सुल्तानपुर में गंगा तट पर धूमधाम से मनाई गई देव दीपावली, धर्म के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश

सुल्तानपुर में गंगा तट पर धूमधाम से मनाई गई देव दीपावली, धर्म के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश

भास्कर न्यूज | मोहिउद्दीननगर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सुल्तानपुर पुरब स्थित दुर्गा मंदिर गंगा घाट पर भव्य देव दीपावली का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभात सिंह ने की, जबकि संयोजक की भूमिका हेमंत सिंह ने निभाई। देव दीपावली पर प्रकाश डालते हुए भाई रंधीर ने बताया कि देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह पर्व दीपों का त्योहार होने के साथ-साथ देवताओं के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, त्रिपुरासुर के वध के उपरांत देवताओं ने गंगा तट पर दीप जलाकर विजय उत्सव मनाया था, तभी से इस दिन को देव दीपावली कहा जाने लगा। वाराणसी से आरंभ हुई यह परंपरा अब पूरे देश में, विशेष रूप से गंगा तटों पर, बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान कर दीपदान करते हैं और आरती के माध्यम से देवताओं का आह्वान करते हैं। माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान और दीपदान करने से पापों का क्षय होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। शाम के समय हजारों दीपों से सजे घाट स्वर्गीय दृश्य प्रस्तुत करते हैं, जो भक्ति, श्रद्धा और सौंदर्य का अद्भुत संगम होता है। आयोजन में भाई रणधीर के नेतृत्व में पार्वती सिंह, सरस्वती सिंह, राधा सिंह, तमन्ना सिंह, रितु सिंह, जुही सिंह, राजनंदिनी सिंह, कागज सिंह, प्रिया सिंह, जीया सिंह, अमृता सिंह, रंजय सिंह, संतोष कुमार, शारदानंद सिंह, राजेश कुमार, जय प्रकाश सिंह सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। गंगा घाट पर दीपों की श्रृंखला सजाई गई। उपस्थित लोगों ने गंगा आरती कर समाज में शांति और समृद्धि की कामना की। भास्कर न्यूज | मोहिउद्दीननगर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सुल्तानपुर पुरब स्थित दुर्गा मंदिर गंगा घाट पर भव्य देव दीपावली का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभात सिंह ने की, जबकि संयोजक की भूमिका हेमंत सिंह ने निभाई। देव दीपावली पर प्रकाश डालते हुए भाई रंधीर ने बताया कि देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह पर्व दीपों का त्योहार होने के साथ-साथ देवताओं के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, त्रिपुरासुर के वध के उपरांत देवताओं ने गंगा तट पर दीप जलाकर विजय उत्सव मनाया था, तभी से इस दिन को देव दीपावली कहा जाने लगा। वाराणसी से आरंभ हुई यह परंपरा अब पूरे देश में, विशेष रूप से गंगा तटों पर, बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान कर दीपदान करते हैं और आरती के माध्यम से देवताओं का आह्वान करते हैं। माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान और दीपदान करने से पापों का क्षय होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। शाम के समय हजारों दीपों से सजे घाट स्वर्गीय दृश्य प्रस्तुत करते हैं, जो भक्ति, श्रद्धा और सौंदर्य का अद्भुत संगम होता है। आयोजन में भाई रणधीर के नेतृत्व में पार्वती सिंह, सरस्वती सिंह, राधा सिंह, तमन्ना सिंह, रितु सिंह, जुही सिंह, राजनंदिनी सिंह, कागज सिंह, प्रिया सिंह, जीया सिंह, अमृता सिंह, रंजय सिंह, संतोष कुमार, शारदानंद सिंह, राजेश कुमार, जय प्रकाश सिंह सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। गंगा घाट पर दीपों की श्रृंखला सजाई गई। उपस्थित लोगों ने गंगा आरती कर समाज में शांति और समृद्धि की कामना की।  

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