वल्लभ गार्डन की पॉल कभी भी टूट सकती है। निगम ने इससे जुड़े लोगों और संसाधन को अलर्ट मोड पर डाल दिया। पंप, जेसीबी और ट्रैक्टर समेत तमाम श्रमिकों को तैयार रहने के लिए कहा है। बुधवार को इंजीनियर्स की टीम ने वल्लभ गार्डन का दौरा किया। यह इसीलिए क्योंकि सीएम भजनलाल शर्मा के सौ करोड़ देने की घोषणा पर डीएलबी डायरेक्टर और वित्त विभाग के अधिकारियों ने पानी फेरने की ठान ली है। इसीलिए ड्रेनेज प्रोजेक्ट की फाइल 5 महीने से आगे नहीं बढ़ने दे रहे। पाल दो दिन पहले ही टूटने वाली थी, मगर तब निगम अभियंताओं ने कुछ पानी को खुले खेतों में छोड़कर खतरा टाल दिया। आवक अधिक होने के कारण पानी फिर भी कम नहीं हो रहा। निगम अभियंता भी समझ रहे हैं कि पॉल का टूटना तय है, इसलिए वापस पॉल को बांधने के लिए संसाधन तैयार कर लिए हैं। जेसीबी, पंप और ट्रैक्टर तैयार रखने के लिए कहा है। तैयारी इतनी कि पॉल टूटने के बाद सड़क पार करने में करीब दो घंटे लगेगा। अगर सर्दी में कॉलोनियां डूबीं तो जिम्मेदार कौन-कौन? आईएएस प्रतीक जुइकर ये डीएलबी डायरेक्टर हैं। पांच महीने पहले नगर निगम बीकानेर से टेंडर होकर फाइल जयपुर मांग ली गई थी, ये कहते हुए कि इसका वर्कआर्डर जयपुर से होगा। उसके बाद पांच महीने से डीएलबी डायरेक्ट्रेट में फाइल धूल फांकती रही। जुइकर 2021 बैच के आईएएस हैं और निगम आयुक्त मयंक मनीष उनसे सीनियर हैं, लेकिन बीकानेर हित को देखते हुए वे खुद जयपुर पहुंचे। फाइल पर जो भी सवाल थे उनको सुलझाया, मगर फाइल फिर भी डीएलबी में ही पड़ी है। सूत्र बताते हैं कि एक बार फाइल डीएलबी से वित्त विभाग पहुंची और वापस वित्त विभाग से डीएलबी आ गई। एक सप्ताह पहले फिर आईएएस मयंक मनीष और जुइकर के बीच बातचीत हुई बताई जा रही है, मगर उसका नतीजा कुछ नहीं निकला। वित्त विभाग में बैठे तीन आईएएस वित्त विभाग में 3-3 आईएएस बैठे हैं। प्रिंसिपल सेक्रेट्री वैभव गलारिया, टीना सोनी, सचिव एक्सपेंडीचर, राजन विशाल सचिव बजट और कुमार पाल गौतम सचिव रेवेन्यू हैं। कुमारपाल गौतम तो बीकानेर कलेक्टर में भी रह चुके हैं। उनको यहां के हालात पता हैं। गलारिया, सोनी और राजन विशाल के लिए भले ही ये सिर्फ प्रोजेक्ट हो, मगर शहर की एक लाख आबादी के लिए डूबने से बचाने के लिए तिनके जैसा सहारा है। वल्लभ गार्डन की पॉल जब टूटती है तो चार कॉलोनियों के हजारों लोग डूबते हैं। उन्हें और उनके बच्चों को रेस्क्यू करना पड़ता है। अरे माननीय…. आपकी भी कोई जिम्मेदारी है या नहीं विधानसभा चुनाव में जनता ने इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 7 में से 6 विधायक चुनकर भाजपा की झोली में डाले। लगातार चौथी बार सांसद को जिताया। पांच साल मेयर भी भाजपा की रहीं। अपने-अपने चहेतों के ट्रांसफर, उनको राजनीतिक पोस्टिंग और अपनी-अपनी विधानसभा के लिए तमाम चीजों के लिए हमारे माननीय सीएम से लेकर हर जगह पहुंच जाते हैं। आप लोगों के कहने पर ही सीएम ने 100 करोड़ रुपए का बजट दिया था। करीब 34 महीने बाद भी वो प्रोजेक्ट कागजों में ही घूम रहा है। पांच महीने से डीएलबी में धूल फांक रहा है। जनता हर साल यहां रेस्क्यू की जाती हैं। क्या आपकी जिम्मेदारी नहीं कि मुख्यमंत्री को ये जानकारी दी जाए कि आपके प्रोजेक्ट पर कैसे ब्यूरोक्रेसी पानी फेर रही है। राजनीतिक रूप से भी देखें तो अगर मौजूदा सीएम के कार्यकाल में अगर ये प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ तो इसका फायदा होना दूर उल्टा जनता विरोध करेगी क्योंकि पैसा मिलने के बाद भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो रहा। सच्ची मगर कड़वी बात जिले में तैनात आईएएस में से एक आईएएस ने भास्कर से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि अगर इस प्रोजेक्ट को थोड़ा सा भी पॉलिटिकल सपोर्ट मिल जाता तो अब तक काम शुरू हो जाता क्योंकि जिले से जितना हो सकता था वो किया गया। यानी जो विधायक सीएम से मिलकर आते हैं वे अगर इस प्रोजेक्ट पर चर्चा कर लेते तो ये प्रोजेक्ट सिरे चढ़ चुका होता। “मुझे नहीं पता कि अभी फाइल कहां हैं पर ये खबर जरूर है कि जल्दी ही वर्कआर्डर हो सकता है।” -मयंक मनीष, कमिश्नर, नगर निगम


