रामकृष्ण मिशन के सचिव के साथ डिजिटल अरेस्ट का मामला:पुलिस ने विशेष न्यायालय में पेश की इंवेस्टिगेशन स्टेटस रिपोर्ट, ठगे गए थे 2.53 करोड़ रुपए

रामकृष्ण मिशन के सचिव के साथ डिजिटल अरेस्ट का मामला:पुलिस ने विशेष न्यायालय में पेश की इंवेस्टिगेशन स्टेटस रिपोर्ट, ठगे गए थे 2.53 करोड़ रुपए

ग्वालियर में रामकृष्ण आश्रम मिशन के तत्कालीन सचिव सुप्रदिप्तानंद के साथ हुई साइबर फ्रॉड के मामले में सोमवार को क्राइम ब्रांच ने अब तक की गई जांच की स्टेटस रिपोर्ट स्पेशल कोर्ट में पेश की है। तत्कालीन सचिव से 17 मार्च से 11 अप्रैल के बीच डिजिटल अरेस्ट कर संस्था के तीन अकाउंट से 2.53 करोड़ रुपए ठगे थे। साइबर फ्रॉड करने वालों ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में उनके आधार से कार्ड से जनरेट अकाउंट व मोबाइल का उपयोग होने की बात कही थी। अप्रैल 2025 में मामले की शिकायत क्राइम ब्रांच के पास पहुंची थी। इस मामले में पुलिस अभी तक 22 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। संस्था के तीन बैंक खातों से 2.53 करोड़ रुपए 10 बैंक खातों में ट्रांसफर हुए थे। दस बैंक अकाउंट से 532 खातों में ट्रांसफर हुई ठगी की रकम
क्राइम ब्रांच ने सोमवार को रामकृष्ण मिशन मामले में पेश की गई अभी तक की जांच की स्टेटस रिपोर्ट में बताया है कि डिजिटल अरेस्ट केस में आरकेवीएम के तीन बैंक खातों से 2.53 करोड़ रुपए सबसे पहले 10 बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए थे। इसके बाद इन दस खातों से ठगी की रकम को 532 अन्य बैंक खातों में भेजा गया। यहां से ठगों ने अपने एजेंट्स के जरिए एटीएम कार्ड, चेक व कैश विंडो से पैसा निकाला है, जबकि क्राइम ब्रांच ने ताबड़तोड़ एक्शन लेते हुए 178 बैंक अकाउंट में भेजे गए 9.7 लाख रुपए फ्रीज कराकर बचा लिए थे। इस मामले में पुलिस ने अभी तक 22 आरोपियों को पकड़ा है। जिनमें बैंक का असिस्टेंट मैनेजर से लेकर कैशियर तक इस स्कैम में शामिल रहे थे। अभी तक पकड़े गए 22 आरोपी
विशेष न्यायालय में पेश की गई साइबर फ्रॉड मामले की जांच स्टेटस रिपोर्ट में क्राइम ब्रांच ने बताया है कि साइबर फ्रॉड के इस मामले में अभी तक 22 आरोपी पकड़े गए हैं। पिछले सप्ताह हरदा जिले से अखिलेश बिशनाई नामक युवक को पकड़ा गया है। इसने अपनी मां के नाम अकाउंट खुलवाया था, जिसमें इसका ही मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड था। लगभग पांच लाख रुपए इसके अकाउंट में भेजे गए थे। अभी इसमें एक बड़े अकाउंट के होल्डर मोहम्मद नदीम की तलाश की जा रही है। ठगी की राशि जब्त न होने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
पुलिस ने जांच कर विशेष न्यायालय में चालान पेश किया है। पुलिस ने धारा 27 के तहत जांच लंबित रखी है, लेकिन पुलिस ने जांच में क्या नया किया है। इसकी जानकारी विशेष न्यायालय में पेश नहीं की है। साइबर फ्रॉड करने वालों से ठगे गए रुपयों की जब्ती नहीं होने पर कोर्ट ने नाराजगी भी जताई है। कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट के साथ क्राइम ब्रांच के डीएसपी को तलब किया था। डीएसपी ने जांच रिपोर्ट न्यायालय में पेश कर दी है। ऐसे समझिए पूरा मामला
ग्वालियर में रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदिप्तानंद को 17 मार्च को मोबाइल नंबर 9730742847 से पहली बार फोन किया गया था। कॉल करने वाले ने खुद को नासिक पुलिस का अफसर बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ नासिक थाने में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में एफआईआर दर्ज है। जब पूछा कि किस मामले में तो कॉल करने वाले ने बताया कि नरेश गोयल को आप जानते हैं। जब उन्होंने इनकार किया तो ठग ने बताया कि नरेश गोयल मनी लॉन्ड्रिंग केस में पकड़ा गया था और उसके पास से जो अकाउंट मिला है, वह उनके नाम पर और आधार पर है। इसके बाद फर्जी इंस्पेक्टर ने सुप्रदिप्तानंद को कैनरा बैंक के एक अकाउंट की डिटेल भेजी जो उनके नाम पर था। अकाउंट सुप्रदिप्तानंद के आधार कार्ड से संचालित हो रहा था। इस खाते में करीब बीस करोड़ का ट्रांजैक्शन दिखाया। ठग ने इसकी पीडीएफ और स्टेटमेंट की कॉपी उनके वॉट्सऐप पर भेजी। यह खाता खुद का होने से इनकार करने और इस तरह की गतिविधि में शामिल नहीं होने की बात कहने पर ठग ने मामले की जांच करने की बात की। कॉल करने वाले ने सुप्रदिप्तानंद से आश्रम के अकाउंट की पूरी डिटेल ली। इसके बाद इन्फोर्समेंट एजेंसी और अन्य संस्थाओं के दस्तावेज भेजे, जिनमें सुप्रदिप्तानंद का नाम मेंशन था। ठग ने जांच के नाम पर आश्रम के फंड से 2 करोड़ 52 लाख 99 हजार रुपए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करा लिए। ठग ने झांसा दिया कि जांच के बाद अगर पैसा मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित नहीं हुआ तो वापस कर दिया जाएगा। जब ठगी का अहसास हुआ तो सचिव ने क्राइम ब्रांच पहुंचकर मामला दर्ज कराया।

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