में वोट हासिल किए थे। इस बार आरएलएम एनडीए का हिस्सा है, जबकि उसी बिरादरी से बसपा के अभिमन्यु कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे समीकरण और पेचीदा हो सकते हैं। भाजपा के परशुराम चौबे को मात्र 3892 वोटों के अंतर से हराया था पिछले चुनाव में संजय तिवारी ने भाजपा के परशुराम चौबे को मात्र 3892 वोटों के अंतर से हराया था। इस बार जीत का अंतर कितना होगा या परिणाम पलट जाएगा, इसका फैसला 14 नवंबर को मतगणना के बाद होगा। बक्सर सदर विधानसभा में कुल 2,92,780 मतदाता बक्सर सदर विधानसभा में कुल 2,92,780 मतदाता अपने प्रतिनिधि का फैसला करेंगे। इनमें 1,50,193 पुरुष, 1,35,590 महिलाएं और चार थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। 18 से 19 वर्ष के 5,723 नए वोटर इस बार पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। निष्पक्ष मतदान के लिए 346 बूथ तैयार किए गए हैं।बक्सर सदर की लड़ाई इस बार सिर्फ दलों के बीच नहीं, बल्कि “अपने बनाम अपने” और “जातीय बनाम राजनीतिक रणनीति” के बीच भी है, यही इसे सबसे दिलचस्प सीटों में शामिल कर रहा है। बक्सर सदर विधानसभा सीट पर 6 नवंबर को मतदान होगा। यहां मुकाबला NDA और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है, लेकिन दोनों प्रमुख दलों को ‘अपनों की नाराजगी’ और जातीय गोलबंदी से चुनौती मिल रही है। कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिससे चुनावी समीकरण जटिल हो गए हैं। BJP ने इस बार पूर्व IPS अधिकारी आनंद मिश्रा को टिकट दिया है। टिकट मिलने के बाद कई पुराने दावेदारों और कार्यकर्ताओं में असंतोष खुलकर सामने आया। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बक्सर पहुंचकर स्थिति संभालने का प्रयास किया, लेकिन संगठन में पूरी एकजुटता अभी भी नहीं दिख रही है। दो बार यह सीट हार चुकी भाजपा इस बार जीत सुनिश्चित करना चाहती है। दो बार के विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी फिर से मैदान में महागठबंधन की ओर से दो बार के विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी फिर से मैदान में हैं। शुरुआत में उनके समर्थकों में भी नाराजगी और दूरी देखी गई थी, हालांकि चुनाव नजदीक आने पर माहौल में कुछ बदलाव आया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह नाराजगी पूरी तरह खत्म हुई है या सिर्फ शांत हुई है। जनता तिवारी को तीसरी बार मौका देती है या बदलाव का मन बनाती है, यह भी अहम होगा। आरएलएम एनडीए का हिस्सा इस चुनाव में जातीय समीकरणों की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है, जिससे मुकाबला और रोचक हो गया है। जन सुराज के तथागत हर्षवर्धन और बसपा के अभिमन्यु कुशवाहा जैसे उम्मीदवार अपने-अपने सामाजिक आधार को मजबूत करने में जुटे हैं। 2020 के चुनाव में आरएलएसपी के निर्गल कुमार तीसरे स्थान पर रहे थे और उन्होंने अच्छी संख्या में वोट हासिल किए थे। इस बार आरएलएम एनडीए का हिस्सा है, जबकि उसी बिरादरी से बसपा के अभिमन्यु कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे समीकरण और पेचीदा हो सकते हैं। भाजपा के परशुराम चौबे को मात्र 3892 वोटों के अंतर से हराया था पिछले चुनाव में संजय तिवारी ने भाजपा के परशुराम चौबे को मात्र 3892 वोटों के अंतर से हराया था। इस बार जीत का अंतर कितना होगा या परिणाम पलट जाएगा, इसका फैसला 14 नवंबर को मतगणना के बाद होगा। बक्सर सदर विधानसभा में कुल 2,92,780 मतदाता बक्सर सदर विधानसभा में कुल 2,92,780 मतदाता अपने प्रतिनिधि का फैसला करेंगे। इनमें 1,50,193 पुरुष, 1,35,590 महिलाएं और चार थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। 18 से 19 वर्ष के 5,723 नए वोटर इस बार पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। निष्पक्ष मतदान के लिए 346 बूथ तैयार किए गए हैं।बक्सर सदर की लड़ाई इस बार सिर्फ दलों के बीच नहीं, बल्कि “अपने बनाम अपने” और “जातीय बनाम राजनीतिक रणनीति” के बीच भी है, यही इसे सबसे दिलचस्प सीटों में शामिल कर रहा है।


